"प्लेन नहीं उड़ेंगे... परिंदों से डरा पाकिस्तान! लाहौर एयरपोर्ट हर तीन घंटे के लिए बंद, पाक में दहशत

Lahore airport closed: पाकिस्तान सरकार ने ऐलान कर दिया है कि लाहौर स्थित जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हर सुबह 5 बजे से 8 बजे तक उड़ानें नहीं भरेंगी। इस फैसले के पीछे वजह बताई गई है कि इस दौरान परिंदों की संख्या आसमान में बहुत अधिक होती है और ये विमानों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।

Harsh Srivastava
Published on: 2 July 2025 8:07 PM IST
प्लेन नहीं उड़ेंगे... परिंदों से डरा पाकिस्तान! लाहौर एयरपोर्ट हर तीन घंटे के लिए बंद, पाक में दहशत
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Lahore airport closed: जब कोई देश परिंदों से हार मान जाए, तो समझ लीजिए कि आसमान में कुछ बहुत गड़बड़ चल रहा है। ये कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि हकीकत है – और वो भी पाकिस्तान की! जहां एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अब हर रोज़ तीन घंटे के लिए बंद रहेगा। कारण? परिंदे... हां, वो चिड़ियां, जो अब पाकिस्तान के विमानों के लिए जानलेवा खतरा बन चुकी हैं! पाकिस्तान सरकार ने ऐलान कर दिया है कि लाहौर स्थित जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हर सुबह 5 बजे से 8 बजे तक उड़ानें नहीं भरेंगी। इस फैसले के पीछे वजह बताई गई है कि इस दौरान परिंदों की संख्या आसमान में बहुत अधिक होती है और ये विमानों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। लेकिन असल सवाल यह है – क्या ये फैसला सिर्फ पक्षियों की वजह से है? या फिर पाकिस्तान अब अपनी ही लापरवाही, तकनीकी खामियों और खराब मेंटेनेंस को 'परिंदों' की ओट में छिपा रहा है?

'परिंदे उड़ेंगे तो विमान नहीं उड़ेंगे' – पाकिस्तान की नई उड़ान नीति?

1 जुलाई से 15 सितंबर तक लागू रहने वाले इस फैसले ने पूरे एविएशन सेक्टर को चौंका दिया है। लाहौर एयरपोर्ट कोई साधारण हवाई अड्डा नहीं, बल्कि एक इंटरनेशनल कनेक्टिंग हब है, जहां से रोज़ाना दर्जनों फ्लाइट्स देश-विदेश के लिए उड़ान भरती हैं। अब सुबह के तीन घंटे, जब हवाई यात्रा सबसे ज्यादा होती है, वहां पर ऑपरेशन को पूरी तरह रोक देना, यह बताता है कि कहीं कुछ बहुत बड़ा डर समाया हुआ है। क्या पाकिस्तान में एविएशन सेफ्टी अब इतने नाज़ुक मोड़ पर आ गई है कि उड़ानों को बचाने के लिए उड़ान ही रोक दी जाए?

2020 की भयावह यादें: जब लाहौर की धरती ने 101 शवों को निगला था

पाकिस्तान में प्लेन क्रैश कोई नई बात नहीं, लेकिन लाहौर एयरपोर्ट की ज़मीन पर 2020 में जो हुआ, उसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। एक पैसेंजर विमान टेकऑफ के वक्त ही क्रैश हो गया था – हादसे में 101 लोगों की मौत हुई थी। सरकार ने उस हादसे को "ह्यूमन एरर" करार देकर अपनी जिम्मेदारी से हाथ झाड़ लिए थे। अब सवाल ये उठता है – क्या इस बार भी कोई ऐसा ही खतरा मंडरा रहा है? और क्या पाकिस्तान को डर है कि 2020 का काला इतिहास फिर से न दोहराया जाए? तो क्या पक्षी केवल बहाना हैं? या फिर पाकिस्तान की उड़ानें अब "खौफ के मौसम" में प्रवेश कर चुकी हैं?

सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, चीन भी डर गया!

इस सबके बीच चीन ने भी एक और चौंकाने वाला फैसला लिया है। चीन की विमानन अथॉरिटी ने आदेश जारी कर दिया है कि अब यात्री अपने साथ फ्लाइट में पावरबैंक नहीं ले जा सकते। चीन की दलील है कि जैसे ही विमान उड़ान भरता है, पावरबैंक गर्म होने लगता है, और उससे ब्लास्ट का खतरा रहता है। यानी मोबाइल चार्ज करने की छोटी सी डिवाइस अब ‘हवा में बम’ मानी जा रही है। ये फैसला भी दर्शाता है कि अब एविएशन दुनिया में खतरे सिर्फ आतंकवाद या तकनीकी फेल्योर से नहीं, बल्कि आम चीज़ों और जीवों से भी पैदा हो रहे हैं।

क्या अब उड़ानें परिंदों और पॉवरबैंकों के रहमो-करम पर होंगी?

एक ओर पाकिस्तान जहां परिंदों से डरा बैठा है, वहीं चीन मोबाइल चार्जर से खौफ खा रहा है। दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाएं और सरकारें, अब उन चीज़ों से परेशान हैं, जिनका जिक्र पहले सिर्फ कॉमिक्स में होता था। लेकिन इसके पीछे असली चिंता यह है कि तकनीकी और मेंटेनेंस का जो स्तर होना चाहिए, वो नहीं है। पाकिस्तान जैसे देश में जहां कई विमानों के पायलटों की डिग्रियां तक फर्जी पाई गईं, वहां अब हादसे रोकने के लिए उड़ानें ही रोकी जा रही हैं। यह उड़ानों की सुरक्षा नहीं, बल्कि उड़ानों की पराजय है।

लाहौर एयरपोर्ट अब डर का दूसरा नाम?

अब से हर सुबह जब आप लाहौर एयरपोर्ट पर जाएंगे, तो रनवे खाली मिलेगा, टर्मिनल शांत मिलेगा, और आसमान में परिंदों का राज मिलेगा। पाकिस्तान ने 'सुरक्षा' के नाम पर उड़ानों को स्थगित कर दिया, लेकिन क्या यही असली समाधान है? क्या आने वाले दिनों में कराची, इस्लामाबाद या पेशावर में भी ऐसा ही होगा? क्या पाकिस्तान का एविएशन सिस्टम अब खुद ही कबूल कर रहा है कि वह हवाई सुरक्षा में फेल हो चुका है?

परिंदों से डरे मुल्क का प्लेन कैसे लेगा भरोसे की उड़ान?

जब कोई सरकार अपनी उड़ानों को परिंदों की उड़ानों से बचाने के लिए रनवे बंद कर दे, तो समझ लीजिए कि वहां सिर्फ उड़ान नहीं थमी है, आत्मविश्वास भी गिर चुका है। और पाकिस्तान में यही हो रहा है। अब देखना यह है कि क्या परिंदों के बाद बादलों, हवा और मौसम को भी दुश्मन घोषित किया जाएगा? या फिर पाकिस्तान अपने भीतर के सिस्टम को सुधारने की हिम्मत जुटाएगा? फिलहाल तो सवालों के जवाब नहीं... लेकिन डर साफ़ दिख रहा है – और वो डर आसमान में नहीं, बल्कि जमीन पर है।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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