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आसिम मुनीर को मिलेगी बेहिसाब ताकत, Pak का बड़ा फैसला, भारत पर मंडराया बड़ा खतरा
पाकिस्तान में एक बड़े संवैधानिक संशोधन की तैयारी चल रही है, जिससे सेना प्रमुख आसिम मुनीर को बेहिसाब ताकत मिलने वाली है। शाहबाज़ शरीफ़ सरकार के इस कदम से भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि यह बदलाव सेना के राजनीतिक प्रभाव को और मज़बूत कर सकता है।
Pakistan constitutional amendment: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान एक बड़े और गोपनीय संवैधानिक बदलाव की तैयारी में है, जिसका सीधा असर देश की राजनीति और सेना प्रमुख आसिम मुनीर की शक्ति पर पड़ सकता है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान अपने संविधान में संशोधन करने जा रहा है, जिसका उद्देश्य सेना प्रमुख की स्थिति और अधिकार को और ज़्यादा मज़बूत बनाना है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर में तगड़ा झटका खाने के बाद पाकिस्तान ने आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल का पद दिया था। इसके बाद से ही मुनीर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ कई विदेशी दौरों पर जा चुके हैं, यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें व्हाइट हाउस में लंच के लिए भी बुलाया था, जो उनकी बढ़ती वैश्विक प्रोफाइल को दर्शाता है।
संवैधानिक गोपनीयता का खुलासा: बिलावल भुट्टो ने किया ट्वीट
पाकिस्तान के इस बड़े संवैधानिक संशोधन की जानकारी हैरान करने वाले तरीके से सामने आई। यह खुलासा किसी सरकारी बयान से नहीं, बल्कि पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के मुखिया बिलावल भुट्टो ज़रदारी के एक ट्वीट से हुआ। बिलावल ने अपने ट्वीट में बताया कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने 27वें संविधान संशोधन के लिए उनकी पार्टी से समर्थन मांगा है। यह संशोधन मुख्य रूप से संवैधानिक अदालतों और जजों के ट्रांसफर संबंधी प्रावधानों से जुड़ा है। हालांकि, सबसे ज़्यादा सवाल और संदेह आर्टिकल 243 में संभावित बदलावों को लेकर उठ रहे हैं, जिसे लेकर शरीफ़ सरकार पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है।
क्या है आर्टिकल 243? सेना की कमांड और कंट्रोल पर बदलाव
पाकिस्तानी संविधान का आर्टिकल 243 सैन्य बलों की कमांड और कंट्रोल से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में, यह आर्टिकल कहता है कि संघीय सरकार (सिविलियन नेतृत्व) सैन्य बलों पर नियंत्रण रखेगी और उन्हें कमांड देगी। माना जा रहा है कि शरीफ़ सरकार इसी आर्टिकल 243 में बदलाव का प्रस्ताव ला सकती है। यदि यह प्रस्ताव संसद में पास हो जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे:
मुनीर की स्थिति मजबूत: सेना प्रमुख आसिम मुनीर की पोजीशन और पॉवर और ज़्यादा पुख्ता हो जाएगी।
सिविलियन मामलों में दखल: सिविलियन (नागरिक) मामलों में सेना की दखलअंदाज़ी और प्रभाव बढ़ने का अंदेशा है। पाकिस्तान जैसे देश में, जहां सेना का राजनीतिक हस्तक्षेप हमेशा से रहा है, यह बदलाव देश के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
फील्ड मार्शल का पद और मुनीर का अस्पष्ट भविष्य
भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान ने अपनी सैन्य शक्ति को मज़बूत दिखाने के लिए आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल का पद दिया था। वह यह पद पाने वाले अयूब खान के बाद पाकिस्तानी सेना के मात्र दूसरे सेना प्रमुख हैं। हालांकि, यहां एक बड़ा विरोधाभास है, पाकिस्तान के संविधान में फील्ड मार्शल की रैंक का कोई कानूनी स्टेटस नहीं है। आधिकारिक रिकॉर्ड में इस पद की कोई वैधानिक मान्यता नहीं है। ऐसे में मुनीर का राजनीतिक भविष्य भी अस्पष्ट बना हुआ है। आधिकारिक तौर पर मुनीर इस साल 28 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं, लेकिन संवैधानिक संशोधन उनकी सेवा अवधि और पद को कानूनी आधार प्रदान कर सकता है।
भारत के लिए कितनी चिंता की बात?
पाकिस्तान में चल रही इन गतिविधियों पर भारत की भी पैनी नज़र है। यह देखते हुए कि संविधान संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की ज़रूरत है, शरीफ़ सरकार पीपीपी और अन्य दलों का समर्थन जुटाने में लगी हुई है। पाकिस्तान में पहले भी ऐसे संशोधनों से विधायिका, न्यायपालिका और सेना के बीच शक्ति संतुलन को प्रभावित किया गया है।
भारत के लिए चिंता का मुख्य कारण सेना प्रमुख आसिम मुनीर का हमेशा से रहा भारत विरोधी रवैया है। मुनीर लगातार भारत को गीदड़भभकी देते रहे हैं और कश्मीर को लेकर उनके बयान भी उकसाने वाले रहे हैं। अगर संवैधानिक बदलाव के बाद मुनीर की ताकत बढ़ती है और सिविलियन मामलों पर उनका नियंत्रण बढ़ता है, तो इससे सीमा पर तनाव बढ़ने की आशंका पैदा हो सकती है। भारत को इस बात पर ध्यान देना होगा कि पाकिस्तान की यह आंतरिक शक्ति-बढ़ोतरी क्षेत्रीय स्थिरता को किस तरह प्रभावित करती है।
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