इस्लामाबाद पर कब्ज़ा कंफर्म! मौलाना फजलउर रहमान का ऐलान सुनकर कांप गई शरीफ सरकार – एक हफ्ते में जिहाद, नहीं तो बर्बादी तय!

Islamabad takeover by Maulana Fazlur Rehman: बट्टाग्राम की रैली में हजारों समर्थकों के बीच मौलाना ने सीधेसीधे इस्लामाबाद पर कब्जे की बात कह डाली। फजलउर रहमान का दावा है कि "बस एक हफ्ता दो... फिर देखो कैसे हमारे लोग इस्लामाबाद की जमीन को अपने कदमों से रौंदते हैं!

Harsh Srivastava
Published on: 30 Jun 2025 3:19 PM IST
इस्लामाबाद पर कब्ज़ा कंफर्म! मौलाना फजलउर रहमान का ऐलान सुनकर कांप गई शरीफ सरकार – एक हफ्ते में जिहाद, नहीं तो बर्बादी तय!
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Islamabad takeover by Maulana Fazlur Rehman: इस्लामाबाद की हवाओं में इन दिनों बारूद की गंध है। पाकिस्तान की राजनीति एक बार फिर बम के मुहाने पर खड़ी है। इस बार धमाका सिर्फ बयानों का नहीं, सड़कों पर उतरने वाले लाखों लोगों का है। जमीयतउलेमाएइस्लाम के प्रमुख और कट्टरपंथी नेता मौलाना फजलउर रहमान ने एक ऐसा ऐलान कर दिया है, जिसने पाकिस्तान की सत्ता के गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। बट्टाग्राम की रैली में हजारों समर्थकों के बीच मौलाना ने सीधेसीधे इस्लामाबाद पर कब्जे की बात कह डाली। फजलउर रहमान का दावा है कि "बस एक हफ्ता दो... फिर देखो कैसे हमारे लोग इस्लामाबाद की जमीन को अपने कदमों से रौंदते हैं!" ये कोई चुनावी वादा नहीं था, ये था एक खुला युद्धघोष – सरकार के खिलाफ, सेना के खिलाफ और उस अमेरिका के खिलाफ जिससे मौलाना को नफरत है।

गैरकानूनी सरकार? मौलाना का फतवा – “इनकी नजरें मिलाने की औकात नहीं!”

मौलाना ने अपनी रैली में शहबाज शरीफ सरकार को 'गैरकानूनी' करार दिया। उनके अनुसार 2024 के चुनाव पूरी तरह से फर्जी थे, और सत्ता में बैठे सभी लोग धांधली से चुनकर आए हैं। "ऐसी सरकार को हमें आंख दिखाने का हक नहीं है," फजलउर ने गरजते हुए कहा। उन्होंने याद दिलाया कि 2018 में भी एक 'फर्जी' सरकार को उनकी पार्टी ने उखाड़ फेंका था और अब इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है। इस बार सिर्फ उखाड़ना नहीं, बल्कि इस्लामाबाद पर कब्जा करना है।

इस्लाम के नाम पर जिहाद की धमकी

अपने समर्थकों को उकसाते हुए मौलाना ने पाकिस्तान में ‘जिहाद’ छेड़ने की बात भी कही। उनका दावा है कि मौजूदा सरकार जमीयतउलेमाएइस्लाम को युद्ध में घसीटना चाहती है। “हम राष्ट्रीय एकता के पैरोकार हैं, लेकिन अगर जुल्म बढ़ा तो हमारी तलवारें खामोश नहीं रहेंगी,” रहमान ने ललकारा। इस बयान ने पाकिस्तान की सियासत में तूफान ला दिया है। सोशल मीडिया पर मौलाना के समर्थक इस बयान को 'इस्लाम की पुकार' बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे खुलेआम विद्रोह और लोकतंत्र पर हमला मान रहा है।

सेना भी निशाने पर, अमेरिका को बताया 'इस्लाम का हत्यारा'

मौलाना की आग सिर्फ शहबाज सरकार तक सीमित नहीं रही। उन्होंने पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर पर भी सीधा हमला बोला। रैली के मंच से उन्होंने कहा, "जिस अमेरिका से हमने पीछा छुड़ाया, वही आज हमारे गले का हार बन गया है। ये वही अमेरिका है जिसने फिलिस्तीन, सीरिया और लीबिया में लाखों मुसलमानों को मौत के घाट उतारा।" उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को 'अशांति दूत' बताते हुए कहा – "अगर ट्रंप हैं, तो शांति नहीं है और अगर शांति है, तो ट्रंप नहीं हैं!" इस बयान ने अमेरिका और पाकिस्तान के बीच जारी कूटनीतिक संबंधों को नई मुश्किल में डाल दिया है।

शरीफ सरकार की हालत पतली

सूत्रों की मानें तो फजलउर रहमान के इस धमकी के बाद शरीफ सरकार के कई मंत्री खुफिया बैठकों में जुट गए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सरकार अब फजलउर को देशद्रोह के तहत गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन डर ये है कि इससे स्थिति और विस्फोटक हो जाएगी। पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों को इस्लामाबाद में किसी भी संभावित "लॉन्ग मार्च" या सशस्त्र प्रदर्शन के लिए तैयार रहने का निर्देश दे दिया गया है। सरकार और सेना दोनों पर दबाव है – मौलाना को रोको, लेकिन बिना जलाभुना पाकिस्तान छोड़े!

इस्लामाबाद बनाम बट्टाग्राम: काउंटडाउन शुरू!

फजलउर रहमान का एक हफ्ते का अल्टीमेटम शुरू हो चुका है। बट्टाग्राम से निकलकर इस्लामाबाद की ओर बढ़ते कदमों की आवाज हर गली, हर मोड़ पर सुनी जा रही है। लोग पूछ रहे हैं – क्या पाकिस्तान एक और ‘धरना राजनीति’ का शिकार होगा? क्या सड़कों पर फिर कुरान और तलवार साथ नजर आएंगे? और सबसे बड़ा सवाल – क्या ये बगावत है या बुनियाद?

पाकिस्तान का भविष्य अधर में – अगला हफ्ता होगा निर्णायक!

शरीफ सरकार की घड़ी अब उलटी चल रही है। मौलाना फजलउर रहमान की चेतावनी कोई साधारण बयान नहीं, बल्कि एक सुनामी का ट्रेलर है। अगर एक हफ्ते में इस्लामाबाद पर कब्जा हुआ, तो पाकिस्तान का लोकतंत्र हमेशा के लिए इतिहास बन सकता है। क्या पाकिस्तान अपने ही मौलानाओं के हाथों अपनी संसद गंवा देगा? क्या शरीफ सरकार अमेरिका के साथ रहकर मुल्लाओं से जंग जीत पाएगी? या फिर… इस्लाम के नाम पर सत्ता की एक और कुर्बानी दी जाएगी? अब निगाहें हैं अगले सात दिनों पर – या तो समझौता होगा… या सरफरोशी!

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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