इतना ज्यादा सस्ता इंटरनेट! सिर्फ इतने रुपए मिलेगा अनलिमिटेड डाटा, भारत में आ रहा है Starlink, गांव-गांव होगा तेज़ स्पीड का धमाका

Starlink Launching in India: लन मस्क की यह सैटेलाइट इंटरनेट सेवा अब भारत के बेहद करीब है। सरकार ने स्टारलिंक को GMPCS (Global Mobile Personal Communication by Satellite) लाइसेंस दे दिया है। अब बस एक अंतिम मंजूरी बाकी है IN-SPACE की तरफ से।

Harsh Srivastava
Published on: 6 Jun 2025 5:14 PM IST (Updated on: 6 Jun 2025 8:02 PM IST)
Starlink Launching in India
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Starlink Launching in India

Starlink launching in India: जब आसमान से बरसने लगे इंटरनेट, तो क्रांति सिर्फ शहरों तक नहीं रुकती, वो खेतों, पहाड़ों, जंगलों और सीमाओं तक पहुंचती है। भारत की डिजिटल यात्रा अब जमीन से निकलकर अंतरिक्ष में उड़ान भरने को तैयार है और इस क्रांति का नाम है Starlink। एलन मस्क की यह सैटेलाइट इंटरनेट सेवा अब भारत के बेहद करीब है। सरकार ने स्टारलिंक को GMPCS (Global Mobile Personal Communication by Satellite) लाइसेंस दे दिया है। अब बस एक अंतिम मंजूरी बाकी है IN-SPACE की तरफ से। ये मंजूरी मिलते ही देश के सुदूर गांवों से लेकर रेगिस्तानी चौकियों तक, इंटरनेट की पहुंच आसान और तेज़ हो जाएगी। और सबसे बड़ा सवाल क्या इससे मोबाइल और इंटरनेट रिचार्ज सस्ते होंगे? इसका जवाब भी चौंकाने वाला है!आसमान से इंटरनेट की बौछार

Starlink पहले से ही दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में काम कर रही है। इसका मॉडल सीधा है हजारों छोटे-छोटे सैटेलाइट्स पृथ्वी की कक्षा में तैरते हैं और ज़मीन पर मौजूद रिसीवर डिवाइसेज से जुड़कर हाई-स्पीड इंटरनेट देते हैं। भारत में इसके आने का मतलब है अब आपको इंटरनेट के लिए टावर या केबल की जरूरत नहीं होगी, बस एक Starlink डिश और खुला आसमान चाहिए। पहाड़ों के बीच बसे गांव, जंगलों के किनारे बने स्कूल, दूरदराज के फार्म हाउस, सीमा पर तैनात सैनिक अब सबको वही स्पीड मिलेगी, जो आज मेट्रो शहरों में है।

Starlink को मिली बड़ी मंजूरी, अब बस एक कदम बाकी

भारत सरकार ने स्टारलिंक को GMPCS लाइसेंस तो दे दिया है, लेकिन कंपनी को अब IN-SPACe यानी Indian National Space Promotion and Authorization Center से अंतिम स्वीकृति लेनी है। ये प्रक्रिया सैटेलाइट सेवा के संचालन और लॉन्च से पहले की तकनीकी और सुरक्षा जांच होती है। जैसे ही ये अंतिम मंजूरी मिलती है, स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं शुरू कर सकता है और तब हमारे इंटरनेट खर्च और एक्सेस का पूरा खेल बदल जाएगा।

एक नहीं, तीन दिग्गज मैदान में

भारत में अब OneWeb (भारतीय कंपनी भारती ग्रुप की साझेदारी), Reliance Jio Satellite, और अब Starlink ये तीन बड़ी कंपनियां सैटेलाइट इंटरनेट की दौड़ में हैं। इनके अलावा Amazon भी अपनी Project Kuiper के ज़रिए भारत में उतरने की तैयारी कर रहा है। इसका सीधा मतलब है प्रतिस्पर्धा होगी, कीमतें गिरेंगी, और लोगों को मिलेगा ज़्यादा डेटा, तेज़ स्पीड, कम खर्च में।

तो क्या मोबाइल रिचार्ज सस्ते होंगे?

अब आते हैं सबसे दिलचस्प सवाल पर क्या Starlink के आने से मोबाइल रिचार्ज और इंटरनेट प्लान्स सस्ते होंगे? जवाब है – *हां, लेकिन थोड़ा इंतज़ार करना होगा। Starlink जैसी कंपनियां फिलहाल ब्रॉडबैंड जैसी सेवाएं देंगी, यानी सीधे घर या व्यवसाय पर इंटरनेट कनेक्शन। लेकिन जैसे ही Starlink, Reliance और OneWeb जैसी कंपनियों की नेटवर्क पहुंच बढ़ेगी, और उनके प्लान्स मोबाइल नेटवर्क से भी कनेक्ट होंगे (या उनका साथ देंगे), तब 4G/5G सेवा देने वाली कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा।

इससे होगा ये:

