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Uttarkhand News: नैनीताल में विदेशी सेबों का धमाका! झीलों के शहर में पहली बार उगे ‘रेड चीफ’, सैलानियों की लगी भीड़
Uttarkhand News: पहली बार नैनीताल अपने झीलों और पहाड़ों के साथ-साथ सेबों के लिए भी चर्चा में आ गया है। और ये कोई आम सेब नहीं, बल्कि विदेशी नस्ल के आकर्षक ‘रेड चीफ’ और ‘रेड गोल्डन’ सेब हैं, जिनकी मिठास इन दिनों पूरे नैनीताल की फिजाओं में बसी हुई है।
Uttarakhand News: नैनीताल की वादियां हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं, कभी झीलों की शांत लहरों से तो कभी ऊंचे-ऊंचे देवदारों की हरियाली से। लेकिन इस बार जो खुशबू नैनीताल की हवाओं में घुली है, वो किसी पुराने किस्से की नहीं, बल्कि नए स्वाद की कहानी है। पहली बार नैनीताल अपने झीलों और पहाड़ों के साथ-साथ सेबों के लिए भी चर्चा में आ गया है। और ये कोई आम सेब नहीं, बल्कि विदेशी नस्ल के आकर्षक ‘रेड चीफ’ और ‘रेड गोल्डन’ सेब हैं, जिनकी मिठास इन दिनों पूरे नैनीताल की फिजाओं में बसी हुई है। इन खूबसूरत सेबों की खेती नैनीताल के मशहूर शेरवानी हिलटॉप होटल के निजी बगीचे में हो रही है। होटल के बागीचे में खिले इन लाल-लाल सेबों ने अब पर्यटन का नया रंग भर दिया है। दूर-दूर से आए पर्यटक जहां नैनीताल की झीलों के किनारे तस्वीरें खिंचवाते थे, अब वो इन सेबों के पेड़ों के पास रुकते हैं, तस्वीरें लेते हैं और इन विदेशी फलों का स्वाद चखते हैं। हर कोई हैरान है कि नैनीताल की जमीन पर इतने सुंदर और मीठे सेब उगाए जा सकते हैं।
12 साल की मेहनत का मीठा फल
होटल के जनरल मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा बताते हैं कि इन सेबों की शुरुआत आज से 12 साल पहले हुई थी, जब उन्होंने रानीखेत के चौबटिया गार्डन से इन विदेशी किस्मों के पौधे मंगवाए थे। उस वक्त किसी ने सोचा भी नहीं था कि नैनीताल की यह पहाड़ी भूमि इतने खूबसूरत सेबों को जन्म देगी। सिद्धार्थ बताते हैं कि इसका मकसद सिर्फ फल उगाना नहीं था, बल्कि पर्यटन को स्थानीय कृषि से जोड़ना था ताकि आने वाले लोग सिर्फ एक होटल में ठहरने का अनुभव न लें, बल्कि प्रकृति से जुड़ें और स्थानीय उत्पादों को करीब से जानें। रेड चीफ और रेड गोल्डन सेब खासतौर पर अपनी रंगत और मिठास के लिए जाने जाते हैं। देखने में भले ही यह सेब हल्के छोटे हों, लेकिन इनके स्वाद में जो मिठास है, वो किसी भी विदेशी फल को टक्कर दे सकती है। यही कारण है कि इन सेबों से लदे पेड़ अब सोशल मीडिया पर भी छा गए हैं। होटल में ठहरने वाले गेस्ट इन्हें देखकर इतने आकर्षित हो जाते हैं कि फोटोशूट कराना तो जैसे इस ट्रिप का नया ट्रेंड बन गया है।
नैनीताल में एग्री-टूरिज्म का नया मॉडल
होटल प्रशासन की यह पहल सिर्फ अपने मेहमानों तक सीमित नहीं है। उनका मानना है कि नैनीताल जैसे हिल स्टेशन में इस तरह के प्रयोग स्थानीय लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण हैं। यहां की जलवायु और मिट्टी विदेशी फलों की खेती के लिए उपयुक्त साबित हो रही है। अगर स्थानीय किसान भी इस मॉडल को अपनाते हैं तो उन्हें परंपरागत खेती से ज्यादा मुनाफा मिल सकता है। सेबों के अलावा इस बगीचे में आलूबुखारा, आड़ू और खुमानी जैसे पहाड़ी फल भी उगाए जा रहे हैं। बगीचे के बीचोंबीच रंग-बिरंगे फूलों की क्यारियां इस पूरे नजारे को और भी रोमांटिक बना देती हैं। शेरवानी हिलटॉप होटल अब सिर्फ एक आरामगाह नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह बन चुकी है जहां लोग प्राकृतिक सुंदरता, स्थानीय स्वाद और बागवानी का अनोखा संगम महसूस कर सकते हैं।
नैनीताल की पहचान बदलने की शुरुआत
नैनीताल अब सिर्फ झीलों और सैरगाहों का शहर नहीं रहा, बल्कि एग्री-टूरिज्म का नया चेहरा बनता जा रहा है। इस नई पहल ने साबित कर दिया है कि उत्तराखंड की धरती में सिर्फ खूबसूरती ही नहीं, मिठास भी छुपी हुई है। हो सकता है आने वाले सालों में नैनीताल का नाम सुनते ही लोग सिर्फ नैनी झील या स्नो व्यू की बातें न करें, बल्कि कहें—"वहीं जहां रेड चीफ और रेड गोल्डन सेब खिलते हैं।" इस खुशबू भरे बदलाव की शुरुआत तो हो चुकी है, अब देखना ये है कि नैनीताल के बाकी हिस्से इस मिठास की कहानी में कब शामिल होते हैं।
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