नेपाल में खून-खराबे के बीच रणनीति तय... कौन होगा अगला प्रधानमंत्री ?

नेपाल का भविष्य इन दिनों धुंधला होता नज़र आ रहा है। नेपाल में जारी विरोध प्रदर्शन का आज तीसरा दिन है। अब देखना ये है कि नेपाल का भविष्य कौन तय करेगा.... ?

Priya Singh Bisen
Published on: 10 Sept 2025 1:32 PM IST
Who will be the next PM of Nepal
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Who will be the next PM of Nepal

Nepal Protest: इस वक़्त नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबन्ध और भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्श जारी है। राजधानी काठमांडू और आसपास वाले इलाकों में हिंसा ने भयंकर रूप ले रखा है जिसमें अबतक 22 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 400 से ज़्यादा लोग घायल होइ चुके हैं। हालात बिगड़ते देख नेपाली सेना ने बीते मंगलवार रात 10 बजे से देश की कमान अपने हाथ में ले ली।

इस बीच अब सभी की नजरें इस बात टिकी हैं कि नेपाल का भविष्य अब किसके हाथ में होगा ? क्योंकि संसद भंग कर नए चुनाव कराने की मांग तेज होती दिख रही है। फिलहाल नेपाल का राजनीतिक भविष्य तीन ध्रुवों के बीच घूमता दिख रहा है। आइए समझते हैं विस्तार से ....

1. आर्मी और अंतरिम सरकार के फॉर्मूले पर चर्चा तेज़

इस वक़्त नेपाल सेना के कंट्रोल में है। आर्मी चीफ अशोक राज आज 10 सितंबर को युवाओं से भी बात करने की तैयारी में है. जानकारी के अनुसार, नेपाली सेना अब केवल सुरक्षा संभालने तक सीमित नहीं रहना चाहती। वो राजनीतिक समाधान का महत्वपूर्ण भाग बन सकती है। इस बीच अब सेना और प्रदर्शनकारी युवाओं के बीच अंतरिम सरकार के फॉर्मूले पर चर्चा तेज़ हो गयी है।

2. बालेन शाह पर भी टिकी निगाहें

काठमांडू के मेयर बालेन शाह युवाओं के बीच सबसे पसंदीदा चेहरा बनकर सामने आये हैं। आंदोलनकारियों का एक बड़ा भाग उन्हें साफ-सुथरी राजनीति का प्रतीक के रूप में देख रहा है। जानकारी के मुताबिक, बालेन शाह को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री बनाने पर चर्चा जारी है।

बता दे, पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद उत्तराधिकारी की दौड़ में एक और जो नाम सबसे आगे चल रहा है, वो है रबी लामिछाने। जो कि एक पत्रकार और एकंर के रूप में कार्य कर चुके हैं। रबी ने साल 2022 में राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) की स्थापना की थी। RSP ने सामने आकर जेन जी के विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है। उनकी पार्टी के 21 सांसदों ने मिलकर इस्तीफा देकर ओली पर इस्तीफे का दबाव बनाया, ऐसे में युवाओं का समर्थन भी रबी लामिछाने के साथ नज़र आ रहा है।

3. राजशाही की मांग बढ़ी

इस राजनीतिक अस्त-व्यस्त के बीच राजशाही समर्थक गुट भी अब सक्रिय रूप से सामने आ गए हैं। उनका तर्क है कि लोकतंत्र सफल नहीं हुआ है, इसलिए अब कॉनस्टिट्यूशनल मोनार्की की वापसी पर विचार विमर्श करना चाहिए। आंदोलन के पहले दिन ही इसकी चर्चा ज़ोरों पर थी कि इस विद्रोह से राजशाही समर्थकों को अवसर मिलेगा। लोकतंत्र असफल होने का हवाला देकर राजशाही की दोबारा से वापसी की मांग अब जोर पकड़ सकती है।

Gen-Z के प्रतिनिधि को भी मिल सकता है ये अवसर

प्रदर्शनकारियों में युवाओं (GenZ) की हिस्सेदारी को देखते हुए अंतरिम सरकार में Gen-Z के कुछ प्रतिनिधियों को शामिल करने पर सहमति बन सकती है जिनकी छवि एक ईमानदार और भ्रष्टाचार-मुक्त रही है। यह फैसला अंतरिम सरकार को राजनीतिक संतुलन प्रदान करेगा और पुराने दलों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करने से बचाएगा। मुख्यधारा की राजनीति से यदि किसी नेता को युवाओं का आंशिक रूप से समर्थन प्राप्त होता है तो वे नेपाली कांग्रेस के शेखर कोइराला हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अंतरिम सरकार में उन्हें या उनके प्रतिनिधि को स्थान देकर संतुलन साधने का प्रयास हो सकता है।

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