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इजरायल के ऐलान से मचा बवाल! ईरान के लिए सबसे बुरी खबर, सीरिया से मिलाएगा हाथ? चारो तरग से घिरेगा Iran?

Israel Syria deal: वो दो देश जिनके जरिए ईरान इजराइल पर अपने ‘एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस’ का शिकंजा कसता रहा है। लेकिन जैसे ही सार ने अपनी बात खत्म की, उन्होंने एक और लाइन जोड़ी, जिसने सबकुछ उलट कर रख दिया—“गोलान हाइट्स पर कोई समझौता नहीं होगा।”

Harsh Srivastava
Published on: 1 July 2025 6:40 PM IST
इजरायल के ऐलान से मचा बवाल! ईरान के लिए सबसे बुरी खबर, सीरिया से मिलाएगा हाथ? चारो तरग से घिरेगा Iran?
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Israel Syria deal: यरुशलम की कड़कती दोपहर में जब इजराइल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने माइक पर आकर चौंकाने वाला ऐलान किया, तो पूरी दुनिया के कूटनीतिक हलकों में जैसे भूचाल आ गया। उन्होंने कहा, “हम अपने पुराने दुश्मनों सीरिया और लेबनान के साथ औपचारिक संबंध बनाना चाहते हैं।” हैरानी की बात यह नहीं थी कि इजराइल दोस्ती की पेशकश कर रहा है—बल्कि यह था कि वो सीरिया और लेबनान से! वो दो देश जिनके जरिए ईरान इजराइल पर अपने ‘एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस’ का शिकंजा कसता रहा है। लेकिन जैसे ही सार ने अपनी बात खत्म की, उन्होंने एक और लाइन जोड़ी, जिसने सबकुछ उलट कर रख दिया—“गोलान हाइट्स पर कोई समझौता नहीं होगा।” अब सवाल उठता है क्या यह वाकई शांति की पेशकश है? या फिर ईरान के खिलाफ इजराइल की अब तक की सबसे घातक रणनीति?

गोलान हाइट्स: वो चट्टान जो जंग बन सकती है

गोलान हाइट्स, सीरिया और इजराइल की सीमा पर बसा वो ऊंचाई वाला इलाका है, जो आज राजनीति का विस्फोटक प्वाइंट बन चुका है। 1967 के 6-दिवसीय युद्ध में जब इजराइल ने इस इलाके पर कब्जा किया था, तब से लेकर आज तक सीरिया इसे अपनी आत्मा का हिस्सा मानता है। वहीं इजराइल इसे अपनी सुरक्षा का ‘अटल स्तंभ’ कहता है। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ने इस पर इजराइल की संप्रभुता को मान्यता दी थी, जिसने सीरिया को और भड़का दिया। ऐसे में जब इजराइल दोस्ती की बात करता है लेकिन साथ में कहता है कि “गोलान नहीं छोड़ेंगे,” तो यकीनन इसका मतलब शांति नहीं—बल्कि प्रेशर डिप्लोमेसी है।

ईरान को चुप कराने की रणनीति?

सीरिया—केवल इजराइल का दुश्मन नहीं, बल्कि ईरान का भी सबसे जरूरी दरवाजा है। ईरान के हथियार, पैसे और ट्रेनिंग, सीरिया के रास्ते से ही लेबनान स्थित हिज़्बुल्लाह जैसे आतंकी संगठनों तक पहुंचते हैं। यही वजह है कि अगर इजराइल सीरिया से कोई डील करता है, तो ईरान का पूरा नेटवर्क खतरे में पड़ सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि यह घोषणा सिर्फ एक 'शांति प्रस्ताव' नहीं, बल्कि एक ट्रेप कार्ड है, जिसमें इजराइल सीरिया को लालच देकर ईरान से अलग करना चाहता है।

सीरिया ने पलटवार किया—"गोलान हमारा है!"

रॉयटर्स को दिए एक बयान में, एक वरिष्ठ सीरियाई अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा "गोलान हाइट्स हमारे दिल का हिस्सा है। हम इसे कभी नहीं छोड़ेंगे।" यानि इजराइल के प्रस्ताव को उसी वक्त खारिज कर दिया गया। लेकिन यह खारिज करना केवल कूटनीतिक बयान नहीं, बल्कि ये आने वाले टकराव की चेतावनी है।

क्या फिर से गर्म होगा मिडिल ईस्ट?

2020 में UAE, बहरीन और मोरक्को ने अमेरिका की मध्यस्थता से इजराइल से संबंध बनाए। लेकिन तब भी अरब जनता ने इसका जोरदार विरोध किया था। अब अगर इजराइल सीरिया और लेबनान से भी डील करता है—तो पश्चिम एशिया की राजनीति में एक महाविस्फोट तय है। क्योंकि ये वही देश हैं जहां ईरानी प्रभाव सबसे ज्यादा है।

गिदोन सार का 'डबल गेम'?

यरुशलम में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब इजराइली विदेश मंत्री गिदोन सार ने कहा— "हम अपने पड़ोसी सीरिया और लेबनान से शांति चाहते हैं, लेकिन सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं होगा," तो जानकारों ने इसे डिप्लोमेसी में हथियारबंद भाषा करार दिया। क्योंकि "शांति" का मतलब अगर जमीन नहीं छोड़ना है, तो फिर यह शांति नहीं—कूटनीतिक दबाव है। और वह भी तब जब इजराइल को अमेरिका का पूरा समर्थन हासिल है।

अब आगे क्या? युद्ध या समझौता?

फिलहाल, सीरिया और लेबनान ने इजराइल के इस प्रस्ताव को लेकर कोई आधिकारिक सकारात्मक संकेत नहीं दिया है। लेकिन यह स्पष्ट है कि इस डिप्लोमैटिक शतरंज में इजराइल ने पहली चाल चल दी है। यदि सीरिया झुका, तो ईरान कमजोर होगा। अगर सीरिया टकराया, तो गोलान हाइट्स पर एक नई लड़ाई की शुरुआत हो सकती है।

शांति की बात के पीछे छुपा है युद्ध का साया!

इजराइल का प्रस्ताव जितना सुनने में सौम्य लगता है, उसकी तह में जाकर देखें तो यह मिडिल ईस्ट में एक और 'शून्यकालीन विस्फोट' का अलार्म है। सीरिया झुकेगा नहीं, लेबनान चुप नहीं रहेगा, और ईरान—वो तो हर हाल में बदला लेने के लिए तैयार बैठा है। अब देखना यह है कि गोलान की चट्टान पर कौन टिकेगा—इजराइल की डिप्लोमेसी या मिडिल ईस्ट की विस्फोटक राजनीति।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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