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पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच जंग का ऐलान? खून, कर्फ्यू और क्रॉसिंग बंद! गुलाम खान बॉर्डर बना मौत का दरवाज़ा, जंग तय

Ghulam Khan crossing closed: पाकिस्तान ने बिना किसी औपचारिक घोषणा के गुलाम खान सीमा क्रॉसिंग को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। यह वही क्रॉसिंग है, जहां से व्यापार, आवाजाही और कूटनीति की हर डोर बंधी रहती थी। लेकिन अब, ये दरवाज़ा ताले में है—और ये ताला सिर्फ लोहे का नहीं, यह डर, अविश्वास और जंग की आहटों से बना है।

Harsh Srivastava
Published on: 29 Jun 2025 8:32 PM IST
पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच जंग का ऐलान? खून, कर्फ्यू और क्रॉसिंग बंद! गुलाम खान बॉर्डर बना मौत का दरवाज़ा, जंग तय
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Ghulam Khan crossing closed: दुनिया जब यूक्रेन और गाज़ा की आग में झुलस रही थी, तब दक्षिण एशिया की एक और सरहद पर धीरे-धीरे बारूद की गंध तेज़ हो रही थी। और अब वह गंध साफ़-साफ़ दिखाई देने लगी है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव का दरवाज़ा पूरी तरह खुल चुका है। शनिवार को पाकिस्तान के उत्तरी वज़ीरिस्तान में एक आत्मघाती हमला हुआ—जिसमें कम से कम 13 पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मारे गए और तीन घायल हुए। और इसी एक हमले ने न केवल एक कर्फ्यू लागू करवा दिया, बल्कि पाक-अफगान रिश्तों में फिर से ‘अविश्वास’ का ज़हर घोल दिया। पाकिस्तान ने बिना किसी औपचारिक घोषणा के गुलाम खान सीमा क्रॉसिंग को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। यह वही क्रॉसिंग है, जहां से व्यापार, आवाजाही और कूटनीति की हर डोर बंधी रहती थी। लेकिन अब, ये दरवाज़ा ताले में है—और ये ताला सिर्फ लोहे का नहीं, यह डर, अविश्वास और जंग की आहटों से बना है।

खून से सनी सीमा और पाकिस्तान का खामोश फैसला

शनिवार की शाम पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र का उत्तरी वज़ीरिस्तान अचानक धमाके से दहल उठा। एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया, और उसकी कीमत चुकानी पड़ी पाक सेना के जवानों को—13 जवान वहीं ढेर हो गए। आतंक का यह चेहरा पाकिस्तान के लिए कोई नया नहीं, लेकिन जिस ओर उसने उंगली उठाई है—वह एक बार फिर वही पुराना पड़ोसी है—अफगानिस्तान।पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा, लेकिन उनकी हरकतें बहुत कुछ बोल गईं। गुलाम खान बॉर्डर—जो कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच प्रमुख व्यापारिक और सैन्य क्रॉसिंग पॉइंट है—को बिना किसी अग्रिम सूचना के बंद कर दिया गया। कर्फ्यू लगा, व्यापार ठप हुआ, लोग फंसे, और एक बार फिर दोनों देशों के बीच ‘भरोसे’ की दीवार दरक गई।

तालिबान भड़का, अफगान सरकार ने जताई नाराज़गी

अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत से जुड़े इस क्रॉसिंग को लेकर अफगान तालिबान सरकार का बयान भी सामने आया। तालिबान के बॉर्डर फोर्स के प्रवक्ता अबीदुल्ला फारूकी ने पुष्टि की कि पाकिस्तान ने इस बॉर्डर को “सुरक्षा खतरों” के चलते बंद कर दिया है, लेकिन किसी तरह की आधिकारिक जानकारी या टाइमलाइन नहीं दी गई। फारूकी ने दो टूक कहा, “हमें सिर्फ इतना बताया गया कि वैकल्पिक मार्गों का उपयोग किया जाए। इस सीमा को कब और कैसे खोला जाएगा, इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।” यह बयान उस माहौल में आया है, जहां पहले से ही अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद नाजुक हैं। और अब इस अचानक सीमा बंदी ने एक बार फिर दोनों देशों को एक खतरनाक मोड़ पर ला खड़ा किया है।

