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चीन से हुआ मोहभंग, अब अमेरिका को बना रहा है हमदम; पाकिस्तान की नई नौटंकी!
Pakistan-China-US: इस घटनाक्रम पर भारत की नजर बनी हुई है, क्योंकि यह क्षेत्रीय शक्ति-संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
Pakistan-China-US: पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर के बाद अब देश की वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू ने भी अमेरिका का दौरा किया है। यह यात्रा पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों में फिर से गर्माहट आने का संकेत मानी जा रही है। साथ ही यह दक्षिण एशिया में उभरते नए रणनीतिक समीकरणों की ओर भी इशारा करती है।
पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) ने इस यात्रा को "रणनीतिक महत्व का मील का पत्थर" बताया है। वायुसेना के मुताबिक, इस दौरे से न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर संवाद बढ़ेगा, बल्कि दोनों देशों के रक्षा संस्थानों के बीच सहयोग भी मजबूत होगा। सिद्दू ने पेंटागन में अमेरिकी एयरफोर्स चीफ जनरल डेविड ऑल्विन और इंटरनेशनल अफेयर्स की सेक्रेटरी केली एल. सेयबोल्ट से मुलाकात की। बातचीत में संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और रक्षा उपकरणों की साझेदारी पर सहमति बनी।
पाक की नजर अमेरिका की अत्याधुनिक तकनीक पर
खबरों के अनुसार, पाकिस्तान अमेरिका से एफ-16 ब्लॉक 70 लड़ाकू विमान, HIMARS तोप प्रणाली और उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की योजना बना रहा है। चीन से सैन्य साजो-सामान लेने के बाद हाल के ऑपरेशन सिंदूर में खराब प्रदर्शन ने पाकिस्तान को चीन की रक्षा क्षमताओं को लेकर असमंजस में डाल दिया है। यही वजह है कि इस बार अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग को लेकर पाकिस्तान ज्यादा गंभीर नजर आ रहा है।
क्या चीन से खिंच रही दूरी?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी हथियारों के कमजोर प्रदर्शन पर जब चीन से सवाल किया गया तो उसने टालमटोल वाला रवैया अपनाया। चीन की पीएल-15ई मिसाइल की बरामदगी के बाद भी चीन के रक्षा मंत्रालय ने गोलमोल जवाब ही दिया। इससे संकेत मिलता है कि पाकिस्तान अब बीजिंग पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता और वॉशिंगटन की ओर फिर से झुकाव बढ़ा रहा है।
अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में फिर से नजदीकी?
9/11 के बाद अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान को एक ही फ्रेम में देखने की नीति यानी "हाइफनिंग" को खत्म कर दिया था। ओसामा बिन लादेन के एबटाबाद में मारे जाने के बाद अमेरिका भारत के साथ ज्यादा करीब आया। लेकिन अब कुछ हालिया घटनाक्रम ‘री-हाइफनिंग’ की ओर इशारा कर रहे हैं।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि रूस-चीन की नजदीकी एक बड़ा खतरा बन चुकी है, और दक्षिण एशिया में भारत-पाक संबंधों को भी इससे जोड़कर देखना जरूरी है। उन्होंने कहा, "यह दुखद है कि पाकिस्तान चीन के प्रभाव में है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह उसके लिए फायदेमंद नहीं होगा।"
भारत की चिंता क्यों बढ़ी?
भारत के लिए यह घटनाक्रम चिंता का विषय बनता जा रहा है। पाकिस्तान, अमेरिका से फिर से दोस्ती गांठने की कोशिश कर रहा है, जबकि पहले ही चीन के साथ उसके संबंध मजबूत हैं। ऐसे में भारत को क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए नए साझेदारों की तलाश करनी पड़ सकती है।
इसके अलावा, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पाकिस्तान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सीजफायर का श्रेय दे रहा है। जबकि भारत इस पूरे अभियान को पूरी तरह घरेलू नीति का हिस्सा मानता है। पाकिस्तान की ओर से ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग भी भारत को खटक सकती है।
पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख का अमेरिका दौरा सिर्फ सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया में बदलती राजनयिक रणनीतियों का प्रतीक भी बनता जा रहा है। इस घटनाक्रम पर भारत की नजर बनी हुई है, क्योंकि यह क्षेत्रीय शक्ति-संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
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