Iran-US-conflict-Pakistan: ईरान पर अमेरिकी हमलों से तड़प उठा पाकिस्तान, ट्रंप को नोबेल समर्थन के एक दिन बाद बदला स्टैंड

Iran-US-conflict-Pakistan: ट्रंप को नोबेल समर्थन के अगले ही दिन ईरान पर अमेरिकी हमलों की पाक ने की कड़ी निंदा; क्षेत्रीय सुरक्षा और आंतरिक संतुलन साधने की कवायद।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 22 Jun 2025 4:30 PM IST
US Attacks on Iran
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US Attacks on Iran News (Social Media image)  

Iran-US-conflict-Pakistan: एक आश्चर्यजनक राजनयिक घटनाक्रम में, पाकिस्तान ने रविवार को ईरान की प्रमुख परमाणु सुविधाओं पर हाल ही में हुए अमेरिकी हवाई हमलों की कड़ी निंदा की। यह विरोध तब सामने आया है, जब इसके ठीक एक दिन पहले पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सार्वजनिक रूप से समर्थन दिया था। पाकिस्तान ने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संकट के दौरान ट्रंप के "निर्णायक राजनयिक हस्तक्षेप और महत्वपूर्ण नेतृत्व" को इस सिफारिश का आधार बताया था।

अमेरिकी हमलों पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए ईरान के फोर्डो, नटांज़ और इस्फाहान में परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों के बाद मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की। ये हमले, जिनकी पुष्टि राष्ट्रपति ट्रंप ने एक राष्ट्रीय संबोधन में की, इजरायल-ईरान संघर्ष में वाशिंगटन के सीधे सैन्य हस्तक्षेप का संकेत देते हैं।

मंत्रालय के बयान में कहा गया, "पाकिस्तान ईरान की परमाणु सुविधाओं पर अमेरिकी हमलों की निंदा करता है, जो इजरायल द्वारा किए गए हमलों की श्रृंखला के बाद हुए हैं।" मंत्रालय ने "क्षेत्र में तनाव बढ़ने की संभावित आगे की आशंका" पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

पाकिस्तान ने यह भी ज़ोर दिया कि ये हमले अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का उल्लंघन हैं। बयान में कहा गया, "ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अपना बचाव करने का वैध अधिकार है।" इसमें यह भी जोड़ा गया कि लगातार आक्रामकता से "क्षेत्र और उससे आगे के लिए गंभीर रूप से हानिकारक प्रभाव" पड़ सकते हैं। इस्लामाबाद ने नागरिक जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का आह्वान करते हुए शत्रुता को तत्काल समाप्त करने का आग्रह किया। मंत्रालय ने "संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और उद्देश्यों के अनुरूप संवाद और कूटनीति" को संकटों के समाधान का एकमात्र व्यवहार्य मार्ग बताया।

तनाव के बावजूद ईरान का साथ क्यों दे रहा है पाक?

पड़ोसी देश ईरान और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा से जटिल रहे हैं, जिनमें सहयोग और तनाव दोनों के तत्व मौजूद हैं। हाल के सीमा पार हमलों ने दोनों देशों के रिश्तों में मौजूद चुनौतियों को उजागर किया है। इन तनावों के बावजूद, पाकिस्तान का ईरान के साथ खड़ा होना कई रणनीतिक कारकों से प्रेरित है:

• तनाव कम करना: हाल ही में दोनों देशों के बीच हुए सीमा पार हमले उनके नाजुक संबंधों और व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की संभावना को उजागर करते हैं। पाकिस्तान स्पष्ट रूप से आगे के संघर्ष को रोकना चाहता है।

• क्षेत्रीय सुरक्षा: ईरान और पाकिस्तान एक अस्थिर क्षेत्र में 900 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। बलूचिस्तान में मादक पदार्थों की तस्करी और विद्रोह जैसे सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग दोनों के लिए फायदेमंद है। सीमा पार से सक्रिय आतंकवादी समूह भी तनाव का एक स्रोत रहे हैं।

• संभावित मध्यस्थ की भूमिका: अमेरिका और ईरान दोनों के साथ पाकिस्तान के करीबी संबंध उसे क्षेत्र में संभावित मध्यस्थ की भूमिका निभाने की स्थिति में रखते हैं, जो पाकिस्तान की अपनी सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए फायदेमंद हो सकता है।

• आंतरिक विचार: अल जज़ीरा के अनुसार, पाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण शिया आबादी है। ईरान के खिलाफ किसी भी खुले गठबंधन से देश के भीतर सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है, जिसे पाकिस्तान टालना चाहता है।

• आर्थिक हित: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में ईरान की संभावित भागीदारी से पाकिस्तान को आर्थिक लाभ मिल सकता है, और इस परियोजना की सफलता के लिए ईरान के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

ऐतिहासिक संबंध और हालिया घटनाक्रम

पाकिस्तान और ईरान के बीच एक लंबा और विविध इतिहास रहा है। ईरान 1947 में पाकिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाला पहला देश था, जो शुरुआती सद्भाव को दर्शाता है। हालांकि, उनके संबंध सीमा विवादों और सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों से भी प्रभावित रहे हैं। क्षेत्रीय संघर्षों में भी वे कभी-कभी विपरीत दिशाओं में पाए गए हैं, जैसे ईरान-इराक युद्ध, जहां ईरान ने इराक का समर्थन किया, वहीं पाकिस्तान ने कश्मीर में भारत विरोधी आतंकवादियों का समर्थन किया।

यह निंदा ऐसे समय में आई है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निगरानी हो रही है। यह पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की हाल की अमेरिकी यात्रा के बाद हुई है, जहां उन्होंने कथित तौर पर व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन की बैठक की थी। इसी यात्रा के दौरान मुनीर ने भारत-पाकिस्तान गतिरोध को कम करने में अपनी भूमिका के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के नाम को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सुझाया था।

निष्कर्ष में, पाकिस्तान का ईरान के साथ खड़ा होना एक जटिल रणनीतिक निर्णय है। यह क्षेत्रीय सुरक्षा, आंतरिक विचारों और संभावित आर्थिक लाभों से संबंधित कई कारकों से प्रेरित है। हालाँकि दोनों देशों के बीच तनाव मौजूद है, पाकिस्तान क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और ईरान तथा अन्य शक्तियों के बीच संभावित मध्यस्थता के लिए ईरान के साथ संबंध बनाए रखने के महत्व को समझता है।

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