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अब तुर्की की खैर नहीं..! भारत ने ग्रीस-साइप्रस-आर्मेनिया के साथ बनाया 'वेस्ट एशिया क्वाड', ये नया गठबंधन बदल सकता है खेल
India Middle East Diplomacy: अब भारत भी इन्हीं देशों के साथ आकर तुर्की की घेराबंदी की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है।
India Middle East Diplomacy (PHOTO CREDIT: social media)
India Middle East Diplomacy: भारत अब पश्चिम एशिया में अपनी कूटनीतिक मौजूदगी को एक नए स्तर पर ले जाने की योजना बना रहा है। पाकिस्तान के घनिष्ठ सहयोगी तुर्की के खिलाफ भारत ने अब एक रणनीतिक घेरा बनाने की तैयारी में जुट गया है, जिसमें उसके साथ आर्मेनिया, ग्रीस और अब साइप्रस जैसे देश भी साथ आ रहे हैं।
हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच युद्ध की स्थिति बनने पर भारत ने संकट में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए जिस तरह से आर्मेनिया से मदद लिया, उसने भारत-आर्मेनिया संबंधों की मजबूती को दर्शाया। लगभग 110 भारतीय नागरिकों को नूरदुज-अगारक सीमा के रास्ते आर्मेनिया लाया गया और फिर उन्हें एक खास विमान की मदद से दिल्ली पहुंचाया गया।
इस सफल मिशन के पीछे भारत और आर्मेनिया के बीच हालिया सालों में तेजी से बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का हाथ है। इसी दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में साइप्रस की यात्रा भी की। बीते दो दशकों में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। साइप्रस की भौगोलिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो तुर्की, मिस्र, इजरायल और सीरिया-लेबनान के बेहद करीब में स्थित है।
तुर्की के खिलाफ भारत की रणनीतिक धुरी
आर्मेनिया, ग्रीस और साइप्रस — ये तीनों देश तुर्की के विस्तारवादी रवैये से बहुत दकक्तें झेल रहे हैं। अब भारत भी इन्हीं देशों के साथ आकर तुर्की की घेराबंदी की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। तुर्की ने हाल ही में पाकिस्तान को ड्रोन और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति कर भारत विरोधी रुख दिखाया था। इसके जवाब में भारत ने इन देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती देना शुरू किया है।
ग्रीस-तुर्की विवाद हुआ तेज
तुर्की द्वारा एजियन सागर के कुछ भागों को अपने समुद्री क्षेत्र में शामिल करने की कोशिश ग्रीस को कुछ खास पसंद नहीं आया है। ग्रीस ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तुर्की को घेरने की बड़ी चेतावनी दी है। दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा विवाद के कारण तनाव और ज्यादा बढ़ता जा रहा है।
साइप्रस पर तुर्की का अवैध कब्जा
साल 1974 में तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी भाग पर कब्जा कर जमा लिया था और अब तक वह क्षेत्र तुर्की के नियंत्रण में है। यह स्थिति साइप्रस को निरंतर अस्थिर किये हुए है। साइप्रस भी तुर्की की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षा को लेकर गंभीर चिंता में है।
आर्मेनिया-तुर्की का ऐतिहासिक विवाद
आर्मेनिया और तुर्की के बीच संबंध काफी लंबे वक़्त से तनावपूर्ण हैं। साल 1915 में हुए आर्मेनियाई नरसंहार की पीड़ा आज भी ताजा है। हाल ही में नागोर्नो-कराबाख विवाद में तुर्की ने अजरबैजान का खुलकर समर्थन किया, जिससे 1 लाख से ज्यादा जातीय आर्मेनियाई नागरिकों को अपने घर छोड़ने पड़ गए।
बता दे, भारत अब पश्चिम एशिया में एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में सामने आ रहा है। आर्मेनिया, ग्रीस और साइप्रस जैसे देशों के साथ सहयोग बढ़ाकर भारत न केवल अपने रणनीतिक हितों को मजबूत बना रहा है, बल्कि तुर्की-पाकिस्तान गठबंधन के खिलाफ भी एक मजबूती के साथ मोर्चा तैयार कर रहा है। आने वाले वक़्त में यह नया समीकरण पश्चिम एशिया की राजनीति में बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
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