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America Shutdown का खतरा! ये 'बिल' बना अड़चन... अब ट्रंप पर है पूरी दुनिया की निगाहें
US Shutdown Crisis: अमेरिका में सरकारी शटडाउन का खतरा गहरा गया है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच टकराव से सरकार ठप हो सकती है। इसका असर न सिर्फ अमेरिकी जनता बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
US shutdown crisis 2025: वॉशिंगटन से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने पूरे अमेरिका को बेचैन कर दिया है। दुनिया की सबसे बड़ी ताकत मानी जाने वाली अमेरिकी सरकार अब बंद होने के खतरे के मुहाने पर खड़ी है। आम जनता से लेकर व्हाइट हाउस तक, हर कोई इस सवाल में उलझा है कि अगर आधी रात के बाद सरकार ठप हो गई तो हालात कैसे होंगे? यह स्थिति केवल अमेरिकी राजनीति का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और बाजार पर पड़ सकता है।
आखिरी कोशिश भी नाकाम
मंगलवार देर शाम अमेरिकी सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी ने एक अस्थायी बिल पास कराने की कोशिश की। यह बिल 21 नवंबर तक सरकार को चलाने के लिए फंडिंग देने का प्रस्ताव था। लेकिन यह कोशिश विफल रही। वोटिंग में बिल को सिर्फ 45 वोट मिले, जबकि पास होने के लिए 60 वोटों की ज़रूरत थी। डेमोक्रेट्स के पास पर्याप्त संख्या बल है और उन्होंने साफ कर दिया है कि उनकी शर्तें पूरी किए बिना कोई भी बिल पारित नहीं होने देंगे।
घड़ी की टिक-टिक और आधी रात का डर
सरकार का खर्च आधी रात 12 बजकर 1 मिनट पर खत्म हो जाएगा। अगर तब तक कोई फैसला नहीं हुआ तो औपचारिक रूप से सरकारी शटडाउन लागू हो जाएगा। यह पिछले सात सालों में पहला मौका होगा जब अमेरिका इस हालात का सामना करेगा। जैसे ही घड़ी की सुई 12 पार करेगी, व्हाइट हाउस का बजट ऑफिस एक आधिकारिक मेमो जारी करेगा और उसी पल से हजारों सरकारी दफ्तरों के ताले पड़ जाएंगे।
असली लड़ाई कहां अटकी?
यह विवाद केवल पैसों पर नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें कहीं गहरी हैं। रिपब्लिकन पार्टी चाहती है कि सरकार को तुरंत चलाने के लिए “क्लीन बिल” पास हो, जिसमें कोई विवादास्पद शर्त न हो। लेकिन डेमोक्रेट्स कह रहे हैं कि जब तक स्वास्थ्य सेवाओं (हेल्थकेयर) पर खर्च बढ़ाने की उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वे किसी बिल को पास नहीं होने देंगे। यही वजह है कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे के सामने अड़ी हुई हैं और कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है।
जनता पर क्या असर पड़ेगा?
अगर आधी रात को सरकार बंद हो गई तो असर सीधे-सीधे आम जनता पर पड़ेगा। लगभग 7.5 लाख सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरियों से अस्थायी तौर पर बाहर कर दिए जाएंगे। सेना और ज़रूरी सेवाओं में लगे लोग बिना वेतन के काम करेंगे, जबकि बाकी गैर-ज़रूरी कर्मचारी घर भेज दिए जाएंगे। इसका असर न केवल सरकारी कामकाज पर पड़ेगा, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अहम डेटा का प्रवाह भी रुक जाएगा, जिससे बाजार में भारी अस्थिरता आ सकती है।
ट्रंप की धमकी और सोशल मीडिया पर तंज
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि अगर शटडाउन हुआ तो उनकी सरकार बड़ी संख्या में कर्मचारियों को “अलविदा” कह देगी। यानी कई कर्मचारियों की नौकरी पर स्थायी खतरा मंडरा रहा है। इतना ही नहीं, व्हाइट हाउस में बिपार्टिसन (दोनों दलों की) बैठक भी बेनतीजा रही। बैठक के बाद डेमोक्रेटिक लीडर चक शूमर ने कहा कि रिपब्लिकन उन्हें “धमकाने” की कोशिश कर रहे हैं। वहीं ट्रंप ने मीटिंग के बाद सोशल मीडिया पर एक फेक वीडियो शेयर कर डेमोक्रेट्स का मजाक उड़ाया और लिखा, “उन्होंने चुनाव भारी अंतर से हारा है, लेकिन अब भी सुधरने को तैयार नहीं हैं।”
क्या कोई रास्ता निकलेगा?
फिलहाल हालात बेहद गंभीर हैं। एक तरफ रिपब्लिकन कह रहे हैं कि उनका प्रस्ताव पूरी तरह निष्पक्ष है और इसमें किसी विवाद की गुंजाइश नहीं है, वहीं डेमोक्रेट्स ज़ोर दे रहे हैं कि जब तक हेल्थकेयर और दूसरी ज़रूरी सेवाओं पर उनका पक्ष शामिल नहीं होगा, तब तक वे झुकेंगे नहीं।
पूरी दुनिया की नज़रें अमेरिका पर
अमेरिका का सरकारी शटडाउन सिर्फ उसके नागरिकों तक सीमित नहीं है। इसकी गूंज पूरी दुनिया तक सुनाई देगी। आर्थिक बाजारों में अनिश्चितता, निवेशकों की चिंता और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर इसका असर साफ दिखाई देगा। आधी रात से पहले अगर कोई समाधान नहीं निकलता, तो यह अमेरिकी राजनीति के लिए बड़ा झटका होगा और दुनिया के लिए भी एक चेतावनी कि सबसे ताकतवर देश भी राजनीतिक टकराव के सामने लाचार हो सकता है।
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