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आयतुल्लाह: ईरान के सर्वोच्च नेता और पूर्ण नियंत्रण का चेहरा

Ayatollah : ईरान में आयतुल्लाह बेहद अहम् भूमिका रखते हैं उनकी भू-राजनीतिक दिशा तय करने में भी काफी अहम भूमिका होती है। आइये जानते हैं क्यों होते हैं ये ईरान के सुप्रीम लीडर।

Neel Mani Lal
Published on: 18 Jun 2025 4:46 PM IST
Ayatollah
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Ayatollah (Image Credit-Social Media)

Ayatollah: ईरान और इज़राइल के बीच तनाव जिस तरह से बढ़ रहा है—ड्रोन हमलों, साइबर युद्ध और सैन्य जमावड़ों के चलते पूरा क्षेत्र हिल गया है—वैश्विक नजरें एक बार फिर उस धार्मिक नेतृत्व पर टिक गई हैं, जो ईरान की भू-राजनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाता है: आयतुल्लाह। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा था कि मौजूदा आयतुल्लाह ही असली निशाना हैं और उन्हें बिना शर्त आत्मसमर्पण करना चाहिए। आयतुल्लाह, खासकर सुप्रीम लीडर, केवल प्रतीकात्मक धार्मिक व्यक्ति नहीं होते; वे चोगा पहने हुए रणनीतिक सेनापति होते हैं, जो धर्मशास्त्र, राष्ट्रवाद और व्यवहारवादी राजनीति के मिश्रण से नीतियाँ गढ़ते हैं।

आयतुल्लाह कौन होता है?


आयतुल्लाह शिया मुस्लिम धर्मगुरुओं को दिया जाने वाला एक उच्च धार्मिक पद है, जो इस्लामी कानून, दर्शन और नैतिकता में असाधारण विद्वत्ता का संकेत देता है।अरबी में इसका अर्थ है “ईश्वर का चिन्ह”। शिया पंथ में आयतुल्लाह सबसे पूजनीय और प्रभावशाली होते हैं, और करोड़ों अनुयायियों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक माने जाते हैं। इनमें सबसे शक्तिशाली हैं ईरान के सुप्रीम लीडर, वर्तमान में आयतुल्लाह अली खामेनेई, जो वली अल-फकीह (इस्लामी न्यायविद का संरक्षक) के पद पर आसीन हैं। यह पद केवल धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक अधिकारों से भी युक्त है।

ईरान में धर्मतांत्रिक शासन की उत्पत्ति

ईरान में धर्मगुरुओं के सत्ता में आने की जड़ें 1979 की इस्लामी क्रांति में हैं, जब आयतुल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी ने अमेरिका समर्थित सम्राट शाह रज़ा पहलवी की राजशाही को गिरा दिया। खोमैनी ने विलायत-ए-फकीह (इस्लामी न्यायविद का संरक्षण) का सिद्धांत प्रस्तुत किया—जिसमें यह विचार था कि राज्य को एक वरिष्ठ इस्लामी विद्वान के नियंत्रण में रहना चाहिए ताकि शासन इस्लामी सिद्धांतों के अनुरूप रहे।


क्रांति के बाद ईरान ने एक अनूठी राजनीतिक व्यवस्था अपनाई—जहां लोकतंत्र के साथ-साथ धर्मतंत्र का भी समावेश है। यद्यपि राष्ट्रपति और संसद का चुनाव जनता करती है, लेकिन सर्वोच्च अधिकार सुप्रीम लीडर के पास होता है, जिसे Assembly of Experts (धार्मिक विद्वानों की परिषद) द्वारा चुना जाता है।

सुप्रीम लीडर की शक्तियाँ

वर्तमान सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई के पास ईरानी संविधान द्वारा दिए गए विशाल अधिकार हैं:

• सशस्त्र सेनाओं और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के सर्वोच्च सेनापति

• युद्ध और शांति की घोषणा का अधिकार

• न्यायपालिका प्रमुख, सैन्य प्रमुखों और राज्य मीडिया के निदेशकों की नियुक्ति

• विदेशी नीति और परमाणु रणनीति पर नियंत्रण

• सेंसरशिप, नागरिक स्वतंत्रता और धार्मिक नीति पर अंतिम निर्णय

व्यवहार में, सुप्रीम लीडर, निर्वाचित राष्ट्रपति और संसद से कहीं अधिक शक्तिशाली होते हैं, और देश की दिशा तय करते हैं—चाहे वह आंतरिक विरोध हो या क्षेत्रीय युद्ध।

