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Hapur News: "गंगा में दिखा 15 फिट लंबा घड़ियाल, श्रद्धालुओं में रोमांच
Hapur News: गढ़मुक्तेश्वर गंगा घाट पर 15 फीट लंबा नर घड़ियाल दिखाई दिया। विशेषज्ञ बोले – यह प्रकृति संरक्षण की बड़ी उपलब्धि।
Hapur News :-गढ़मुक्तेश्वर तीर्थ नगरी की गोद में बसे ब्रजघाट क्षेत्र में इन दिनों बाढ़ का पानी चारों ओर फैला हुआ है। लेकिन इस आपदा के बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने प्रकृति प्रेमियों और पर्यावरणविदों के चेहरे पर मुस्कान ला दी। स्वर्गद्वारी पुष्पावती पूठ धाम में करीब 15 फीट लंबे नर घड़ियाल के दिखाई देने से इलाके में उत्साह और रोमांच का माहौल बन गया।यह दृश्य न सिर्फ गंगा की जैव विविधता का प्रमाण है,बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रकृति संरक्षण के लिए चलाए जा रहे प्रयास अब रंग ला रहे हैं।
नर घड़ियाल, बेहद दुर्लभ प्रजाति
डॉल्फिन गार्जियन भारत भूषण गर्ग ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इतना बड़ा नर घड़ियाल देखा है।घड़ियालों में नर बहुत ही दुर्लभ होते हैं। सामान्यत करीब 1000 मादा घड़ियालों पर एक नर घड़ियाल ही पाया जाता है। यह दृश्य प्रकृति संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।”
25 साल से संरक्षण की मुहिम
भारत भूषण गर्ग पिछले 25 वर्षों से स्वामी विवेकानंद विचार मंच और लोक भारती के साथ मिलकर इस क्षेत्र में गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुए और अन्य जलीय जीवों को बचाने का अभियान चला रहे हैं।उनके अनुसार यहां की गंगा अब पहले की तुलना में कहीं ज्यादा जीवंत और शुद्ध हुई है। रामसर साइट घोषित होने के बाद लगातार संरक्षण कार्य हो रहे हैं, जिसका सुखद परिणाम है कि आज यहां डॉल्फिन, घड़ियाल और अन्य जलीय जीवों की संख्या में बढ़ोतरी दिख रही है।”
लोगों में डर और उत्सुकता
जब ग्रामीणों ने पहली बार इस विशालकाय घड़ियाल को गंगा की धारा में तैरते देखा तो उनमें भय और कौतूहल का मिश्रण दिखाई दिया। कुछ लोग इसे देख कर पीछे हट गए, तो कुछ मोबाइल कैमरे में तस्वीरें कैद करने लगे।भारत भूषण गर्ग ने ग्रामीणों को बताया कि घड़ियाल मनुष्यों को नुकसान नहीं पहुंचाता। यह केवल मृत जानवरों या छोटी मछलियों का शिकार करता है। हां, यदि कोई बहुत करीब चला जाए तो इसके आक्रामक होने की संभावना हो सकती है। इसलिए घबराने की नहीं, बल्कि इस अद्भुत जीव को बचाने की जरूरत है।
जलचर चौकी की मांग
भारत भूषण गर्ग ने प्रशासन से आग्रह किया कि इस क्षेत्र में एक विशेष जलचर चौकी स्थापित की जाए, जहां से गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल और अन्य जलीय जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।उन्होंने कहा कि यदि यहां वैज्ञानिक निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए तो गढ़मुक्तेश्वर और आसपास का इलाका पर्यावरण पर्यटन और शोध का बड़ा केंद्र बन सकता है।
प्रकृति संरक्षण की मिसाल
विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा में घड़ियाल और डॉल्फिन की मौजूदगी यह साबित करती है कि नदी की शुद्धता और प्राकृतिक संतुलन बरकरार है।घड़ियाल और डॉल्फिन दोनों ही गंगा की सेहत के सूचक जीव माने जाते हैं।यदि ये जीव सुरक्षित हैं तो इसका मतलब है कि नदी में प्रदूषण कम हो रहा है और प्राकृतिक प्रवाह सुधर रहा है।
मौके पर मौजूद लोग
इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए आसपास के गांवों से भी लोग पहुंच गए। मौके पर सत्यनारायण चौहान, महेश केवट, मूलचंद आर्य, विनोद कुमार लोधी समेत कई ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने माना कि यह दृश्य गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र के लिए गर्व और गर्वानुभूति का विषय है।
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