TRENDING TAGS :
कौन है 'सुशीला कार्की?' जो बनी नेपाल की 'नई प्रधानमंत्री', जानिए बालेन शाह पर कैसे पड़ी भारी
नेपाल में Gen-Z ने सुशीला कार्की को नई प्रधानमंत्री चुना, बालेन शाह पीछे रहे, युवाओं ने ईमानदार और निष्पक्ष नेतृत्व को सबसे ज्यादा समर्थन दिया।
Nepal New PM Sushila Karki: नेपाल की राजनीति में हर बीतते घंटे के साथ एक नया अध्याय जुड़ रहा है। हिंसा और सत्ता संकट के बीच, अब Gen-Z आंदोलनकारियों ने देश का भविष्य तय करने के लिए खुद मोर्चा संभाल लिया है। हाल ही में हुई एक वर्चुअल बैठक में, 5,000 से अधिक युवाओं ने एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है: उन्होंने अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए किसी और को नहीं, बल्कि नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम आगे किया है। इस फैसले ने सिर्फ राजनीतिक गलियारों को ही नहीं, बल्कि अब तक आंदोलन के चेहरे माने जा रहे काठमांडू के मेयर बालेन शाह को भी चौंका दिया है।
सुशीला कार्की ही क्यों बनी PM?
आंदोलनकारी युवाओं ने अपनी बैठक में यह साफ कर दिया कि वे किसी भी ऐसे व्यक्ति को अंतरिम नेतृत्व में नहीं चाहते, जिसका किसी राजनीतिक दल से संबंध हो। उनका मकसद आंदोलन को पूरी तरह निष्पक्ष और गैर-राजनीतिक बनाए रखना है। इस मानदंड पर सुशीला कार्की खरी उतरीं। वे एक पूर्व जज और सिविक एक्टिविस्ट हैं, जिनकी छवि बेहद न्यायप्रिय और निष्पक्ष रही है। युवाओं का मानना है कि इस मुश्किल घड़ी में केवल कार्की जैसी शख्सियत ही जनता का भरोसा जीत सकती हैं। बैठक में काठमांडू के मेयर बालेन शाह और युवा नेता सागर ढकाल का नाम भी चर्चा में आया, लेकिन आंदोलनकारियों का कहना है कि उन्होंने बालेन से संपर्क करने की कोशिश की, पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इससे युवाओं का ध्यान दूसरे विकल्पों की ओर चला गया।
सत्ता से टक्कर लेने वाली शख्सियत
सुशीला कार्की का करियर हमेशा से ही साहस और ईमानदारी से भरा रहा है। 2016 में, वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। उनके कार्यकाल में कई साहसिक और ऐतिहासिक फैसले हुए। 2017 में, जब माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने उन पर महाभियोग प्रस्ताव लाया, तो उन्होंने हार नहीं मानी। देशभर में उनके समर्थन में प्रदर्शन हुए और सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रस्ताव पर रोक लगा दी। यह घटना कार्की को एक ऐसी शख्सियत के रूप में स्थापित करती है जो किसी भी दबाव में नहीं झुकतीं।
सुशीला कार्की ऐतिहासिक सफर
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर में हुआ था। उन्होंने भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। 1979 में वकालत शुरू करने के बाद, वे 2009 में सुप्रीम कोर्ट की एड-हॉक जज और 2010 में स्थायी जज बनीं। उनकी नियुक्ति को नेपाल में महिलाओं के लिए समानता और संवैधानिक अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया था। अब जब युवाओं ने एक ऐसे नेता पर भरोसा जताया है, जो निष्पक्ष और साहसी है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सुशीला कार्की इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगी और क्या वे नेपाल को इस संकट से बाहर निकाल पाएंगी।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!