ईरान-इज़राइल संघर्ष और आयतुल्लाह की भूमिका


जब इज़राइल के साथ छाया युद्ध (shadow war) खुली झड़पों में बदलता जा रहा है—सीरिया, लेबनान और लाल सागर क्षेत्रों तक—आयतुल्लाह खामेनेई और धार्मिक नेतृत्व की भूमिका निर्णायक हो जाती है। वे हिज़्बुल्लाह, हमास, और हूथी जैसे संगठनों को समर्थन देकर “Axis of Resistance” की रणनीति को बढ़ावा देते हैं, जिसमें इज़राइल को इस्लामी दुनिया में पश्चिमी कब्जे के रूप में दिखाया जाता है। परमाणु नीति को भी वही तय करते हैं, जिसे एक निरोधक शक्ति और संप्रभुता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

आंतरिक दबाव और जन असंतोष

हालाँकि आयतुल्लाह IRGC और खुफिया एजेंसियों के जरिए सत्ता पर कड़ा नियंत्रण रखते हैं, फिर भी उन्हें भीतर से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक संकट, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध, और 2022 की महसा अमीनी आंदोलन जैसे युवा-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों ने धर्मतांत्रिक तंत्र पर दबाव बढ़ा दिया है। हालांकि जब बाहर से खतरा आता है—जैसे इज़राइल या अमेरिका—तब ईरान की सत्ता और अधिक सख्ती से एकजुट हो जाती है।

आयतुल्लाह का जीवन-शैली और वास्तविक चेहरा

जनता के समक्ष आयतुल्लाह स्वयं को सादगी और तपस्या के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करते हैं—सादा वस्त्र, सामान्य आवास और विद्वत्तापूर्ण आचरण। राज्य मीडिया इस छवि को मजबूत करता है। लेकिन निर्वासित आलोचक और लीक हुई रिपोर्ट्स एक दूसरा चित्र प्रस्तुत करती हैं। अली खामेनेई को एक वित्तीय साम्राज्य का संचालनकर्ता बताया जाता है, जिसकी अनुमानित संपत्ति दर्जनों अरब डॉलर है—जो सेताद (Setad) नामक संगठन के जरिए संचालित होती है। यह संगठन 1980 के दशक से असहमत लोगों और अल्पसंख्यकों की ज़मीन और संपत्ति जब्त कर रहा है।

जहाँ आधिकारिक तस्वीरों में सादे मकान दिखते हैं, वहीं जानकारों का दावा है कि खामेनेई के पास विशेष सुरक्षा बलों से संरक्षित भव्य परिसर हैं। विदेशी पत्रकारों को इनके निजी घेरे में बहुत कम प्रवेश मिलता है। उन्हें विशेष डॉक्टरों से उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा मिलती है, और यात्रा भी आमतौर पर गुप्त रूप से होती है—कभी-कभी कूटनीतिक माध्यमों से विदेश यात्रा भी की जाती है। फिर भी, आयतुल्लाह दिखावटी विलासिता से बचते हैं ताकि उनकी धार्मिक छवि और वैधता बरकरार रहे।

आयतुल्लाह कैसे बनते हैं?

आयतुल्लाह बनने के लिए एक मौलवी को दशकों तक ‘हौज़ा’ (इस्लामी मदरसा) में अध्ययन करना होता है, खासकर ईरान के धार्मिक केंद्र क़ुम में। जब अन्य विद्वान यह मान लें कि वह इज्तेहाद (इस्लामी कानून में स्वतंत्र विवेक) के स्तर पर पहुँच गया है, तब वह आयतुल्लाह की उपाधि पा सकता है। सुप्रीम लीडर बनने की प्रक्रिया और भी राजनीतिक होती है।


Assembly of Experts, यानी वरिष्ठ धर्मगुरुओं की एक निर्वाचित परिषद, सुप्रीम लीडर का चुनाव करती है—सैद्धांतिक रूप से धार्मिक योग्यता और नेतृत्व क्षमता के आधार पर। लेकिन वास्तव में यह चुनाव अक्सर आंतरिक सत्ता समीकरण, रूढ़िवादी विचारधारा, और IRGC के प्रभाव पर निर्भर होता है। एक बार चुने जाने के बाद, सुप्रीम लीडर आजीवन पद पर बना रहता है, जब तक कि Assembly of Experts द्वारा बर्खास्त न कर दिया जाए—जो ईरान के इतिहास में आज तक कभी नहीं हुआ।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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