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नेपाल में खूनखराबा : असली वजह भ्रष्टाचार और नेताओं के खिलाफ गुस्सा है
Nepal protests: यह पहली बार था जब नेपाल के युवा इस तरह सड़कों पर उतरे हैं। आज की रैली का आयोजन "हामी नेपाल" नामक एक समूह ने किया था।
नेपाल में खूनखराबा (photo: social media )
Nepal protests: काठमांडू में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बैन के बाद युवाओं का विरोध प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि संसद में आगजनी के बाद हुई पुलिस कार्रवाई में कम से कम 20 लोगों की जान चली गई है। नेपाल के भैरहवा, लुम्बिनी और वीरगंज सहित कई शहरों में भी विरोध प्रदर्शन फैल गए हैं। उथलपुथल की स्थिति को देखते हुए भारत द्वारा नेपाल सीमा सील किए जाने की तैयारी है।
यह पहली बार था जब नेपाल के युवा इस तरह सड़कों पर उतरे हैं। आज की रैली का आयोजन "हामी नेपाल" नामक एक समूह ने किया था। इस ग्रुप के अध्यक्ष सुधन गुरुंग ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन "सरकारी कार्रवाइयों और भ्रष्टाचार के प्रति प्रतिक्रिया" था। प्रदर्शन के आयोजकों ने राजनीतिक दलों और उनकी युवा शाखाओं से दूर रहने को कहा था।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध तत्काल गुस्से का एक कारण
हालाँकि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध तत्काल गुस्से का एक कारण है, लेकिन सच्चाई ये है कि नेपाल में पिछले कुछ समय से अशांति व्याप्त है। नेपाल के युवा देश के उन वयोवृद्ध नेताओं से बेहद निराश हो चले हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और जो 2008 में देश के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के बाद से सत्ता में आते-जाते रहे हैं।
मौजूदा आंदोलन नेपाल में लंबे समय से मौजूद भ्रष्टाचार के खिलाफ उग्र प्रतिक्रिया का रूप बन चुका है। युवाओं का नाराज़गी का केंद्र भ्रष्ट नेताओं पर केंद्रित है, जिन्हें “एक ही थाली के चट्टे-बट्टे” बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री ओली, प्रचंड और देउबा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं।
पिछले कुछ सालों में जो कुछ युवा नेता उभरे हैं उनकी लोकप्रियता के पीछे सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ रहा है। इन युवा नेताओं में काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह भी शामिल हैं। बालेंद्र ने जेनरेशन Z (28 साल से कम उम्र) के प्रदर्शनकारियों के प्रति अपना समर्थन जताया है। एक अन्य युवा नेता हैं राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के प्रमुख रबी लामिछाने, जो पूर्व टीवी एंकर और पूर्व उप-प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
बैन से उपजा संदेह
लोगों की निराशा के बीच सरकार द्वारा ज़्यादातर प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध लगाने से संदेह पैदा हो गया है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर निगरानी रखने के लिए एक विधेयक भी संसद में पेश होने वाला है। आज की घटनाओं से पहले सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का विरोध कर रहे युवा, सत्ताधारी वर्ग में व्याप्त भ्रष्टाचार और नेताओं तथा उनकी संतानों के ऐशोआराम के बारे में सोशल मीडिया पर जम कर पोस्ट कर रहे थे। लोग प्रमुख परिवारों के युवा सदस्यों की तस्वीरें पोस्ट कर रहे थे और सवाल कर रहे थे कि उनकी ऐशोआराम वाली जिंदगी का खर्च कैसे उठाया जाता है।
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