नगर आयुक्त के विरोध में पार्षदों का धरना, नाले में युवक की मौत मामले में पार्षद पर एफआईआर को लेकर नाराजगी, मेयर को करना पड़ा हस्तक्षेप

Lucknow News: धरने पर बैठे पार्षदों ने नगर आयुक्त गौरव कुमार पर गंभीर आरोप लगाए और एफआईआर पार्षद पर से वापस करने की मांग की है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 14 July 2025 2:25 PM IST
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Lucknow News: राजधानी लखनऊ में नगर निगम प्रशासन और पार्षदों के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। ठाकुरगंज इलाके में शनिवार को बारिश के दौरान खुले नाले में एक युवक के बहने से उसकी मौत हो गई थी। नगर निगम द्वारा स्थानीय पार्षद पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। जिससे नाराज पार्षदों ने सोमवार को नगर निगम मुख्यालय पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और धरने पर बैठ गए। धरने पर बैठे पार्षदों ने नगर आयुक्त गौरव कुमार पर गंभीर आरोप लगाए और एफआईआर पार्षद पर से वापस करने की मांग की है।

खुले नाले में गिरने से युवक की मौत

नगर निगम मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन कर रहे पार्षदों ने कहा नगर निगम प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा एक निर्दोष युवक को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा है, लेकिन आरोप जिम्मेदार अधिकारियों के बजाय दोष एक जनप्रतिनिधि पर मढ़ा जा रहा है। पार्षदों ने कहा कि नाले की सफाई, मरम्मत और ढकवाने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है, न कि पार्षदों की रहती है। पार्षद सिर्फ बार-बार ज्ञापन देते हैं और जनता की समस्याएं उठाते हैं, लेकिन प्रशासन समय रहते कार्रवाई नहीं करता, तो ऐसी घटनाएं घटती हैं।

पार्षद पर लापरवाही में एफआईआर

पार्षदों ने एफआईआर को तत्काल निरस्त करने और नगर आयुक्त को हटाने की मांग की है। उनका कहना है यह पूरी कार्रवाई पक्षपातपूर्ण और जनप्रतिनिधियों को बदनाम करने की कोशिश है। ठाकुरगंज के राधाग्राम इलाके में शनिवार को तेज बारिश के दौरान एक युवक खुले नाले में बह गया था। उसका शव 28 घंटे की मशक्कत के बाद बरामद किया गया। इस घटना के बाद नगर निगम की ओर से स्थानीय पार्षद पर भी लापरवाही का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई गई, जिससे पार्षदों में भारी आक्रोश है।

नगर आयुक्त के खिलाफ खोला मोर्चा


धरने के दौरान नगर निगम परिसर में भारी संख्या में पार्षद जुटे थे। उन्होंने नारेबाजी करते हुए नगर आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इन हालात को गंभीर होता देख नगर निगम की मेयर सुषमा खर्कवाल मौके पर पहुंचीं और पार्षदों को बातचीत का आश्वासन देते हुए धरना खत्म करने की अपील की। उन्होंने एफआईआर वापस लेने का भरोसा दिलाया, जिसके बाद पार्षदों को बातचीत के लिए अपने कार्यालय में ले जाया गया। हालांकि, बातचीत के दौरान भी मतभेद देखने को मिले और कुछ पार्षदों में तीखी बहस हो गई।

पार्षद कर रहे निष्पक्ष जांच की मांग

इस दौरान वरिष्ठ पार्षदों और अधिकारियों की समझदारी से स्थिति को संभाल लिया। पार्षदों की मांग है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और असली दोषियों को सजा दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रशासन इसी तरह जनप्रतिनिधियों को निशाना बनाता रहा, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। इस घटनाक्रम ने न सिर्फ नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि शहर में हो रही बारिश से जुड़ी सुरक्षा व्यवस्थाओं पर भी गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। अब देखना होगा कि नगर निगम मामले में क्या अगला कदम उठाता है।

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