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दुनिया के सबसे ताकतवर देश में भारतीय मूल की इस 'मुस्लिम महिला' ने रच दिया इतिहास! ट्रंप को लगा एक और करारा झटका
डेमोक्रेट पार्टी की गजाला हाशमी ने वर्जीनिया की लेफ्टिनेंट गवर्नर रेस जीत ली है। हाशमी अब अमेरिका के किसी राज्य में चुनी जाने वाली पहली मुस्लिम महिला बन गई है, जिससे ट्रंप एक और बड़ा झटका लगा है।
Ghazala Hashmi, US
Ghazala Hashmi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अब केवल न्यूयॉर्क में भारतवंशी जोहरान ममदानी की जीत से ही झटका नहीं लगा, बल्कि एक और भारतीय मूल की नेता ने उन्हें बड़ा राजनीतिक झटका दिया है। यह खबर आई है वर्जीनिया से, जहां डेमोक्रेट पार्टी की गजाला हाशमी ने लेफ्टिनेंट गवर्नर का चुनाव जीत लिया है. हाशमी ने रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन रीड को कड़े मुकाबले में हराकर इतिहास रच दिया. उन्हें 52.4% वोट मिले हैं.
अमेरिका में एक बार फिर भारतीय मूल की मुस्लिम महिला ने परचम लहराया है। न्यूयॉर्क में भारतवंशी जोहरान ममदानी के मेयर बनने के कुछ ही दिनों बाद अब वर्जीनिया से बहुत बड़ी खबर सामने आई है। डेमोक्रेटिक पार्टी की गजाला हाशमी (Ghazala Hashmi) ने लेफ्टिनेंट गवर्नर के चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है। वे अमेरिका के किसी भी राज्य में इस पद पर चुनी जाने वाली 'पहली मुस्लिम महिला' बन गई हैं।
इस जीत से न सिर्फ अमेरिकी राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी यह एक और बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है। ट्रंप पहले से ही न्यूयॉर्क में जोहरान ममदानी की जीत के कारण चर्चा में बने हुए थे, और अब हैदराबाद मूल की 'गजाला हाशमी' की जीत ने डेमोक्रेट्स का आत्मविश्वास और मजबूत कर दिया है।
52.4% वोट हासिल कर रचा इतिहास
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गजाला हाशमी ने रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन रीड को बड़े मुकाबले में मात देकर जीत दर्ज की। उन्हें कुल 52.4% वोट प्राप्त हुए। खास बात यह है कि जॉन रीड वर्जीनिया के पहले खुले तौर पर समलैंगिक उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए थे। अब गजाला हाशमी वर्जीनिया सीनेट की अध्यक्षता का पदभार संभालेंगी और सदन में बराबरी की स्थिति होने पर निर्णायक वोट डालने का अधिकार भी रखती हैं।
उनकी जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब वर्जीनिया सीनेट में डेमोक्रेट्स का बहुमत सिर्फ 20-19 का रह गया है। गजाला की अनुपस्थिति में यह संतुलन कुछ अनियंत्रित हो सकता था, इसलिए उनकी जीत डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए जीवनरेखा जैसी है।
साल 2019 में भी बनाया था रिकॉर्ड
यह पहली बार नहीं है जब गजाला हाशमी ने इतिहास रचा हो। उन्होंने साल 2019 में वर्जीनिया सीनेट चुनाव में जीत हासिल के राज्य की पहली मुस्लिम और भारतीय मूल की सीनेटर बनने का गौरव हासिल किया था। उस वक़्त उन्होंने अपने अभियान में ट्रंप प्रशासन के ‘मुस्लिम बैन’ का आगे आकर विरोध किया था और यही उनका सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनकर सामने आया था।
गजाला हाशमी का अबतक का सफर
जानकारी के अनुसार, गजाला हाशमी का जन्म 5 जुलाई 1964 को भारत के हैदराबाद में हुआ था। जब वे केवल 4 साल की थीं, तब अपने परिवार के साथ अमेरिका में बस गईं। उनके पिता उस वक़्त जॉर्जिया में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में PHD कर रहे थे। गजाला ने अपनी पढ़ाई जॉर्जिया साउदर्न यूनिवर्सिटी से की और ऑनर्स के साथ बीए की डिग्री हासिल ली। इसके बाद उन्होंने एमोरी यूनिवर्सिटी, अटलांटा से अमेरिकन लिटरेचर में PHD पूरा किया।
ट्रंप नीतियों के खिलाफ जमकर उठाई आवाज
अपने राजनीतिक करियर के दौरान गजाला हाशमी ने हमेशा शिक्षा, महिला अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को खुले तौर पर सभी के सामने रखा और आवाज़ उठाई। उन्होंने ट्रंप प्रशासन की कई नीतियों, विशेषकर मुस्लिम समुदाय और अप्रवासियों से संबंधित नीतियों का कड़े तौर पर विरोध किया।
इस चुनाव में भी उन्होंने सामाजिक समानता और शिक्षा सुधार के वादे के साथ प्रचार-प्रसार किया। वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी जॉन रीड ने पैरेंट्स राइट्स और ट्रांसजेंडर छात्रों के मुद्दों को भी उठाया, लेकिन उन्हें ट्रंप का औपचारिक रूप से समर्थन नहीं मिल सका।
गजाला की जीत से भारतीय समुदाय में खुशी की लहर
गजाला हाशमी की इस ऐतिहासिक जीत से भारतीय-अमेरिकी समुदाय में खुशी की लहर है। लोग इसे न सिर्फ एक महिला की सफलता बल्कि अमेरिका की राजनीति में विविधता और समावेशिता की जीत के रूप में देख रहे हैं।
बात दे, हैदराबाद से शुरू हुआ यह सफर आज वर्जीनिया के सत्ता गलियारों तक पहुंच चुका है। गजाला हाशमी अब नई पीढ़ी के लिए नई प्रेरणा बनकर सामने आयी हैं। यह साबित करते हुए कि मेहनत, शिक्षा और हिम्मत से विश्व का कोई भी मंच आपके लिए छोटा नहीं।
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