रूस-चीन की जुगलबंदी से यूरोप चारों खाने चित, UNSC में ईरान को मिला बड़ा समर्थन, ट्रंप सकते में

वैश्विक शक्ति संघर्ष में रूस-चीन ने ईरान का समर्थन किया, यूरोप और अमेरिका पीछे हटे।

Shivam Srivastava
Published on: 2 Sept 2025 4:09 PM IST
रूस-चीन की जुगलबंदी से यूरोप चारों खाने चित, UNSC में ईरान को मिला बड़ा समर्थन, ट्रंप सकते में
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विश्व पटल पर इस समय एक नई जंग छिड़ चुकी है लेकिन यह जंग हथियारों की नहीं, कूटनीति, ऊर्जा और प्रभाव की है। अमेरिका ने रूस, चीन और ईरान को झुकाने के लिए चाल चली, भारत को मोहरा बनाया, और यूरोप को साथ लेकर वैश्विक संतुलन बदलने की कोशिश की। लेकिन अब हालात पूरी तरह पलट चुके हैं।

चीन में बनता नया गठबंधन, रूस और चीन की संयुक्त हुंकार, और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूरोप की पराजय यह सब कुछ संकेत दे रहा है कि दुनिया एक नए शक्ति संघर्ष की ओर बढ़ रही है, जहां अमेरिका और पश्चिमी देशों की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है।

चीन में हाल ही में हुई कूटनीतिक गतिविधियों के दौरान भारत, रूस और चीन के बीच नजदीकियां साफ दिखाई दीं। वहीं, ईरान और उत्तर कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष भी शीघ्र ही चीन की यात्रा पर पहुंचने वाले हैं। लेकिन इससे पहले ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए बड़ा झटका देने वाला कदम उठाया।

पश्चिमी देश, जो अब तक ईरान पर लगातार प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे थे, अब खुद कूटनीतिक संकट में घिरते नजर आ रहे हैं। ईरान के समर्थन में रूस और चीन ने ऐसा फैसला किया है, जिसका असर सीधे यूरोप पर पड़ेगा।

अमेरिका ने जिस यूरोप का हवाला देकर भारत पर पाबंदियां लगाईं, अब वही यूरोप रूस और चीन के निशाने पर आ गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य होने के नाते चीन और रूस ने यूरोपीय देशों द्वारा ईरान पर लगाए जाने वाले प्रस्तावित प्रतिबंधों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। इस कदम से ईरान को बड़ी राहत मिली है।

"ई-3" कहे जाने वाले देश फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन, ईरान पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाना चाहते थे और इसके लिए वे UNSC पहुंचे थे। लेकिन चीन और रूस ने इस प्रयास को पूरी तरह से अवैध और प्रक्रियात्मक रूप से गलत बताते हुए खारिज कर दिया। तीनों देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा संयुक्त रूप से जारी पत्र में कहा गया कि तथाकथित "स्नैपबैक मैकेनिज्म" के तहत प्रतिबंधों की स्वत: पुनर्बहाली का प्रयास अंतरराष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद की प्रक्रिया के खिलाफ है।

गौरतलब है कि चीन, रूस और ये तीनों यूरोपीय देश 2015 के ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) के हस्ताक्षरकर्ता रहे हैं। जबकि डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में अमेरिका को इस समझौते से अलग कर दिया था। अब यूरोपीय देश ईरान पर इस समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए "स्नैपबैक" प्रक्रिया फिर से शुरू करना चाहते हैं, ताकि प्रतिबंध बहाल किए जा सकें।

हालांकि, ईरान ने इस कदम को सिरे से खारिज कर दिया है। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जारी अपने पत्र में कहा है कि यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अधिकारों का दुरुपयोग है।

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Shivam Srivastava

Shivam Srivastava is a multimedia journalist with over 4 years of experience, having worked with ANI (Asian News International) and India Today Group. He holds a strong interest in politics, sports and Indian history.

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