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कुलमान घिसिंग या सुशीला कार्की... कौन बनेगा नेपाल का नया चेहरा? किसका पलड़ा भारी?
Nepal PM New Face: नेपाल के प्रधानमंत्री पद के लिए दो दावेदारों का नाम सामने आया है... कुलमान घिसिंग और सुशीला कार्की।
Nepal PM New Face: नेपाल में पिछले कुछ दिनों से तनाव का माहौल है। हालांकि, काठमांडू हिंसा के बाद गुरुवार को हालात कंट्रोल में हैं, लेकिन इसके बावजूद आर्मी ने राजधानी और इससे सटे इलाकों में कर्फ्यू जारी रखा है। अब हिंसा के तीसरे दिन देश में अंतरिम सरकार बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इसमें दो नाम सामने आ रहे हैं। पहला कुलमान घिसिंग और दूसरा सुशीला कार्की। इसे लेकर आज सुबह आर्मी हेडक्वार्टर में Gen- Z और अफसरों के बीच बातचीत भी हुई।
कौन बनेगा नेपाल का अलगा प्रधानमंत्री?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल में बातचीत का दौर जारी है। इस वक्त फिलहाल पीएम की रेस में कुलमान घिसिंग का नाम आगे चल रहा है। दरअसल, सेना प्रमुख से मुलाकात में अधिकतर Gen-Z ने कुलमान के नाम को आगे किया। वहीं सुशीला कार्की के नाम पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। हालांकि, आखिरी फैसला अभी आना बाकी है।
कुलमान घिसिंग: कुलमान घिसिंग को नेपाल के लाइट मैन के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 25 नवंबर, 1970 में हुआ। कुलमान 1994 से नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (NEA) से जुड़े, जिसके बाद उन्होंने घाटे में चल रहे NEA को मुनाफे में बदला। इसी के साथ कुलमान ने बिजली चोरी रोकने के लिए भी कई कदम उठाए और नेपाल की बिजली व्यवस्था का सुधारने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।
सुशीला कार्की: नेपाल के प्रधानमंत्री की दूसरी दावेदार सुशीला कार्की भ्रष्टाचार विरोधी शख्सियत के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म 7 जून, 1952 को हुआ। वह 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं और उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बार कड़े बयान दिए।
इन लोगों ने लिया सुशीला कार्की का नाम
कुलमान के अलावा नेपाल प्रधानमंत्री पद को लेकर GEN-Z के कुछ लोग सुशीला कार्की का नाम आगे कर रहे हैं। इसमें GEN-Z नेता जुनल गदल का कहना है कि हमें देश के संरक्षक के रूप में सुशीला कुर्की को चुनना चाहिए।
इसके अलावा Gen-Z नेता अनिल बनिया ने कहा कि हमारा आंदोलन बुज़ुर्ग नेताओं की राजनीति से ऊबकर शुरू हुआ था। हमने हमेशा युवाओं से शांतिपूर्ण विरोध की अपील की, लेकिन आगजनी और तोड़फोड़ जैसी घटनाओं में आम लोग नहीं, बल्कि राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल थे। उन्होंने आगे बताया कि ऑनलाइन सर्वेक्षण में ज़्यादातर Gen-Z नेताओं ने सुशीला कार्की को अपना समर्थन दिया है। अनिल बनिया ने साफ कहा कि हमारा मकसद संविधान को पूरी तरह बदलना नहीं है, बल्कि उसमें समय की जरूरत के हिसाब से सुधार करना है। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले छह महीनों के अंदर Gen-Z नेतृत्व चुनावी मैदान में उतरेगा और देश के भविष्य के लिए नई दिशा तय करेगा।
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