नेपाल में राष्ट्रपति-PM ओली की सुरक्षा में सख्ती, अबतक 20 की मौत-250 से ज्यादा घायल, कई राज्यों में Gen-Z revolution

नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन को लेकर Gen-Z और सरकार के बीच जमकर विवाद छिड़ा हुआ है। नेपाल सरकार ने उन सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिन्होंने रजिस्ट्रेशन के लिए दी गई 7 दिन की समयसीमा का पालन नहीं किया।

Priya Singh Bisen
Published on: 8 Sept 2025 2:51 PM IST (Updated on: 8 Sept 2025 6:54 PM IST)
Nepal Gen Z protests
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 Nepal Gen Z protests (PHOTO: SOCIAL MEDIA)

Nepal Gen Z protests: नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़कों पर आज 08 सितंबर को बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ है। हजारों की संख्या में Gen-Z लड़के और लड़कियां सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शन कर रहे लोग नेपाल के संसद परिसर में जबरन घुस गए। हालातों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें की।

ये Gen-Z प्रदर्शनकारी इकट्ठा होकर नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। ऐसी स्थिति पर ध्यान देते हुए काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है।


- स्थिति देखते हुए नेपाल सरकार ने इमरजेंसी सुरक्षा बैठक बुलाई है। पुलिस ने रात 10 बजे तक के लिए काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया है।

- काठमांडू में कर्फ्यू का निर्देश जारी कर दिया गया है। इसके अंतर्गत 4 जिलों में किसी के भी प्रवेश या बाहर, किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस, प्रदर्शन, सभा, बैठक या घेराबंदी करने पर रोक लगा दी गयी है।

- इस प्रोटेस्ट में 20 की जान भी चली गई जबकि इस दौरान 250 से ज्यादा घायल हो गए।

- नेपाल में मौजूदा स्थिति को गंभीरता से लेते हुए भारत-नेपाल बॉर्डर पर सख्ती बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। भारत-नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा में SSB तैनात है।

- यह विरोध प्रदर्शन तेज़ी से उग्र होता जा रहा है। दमाक में पुलिस की गोलियों से कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

वहीं, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के खिलाफ काठमांडू के कई अलग-अलग शहरों में यह Gen-Z रिवोल्यूशन शुरू हो गया है। इस दौरान प्रदर्शनकारी संसद भवन में जबरन प्रवेश कर गए। पुलिस ने हालातों पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। देश की नई युवा पीढ़ी के द्वारा सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबन्ध लगाए जाने से लेकर भ्रष्टाचार तक के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है।

इस प्रदर्शन में हजारों युवा सड़क पर यात्रा सरकार के खिलाफ जमकर नाराबाजी कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान सरकार ने कई घंटों तक फोन और इंटरनेट सेवाएं रोक दी थी। काठमांडू के मेयर ने युवाओं के इस विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन पहले ही दे दिया है। वहीं, पीएम ओली का स्पष्ट रूप से कहना है कि कि युवाओं को ये जानकारों होगी कि कानून का उल्लंघन करने का क्या खामियाजा भुगतना पड़ता है।

आखिर क्यों नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया को किया प्रतिबंधित?

नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म्स जैसे कि फेसबुक, X, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया है क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। सरकार ने साल 2024 में एक नया कानून लागू किया था, जिसके अंतर्गत सभी सोशल मीडिया कंपनियों को नेपाल में ऑपरेशन के लिए स्थानीय कार्यालय स्थापित करना आवश्यक है और टैक्सपेयर के रूप में पंजीकरण करना ज़रूरी था।

इस नियम का पालन न करने के कारण सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कंटेंट जैसे फेक खबरें, उकसाने वाले कंटेंट और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए यह आवश्यक था। हालांकि, इस निर्णय की व्यापक आलोचना हुई है क्योंकि इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक तगड़ा हमला माना जा रहा है। कई लोगों का मानना है कि यह बैन राजतंत्र समर्थकों के प्रदर्शनों और सरकार विरोधी भावनाओं को दबाने की कोशिश हो सकती है, जो पिछले कुछ महीनों में ज़्यादा बढ़े हैं।

इस मामले पर नेपाल सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया पर लगा ये बैन तभी हटाया जाएगा, जब ये कंपनियां नेपाल में अपना ऑफिस खोल लें, सरकार के समक्ष रजिस्ट्रशन कराएं और गड़बड़ी की रोकथाम के लिए एक सिस्टम बनाएं। नेपाल में अब तक केवल टिकटॉक, वाइबर, निम्बज, विटक और पोपो लाइव ने ही कंपनी रजिस्ट्रार ऑफिस में पंजीकरण कराया है।

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