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हिल गया Pak! “क्वाडकॉप्टर से बरसी तबाही, पाकिस्तान की सरज़मीं बना ‘ड्रोन जंग का मैदान’ – आतंकियों ने खोला आसमान से मौत का दरवाज़ा
Pakistan drone attack: पुलवामा जैसा आत्मघाती हमला, क्वाडकॉप्टर से गिराए जा रहे विस्फोटक, और सीमाएं सील करने की मजबूरी – पाकिस्तान में हालात अब काबू से बाहर होते जा रहे हैं।
Pakistan drone attack: ये सिर्फ आतंकी हमला नहीं था, ये आसमान से आई आग थी। कोई धमाका नहीं सुना, न गोलियों की आवाज़... लेकिन कुछ ही मिनटों में ज़मीन लहूलुहान थी। जिस मुल्क ने खुद आतंक को अपने आँगन में पाला था, अब वही देश अपने ही आकाश से दहशत के साये में जी रहा है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में ‘आतंक का नया हथियार’ सामने आया है – क्वाडकॉप्टर! हां, वही छोटा-सा ड्रोन जो पहले सिर्फ शादी-ब्याह या वीडियो शूटिंग में उड़ाया जाता था, अब वही पाकिस्तान की सेना और जनता के लिए मौत बनकर मंडरा रहा है। पुलवामा जैसा आत्मघाती हमला, क्वाडकॉप्टर से गिराए जा रहे विस्फोटक, और सीमाएं सील करने की मजबूरी – पाकिस्तान में हालात अब काबू से बाहर होते जा रहे हैं। ख़बर है कि दक्षिण वजीरिस्तान, लक्की मरवात और कलाची जैसे ज़िलों में आतंकियों ने जंग का एलान कर दिया है। लेकिन ये कोई आम जंग नहीं... ये आसमान से होने वाली ‘गुरिल्ला ड्रोन वॉर’ है, जिसमें पाकिस्तान की सेना और सरकार पूरी तरह हतप्रभ हैं।
खैबर पख्तूनख्वा: अब ज़मीन नहीं, हवा बन चुकी है ज़हर
28 जून को उत्तरी वजीरिस्तान के गुलाम खान इलाके में हुए हमले में छह पाकिस्तानी जवान घायल हुए। लेकिन इसके ठीक अगले दिन एक ऐसा हमला हुआ, जिसने पाकिस्तान के होश उड़ा दिए – एक आत्मघाती हमलावर विस्फोटकों से लदा वाहन लेकर सेना के काफिले में घुस गया। ये हमला हू-ब-हू 2019 के पुलवामा आतंकी हमले जैसा था। लेकिन तब फर्क यह था कि हमला ज़मीन से हुआ था। अब आतंक की दिशा बदल चुकी है – ये हवा से हो रहा है... और वो भी क्वाडकॉप्टर से।
‘उड़ता बम’ बना पाकिस्तान का नया सिरदर्द
19 मई को एक क्वाडकॉप्टर ने एक घर पर विस्फोटक गिराया, जिसमें 4 बच्चों की जान चली गई। कुछ ही घंटों बाद पास के ही एक और गांव में वही हमला दोहराया गया। मैरी अली के होर्मुज इलाके में भी आतंकियों ने ड्रोन अटैक किया। अब ज़रा सोचिए – अगर ये छोटे-छोटे क्वाडकॉप्टर इस तरह की तबाही मचा सकते हैं, तो पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था की हालत क्या होगी? स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अब सेना और आतंकियों के बीच खुला गुरिल्ला युद्ध शुरू हो चुका है, जिसमें आम जनता सबसे ज्यादा कुचली जा रही है। ड्रोन की भनक लगती नहीं, हमला हो जाता है... और बचाव का कोई रास्ता नहीं।
तालिबान का ट्रायल रन या पाकिस्तान की बर्बादी का ट्रेलर?
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने हमलों की ज़िम्मेदारी ली है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी अब इस तकनीक के ज़रिए अपने मकसद में कामयाब हो रहे हैं। सवाल यह नहीं कि TTP हमले क्यों कर रहा है – सवाल यह है कि ये ड्रोन हमले कौन ट्रेन कर रहा है? कौन सपोर्ट कर रहा है? क्योंकि इतने सटीक निशाने, इतने सिलसिलेवार हमले – ये महज़ जंगल में छिपे आतंकियों की करतूत नहीं लगती। TTP के साथ-साथ हाफ़िज़ गुल बहादुर गुट, लश्कर-ए-इस्लाम, तहरीक-ए-इंकलाब-ए-इस्लामी और इत्तेहाद-ए-मुजाहिदीन पाकिस्तान जैसे कम से कम 5 उग्रवादी समूह अब पूरे खैबर पख्तूनख्वा में सक्रिय हैं। ये वही ज़मीन है जहां से पाकिस्तान दुनिया को ‘स्ट्रेटजिक डेप्थ’ की बातें सुनाता था, आज वहीं पाकिस्तान ‘ड्रोन डेथ ज़ोन’ में बदल चुका है।
गुलाम खान बॉर्डर सील, सेना तैनात – लेकिन क्या ये काफी है?
पाकिस्तान की सरकार ने अफगानिस्तान से लगती गुलाम खान सीमा को सील कर दिया है। उत्तरी वजीरिस्तान में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है। लेकिन अगर आतंकी अब ड्रोन से हमला कर रहे हैं, तो क्या ये पुराने उपाय कोई असर डालेंगे? आसमान से आ रही मौत को रोकने के लिए आधुनिक तकनीक, जवाबी ड्रोन सिस्टम, और इंटेलिजेंस की ज़रूरत है – जो फिलहाल पाकिस्तान के पास नहीं दिख रही।
जिस आग को पाकिस्तान ने बोया था, अब वही उसकी छतों पर गिर रही है
जिस पाकिस्तान ने दशकों तक आतंक को 'रणनीतिक गहराई' का नाम दिया, वही अब खुद उसी गहराई में गिर रहा है। क्वाडकॉप्टर आज सिर्फ खैबर पख्तूनख्वा में हमला कर रहे हैं, लेकिन कल को ये इस्लामाबाद की ओर बढ़ेंगे – क्या पाक हुकूमत तैयार है? आज जो गांव के ऊपर उड़ रहे हैं, वो कल राष्ट्रपति भवन की ओर भी उड़ सकते हैं। क्योंकि आतंकियों के पास अब न बंदूक की कमी है, न तकनीक की – बल्कि अब उनके पास है वो हथियार, जो दिखते नहीं और मार डालते हैं। पाकिस्तान ने जिस आग को अपने हाथों से पाला, अब वह आग हवा में उड़ रही है... और कब कहां गिर जाए, कोई नहीं जानता। ये क्वाडकॉप्टर सिर्फ डिवाइस नहीं, अब पाकिस्तान की तबाही की टाइमर बन चुके हैं – टिक टिक… और फिर धमाका।
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