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Chandauli News: वनकर्मियों की हुंकार: शोषण के खिलाफ महेंद्र यादव के नेतृत्व में तेज होगी जंग
Chandauli News: चंदौली में वन विभाग के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लंबे समय से चल रहे शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ अब आर-पार की लड़ाई का बिगुल बज चुका है।
Chandauli News: चंदौली में वन विभाग के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लंबे समय से चल रहे शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ अब आर-पार की लड़ाई का बिगुल बज चुका है। रविवार को नौगढ़ बाजार स्थित जयमोहनी रेंज परिसर में आयोजित एक भव्य स्वागत समारोह में न्यूनतम वेतन/दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ चंदौली के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष महेंद्र यादव का जोरदार अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर महेंद्र यादव ने कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई और स्पष्ट किया कि वन विभाग के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न के खिलाफ अब संघर्ष को और तेज किया जाएगा।
उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन का शंखनाद
पिछले कई दिनों से जयमोहनी और चकिया रेंज परिसर में अपनी मांगों के समर्थन में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। बावजूद इसके, सरकार और संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया न मिलने से कर्मचारियों में गहरा रोष है। महेंद्र यादव ने अपने संबोधन में इस "मूक-बधिर" रवैये पर कड़ा प्रहार किया और कहा कि अब शांत बैठने का समय नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
एकजुटता का प्रदर्शन
इस महत्वपूर्ण अवसर पर संघ के प्रदेश अध्यक्ष भोरिक यादव भी उपस्थित थे, जिन्होंने महेंद्र यादव के नेतृत्व में जारी इस लड़ाई को अपना पूर्ण समर्थन दिया। कार्यक्रम में कार्यवाहक जिलाध्यक्ष जिलाजित यादव,जिला सलाहकार रमेश पासवान, जिला मंत्री शिव कुमार विश्वकर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुन्नीलाल, वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष अशोक,जिला उपाध्यक्ष रिंकू,राधे चौहान,संगठन मंत्री सरस्वती, संगठन मंत्री गीता,वंदना चौहान, क्षेत्रीय मंत्री किरण,जिला उपाध्यक्ष सूबेदार सहित विश्वनाथ, वंदना, राधे, अशोक, मुन्नीलाल सहित दर्जनों दैनिक वेतनभोगी वन कर्मचारी मौजूद रहे, जो इस बात का प्रमाण है कि कर्मचारियों में अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ने का दृढ़ संकल्प है। इस स्वागत समारोह ने न केवल महेंद्र यादव के नेतृत्व को मजबूती दी है, बल्कि यह वन विभाग के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक नए और अधिक सशक्त आंदोलन की शुरुआत का भी संकेत है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और अधिकारी इस बढ़ती हुई चुनौती का सामना कैसे करते हैं।
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