Airtel और Jio जैसी कंपनियों को अपने डेटा प्लान्स की कीमत कम करनी पड़ सकती है।

दूरदराज इलाकों में नेटवर्क न होने पर लोग Starlink चुन सकते हैं।

इंटरनेट कनेक्शन की मोबाइल इंडिपेंडेंसी बढ़ेगी।

यानि आज जो प्लान आप 239 रुपये में खरीदते हैं, कल वही या बेहतर प्लान आपको 150-180 रुपये में मिल सकता है प्रतिस्पर्धा के कारण।

Starlink के प्लान्स की कीमत

Starlink भारत में प्रमोशनल ऑफर के तहत -$10 (लगभग ₹840) में अनलिमिटेड डेटा वाला प्लान देने की तैयारी में है। यह कीमत एक डील ब्रेकर हो सकती है खासकर गांवों और छोटे कस्बों में, जहां अभी भी सीमित डेटा वाले मोबाइल प्लान ही विकल्प हैं। लेकिन एक पेंच है Starlink की *डिवाइस (डिश और रिसीवर सेट) की कीमत अभी भी ₹40,000 से ₹60,000 के बीच हो सकती है। यही वजह है कि सेवा भले सस्ती हो, लेकिन शुरुआती खर्च भारी पड़ेगा। हालांकि कंपनी भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील बाज़ार के लिए विशेष सब्सिडी या ईएमआई स्कीम ला सकती है। अगर Starlink डिवाइस की कीमत कम हो गई या सरकार ने रूरल कनेक्टिविटी के लिए सब्सिडी दी, तो यह सेवा भारतीय इंटरनेट बाजार की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।

भारत में डिजिटल डिवाइड का इलाज?

आज भी भारत के लाखों लोग इंटरनेट से वंचित हैं – ना टावर, ना केबल, ना डेटा। सरकारी योजनाएं जैसे भारतनेट, PM-WANI जैसी कोशिशें तो हुई हैं, लेकिन पहुंच अब भी अधूरी है। Starlink जैसे सैटेलाइट-आधारित प्लेटफॉर्म उन जगहों तक इंटरनेट पहुंचा सकते हैं जहां कोई ऑपरेटर नहीं पहुंच सका। नक्सल प्रभावित क्षेत्र, हिमालय की घाटियां, राजस्थान का रेगिस्तान, या अरुणाचल का बॉर्डर अब हर जगह होगा तेज़ इंटरनेट। इसका असर सिर्फ नेटफ्लिक्स या यूट्यूब पर नहीं, बल्कि बच्चों की पढ़ाई, ग्रामीण ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन हेल्थकेयर और लोकल स्टार्टअप्स तक पड़ेगा।

इंटरनेट क्रांति या डिवाइस धोखा?

Starlink को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या भारत जैसे देश में लोग ₹50,000 की डिवाइस खरीद पाएंगे? यही वजह है कि कंपनी को भारत में लो-कॉस्ट या रेंटल मॉडल पर काम करना होगा। जैसे टीवी DTH सर्विस की तरह Starlink की डिश भी किराए पर मिले, तो यह ज़्यादा लोकप्रिय हो सकती है।इसके अलावा अगर गांवों में एक डिश से पूरी पंचायत को कनेक्ट करने का मॉडल अपनाया जाए, तो इसका सामूहिक फायदा लाखों लोगों को मिल सकता है।

आने वाला है ब्रॉडबैंड युद्ध

भारत में टेलीकॉम क्रांति पहले भी देखी जा चुकी है जियो की एंट्री ने डेटा को लगभग मुफ्त कर दिया था। अब सैटेलाइट इंटरनेट कंपनियां उसी क्रांति का नया अध्याय शुरू करने जा रही हैं। जैसे-जैसे OneWeb, Jio Satellite और Starlink आमने-सामने होंगे, कंपनियां अपने प्लान्स को और सस्ता और बेहतर बनाने की कोशिश करेंगी। इसका फायदा सीधे आम लोगों को मिलेगा।

आसमान से गिरा इंटरनेट, जेब पर पड़े हल्का!

Starlink के भारत में आने का मतलब सिर्फ एक नई कंपनी की एंट्री नहीं, बल्कि पूरे इंटरनेट बाजार का रीसेट है। वो लोग जो अब तक 1GB डेटा के लिए सोचते थे, अब अनलिमिटेड इंटरनेट से यूट्यूब, ऑनलाइन पढ़ाई, टेलीमेडिसिन, डिजिटल खेती, सब कुछ कर पाएंगे। भारत का अगला डिजिटल बूम अब केबल पर नहीं, बल्कि सैटेलाइट पर चलेगा। और जब इंटरनेट गिरेगा आसमान से, तब गांव की मिट्टी में भी स्टार्टअप्स पनपेंगे, और हर मोबाइल रिचार्ज पर मुस्कान बढ़ेगी। तैयार हो जाइए क्योंकि इंटरनेट अब तारे गिनकर नहीं, तारे भेजकर आएगा!

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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