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48 घंटे में फिर जलेगा सीरिया? ड्रूज विवाद में इज़राइल का 'अल्टीमेटम', नेतन्याहू बोले- "अब और बर्दाश्त नहीं!"
Israel Syria conflict: सीरिया के सुवेदा में ड्रूज समुदाय पर हमले और सेना की तैनाती को लेकर हालात बेकाबू हो चुके हैं। इज़राइल ने 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए बड़ा सैन्य ऑपरेशन शुरू करने की चेतावनी दी है।
Israel Syria conflict: मिडिल ईस्ट का वो हिस्सा जिसे दुनिया अक्सर खून, बारूद और रणनीति की लड़ाई का रंगमंच कहती हैएक बार फिर सुलगने को तैयार है। इज़राइल और सीरिया के बीच जो 48 घंटे पहले तक युद्धविराम की डोर पर टिका था, वो अब फिर से बारूद की हवा में झूल रहा है। सुवेदा, वो शहर जहां ड्रूज समुदाय की घनी आबादी है, अब एक नई जंग का केंद्र बनने जा रहा है। और इस बार सिर्फ हथियार नहीं, राजनीति और समुदायों की अस्मिता भी दांव पर है।
सीजफायर टूटा नहीं टूटने ही वाला है
सीरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने साफ कर दिया है कि सेना को दोबारा सुवेदा में भेजा जाएगा। ये वही क्षेत्र है जहां ड्रूज समुदाय का प्रभाव सबसे अधिक है, और इज़राइल ने पहले ही इस तैनाती का विरोध किया है। सीरियाई टीवी चैनल्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना को बडौईन समुदाय की हालिया धमकियों के बाद दोबारा भेजा जा रहा है। बडौईन गुट ने सीधा कहा हैअगर युद्धबंदी नहीं छोड़ी, तो जंग का बिगुल बजेगा। इस बयान ने मिडिल ईस्ट की राजनीति में तूफान ला दिया है। इज़राइल की खुफिया एजेंसियों ने इस तैनाती को एक तरह की "जंगी चेतावनी" माना है। अब पूरा खेल 48 घंटे पर अटक गया है।
"48 घंटे नहीं तो ऑपरेशन शुरू", इज़राइल का अल्टीमेटम
टाइम्स ऑफ इज़राइल के हवाले से खबर आई है कि नेतन्याहू सरकार फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ मोड में है, लेकिन अगर अगले 48 घंटों में सीरिया में सुवेदा क्षेत्र शांत नहीं होता, तो इज़राइल एक और आक्रामक सैन्य अभियान को अंजाम देगा। सूत्रों की मानें तो ऑपरेशन की रूपरेखा पहले ही तैयार हो चुकी है, बस आदेश भर बाकी है। और ये डर इसलिए और भी गहरा है क्योंकि दो दिन पहले ही इज़राइल ने दमिश्क पर ऐसा हमला किया था, जिसमें सीरिया का रक्षा मंत्रालय और सेना मुख्यालय तक खाक में मिल गया। युद्ध की लपटों के बीच अमेरिका ने युद्धविराम कराया था, लेकिन अब वही सीजफायर टूटने की कगार पर है।
ड्रूज समुदाय पर मंडरा रहा है खतरा, नेतन्याहू का गुस्सा फूटा
इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सीधी चेतावनी दी हैड्रूज समुदाय की सुरक्षा कोई समझौता नहीं है। उन्होंने कहा कि बडौईन समुदाय के कुछ लोग ड्रूजों पर हमला कर रहे हैं, जो सीजफायर का खुला उल्लंघन है। नेतन्याहू ने यह भी कहा कि अगर सीरिया अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा नहीं कर सकता, तो इज़राइल को कदम उठाना ही पड़ेगा। ये बयान किसी भी समय एक नई जंग की चिंगारी बन सकता है। ड्रूज समुदाय के समर्थन में इज़राइल की खुली लामबंदी ने इस बार जंग को एक 'सांप्रदायिक' जामा भी पहनाने की शुरुआत कर दी है।
सीरिया की सफाई लेकिन शक गहराता जा रहा है
सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल शरा ने दावा किया है कि वो देश के हर नागरिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाएंगे। लेकिन ज़मीनी हालात और वीडियो फुटेज कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। ड्रूजों पर हो रहे हमले और सुवेदा में सेना की फिर से एंट्रीसीरिया के दावों को खोखला साबित कर रहे हैं। इस बीच, बडौईन गुटों ने भी खुलेआम वीडियो जारी करके चेतावनी दी है कि अगर इज़राइल हस्तक्षेप करता है, तो वो उसका भी मुकाबला करेंगे। यानी स्थिति पूरी तरह विस्फोटक हो चुकी है।
तुर्की का इंधन... एक और मोर्चा खुला?
तुर्की ने इस पूरे मसले में घी डालने जैसा काम किया है। राष्ट्रपति एर्दोआन ने अहमद अल शरा से फोन पर बातचीत कर कहा है कि अगर ज़रूरत पड़ी, तो तुर्की हथियारों से सीरिया की मदद करेगा। इसका मतलब साफ हैसीरिया अगर इज़राइल से भिड़ता है, तो तुर्की भी पर्दे के पीछे नहीं रहेगा। ये वही तुर्की है जिसने पहले भी मिडिल ईस्ट की राजनीति में "बैक डोर गेम" खेला है। अब अगर वह खुलकर सीरिया के साथ आता है, तो यह संघर्ष सिर्फ इज़राइल-सीरिया तक सीमित नहीं रहेगा... यह एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है।
क्या 48 घंटे बाद फिर गिरेगा बारूद?
अब सारी निगाहें अगली 48 घंटों पर टिकी हैं। अगर सीरिया ने सेना की तैनाती जारी रखी और ड्रूज समुदाय पर हमले नहीं रुके, तो इज़राइल की ओर से बड़ा हमला तय माना जा रहा है। यह हमला सिर्फ सैन्य नहीं होगा, बल्कि मिडिल ईस्ट की राजनीतिक संरचना को भी हिला सकता है। नेतन्याहू की आक्रामकता, ड्रूज समुदाय की असहायता, सीरिया की जिद और तुर्की की चालबाज़ीये सब मिलकर एक ऐसे संकट का निर्माण कर रहे हैं, जो आने वाले दिनों में एक नया इतिहास लिख सकता है शायद एक और विनाश की पटकथा।
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