गुलाम खान क्रॉसिंग—जहां व्यापार से ज़्यादा राजनीति चलती है

गुलाम खान क्रॉसिंग सिर्फ एक सीमावर्ती रास्ता नहीं है। यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक ऐसा जीवनरेखा मार्ग है, जहां से हर दिन सैकड़ों ट्रक आवाजाही करते हैं, खाद्य सामग्री, ईंधन, निर्माण सामग्री और दवाइयां पहुंचती हैं। खोस्त प्रांत और उत्तरी वज़ीरिस्तान के बीच यह सबसे सक्रिय क्रॉसिंग मानी जाती है, और अब इसका बंद होना सिर्फ आवाजाही को नहीं रोक रहा—बल्कि दोनों देशों के राजनीतिक रिश्तों में दरार का संकेत बन गया है। अफगान अधिकारियों ने व्यापारियों और नागरिकों से अपील की है कि वे तोरखम या स्पिन बोल्डक जैसे वैकल्पिक रास्तों का इस्तेमाल करें। लेकिन क्या इतने बड़े व्यापारिक और रणनीतिक झटके को महज ‘रूट बदलने’ से संभाला जा सकता है?

आतंकी जड़ें, पाक-अफगान दुश्मनी और अगली जंग का मैदान?

पाकिस्तान लंबे समय से यह दावा करता रहा है कि टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) और अन्य आतंकी गुट अफगान धरती से संचालित होते हैं और वहीं से पाकिस्तान में हमले करते हैं। हाल के महीनों में भी कई रिपोर्टों में यह बात सामने आई कि अफगानिस्तान की सीमा से सटी पाकिस्तान की पोस्टों पर बार-बार हमले हुए हैं। अब शनिवार को हुए आत्मघाती हमले को लेकर फिर वही पुराना आरोप उठाया जा रहा है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार इस पर हर बार की तरह सफाई देती रही है कि वह अपनी जमीन का दुरुपयोग नहीं होने देती लेकिन क्या पाकिस्तान मानता है? नहीं, और यही अविश्वास अब सीमा बंद करने से आगे बढ़कर सैन्य तनाव की शक्ल लेता दिख रहा है।

कहां जा रहे हैं अफगान-पाक रिश्ते?

तालिबान शासन को पाकिस्तान ने पहले दिन से “भाई” की तरह स्वीकार किया था। लेकिन अब हालात वहां पहुंच चुके हैं, जहां दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे को शत्रु की तरह देख रही हैं। सीमा बंद करना कोई सामान्य कदम नहीं होता, खासतौर पर तब, जब यह कदम बिना किसी औपचारिक वार्ता या संयुक्त बयान के उठाया गया हो। अब सवाल उठता है—क्या आने वाले दिनों में ये सीमा सिर्फ बंद रहेगी या वहां से गोलीबारी की आवाजें भी सुनाई देंगी?

जवाब कहीं नहीं, लेकिन खतरा हर तरफ है

गुलाम खान बॉर्डर की खामोशी में छुपी है एक नई भू-राजनीतिक विस्फोट की आहट। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते उस बिंदु पर पहुंच चुके हैं, जहां एक और आतंकी हमला या एक और गोली चलने से सीमाएं लाल हो सकती हैं। दुनिया को अगर एक और मोर्चा नहीं खोलना है, तो शायद अब वक्त है कि इस दरार को भरा जाए… वरना अगली बार यह सिर्फ सीमा बंद नहीं होगी… बल्कि जंग की पहली आवाज़ होगी!

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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