IQAir की डरावनी रिपोर्ट! दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहर भारत में स्थित, सांस लेना भी जहर

Pollution Report: आईक्यूएयर की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में सभी 10 स्थान भारतीय शहरों ने ले लिए हैं। यह न केवल देश के लिए एक शर्मनाक आंकड़ा है।

Newstrack          -         Network
Published on: 3 Nov 2025 10:53 PM IST
IQAir की डरावनी रिपोर्ट!  दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहर भारत में स्थित, सांस लेना भी जहर
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Pollution Report: स्विट्ज़रलैंड की प्रतिष्ठित पर्यावरण संस्था आईक्यूएयर (IQAir) की नवीनतम रिपोर्ट ने भारत के लिए कठोर और भयावह चेतावनी जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में सभी 10 स्थान भारतीय शहरों ने ले लिए हैं। यह न केवल देश के लिए एक शर्मनाक आंकड़ा है, बल्कि प्रदूषण की समस्या साधारण संकट नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आपातकाल बन चुकी है, जिस पर हमारे पर्यावरणीय और प्रशासनिक दृष्टिकोण पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े होते हैं।

भारत की हवा में जहर की मात्रा भयावह

रिपोर्ट के चौंकाने वाले आंकड़े बताएं गए हैं। उसमें भारत की हवा कितनी विषैली हो चुकी है। जिन शहरों को वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक प्रदूषित माना गया है, उनमें राजस्थान का बिगासर (PM2.5 स्तर 830), उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर (634), हरियाणा का झज्जर (477) और सोनिपत (433), तथा यूपी का गाजियाबाद (439) शामिल हैं। यह स्थिति तब और अधिक चिंताजनक हो जाती है, जब देश की राजधानी दिल्ली भी सूची में 13वें स्थान पर है, वहां की हवा गंभीर श्रेणी में दर्ज की जा रही है। इस स्तर की हवा में हर सांस के साथ जहर शरीर में प्रवेश करता है।

विकास और प्रशासनिक असफलता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में समयपूर्व मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से एक बन चुका है, जिसका दीर्घकालिक असर फेफड़ों, हृदय और तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है। भारत में प्रदूषण अब केवल मौसमी या प्राकृतिक कारणों तक सीमित नहीं है। यह अनियंत्रित विकास की दौड़ और शहरी नियोजन की घोर असफलता का सीधा परिणाम है। दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्रों में पेट्रोल-डीजल आधारित वाहनों की विस्फोटक संख्या हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड और सूक्ष्म कणों (PM2.5) की मात्रा को खतरनाक स्तर तक बढ़ा रही है।

देश में प्रदूषण के प्रमुख कारण

औद्योगिक प्रदूषण- हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगरों में फैक्टरियों के उत्सर्जन पर नियंत्रण तंत्र बेहद कमजोर है।

निर्माण कार्य की धूल- देश के बड़े शहरों में अनवरत निर्माण और सड़क खुदाई के कारण हवा में भारी मात्रा में धूल के कण तैरते रहते है।

पराली जलाना- पंजाब, हरियाणा और यूपी में फसल कटाई के बाद पराली जलाना भी दिल्लीकी हवा को सबसे अधिक प्रदूषित करता है।

कोयला ऊर्जा- कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का प्रमुख ऊर्जा स्रोत बने रहना सल्फर डाइऑक्साइड व कार्बन उत्सर्जन का मुख्य केंद्र है।

सामाजिक त्रासदी और धीमा मौत

अब देश में प्रदूषण धीमी मौत का रूप ले चुका है। आईक्यूएयर और विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर वर्ष 15 से 18 लाख लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के कारण होती है। बच्चों में अस्थमा, श्वसन संक्रमण और एलर्जी बढ़ रही है, जबकि बुजुर्गों में हृदय व रक्तचाप संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। कार्यशील युवाओं की उत्पादकता में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। यह संकट सिर्फ पर्यावरणीय नहीं, बल्कि गंभीर सामाजिक और आर्थिक त्रासदी बनता जा रहा है। जो ग्रामीण भारत तक फैल रहा है।

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Prashant Vinay Dixit

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