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LOC और LAC पर मचेगी तबाही! जोरावर टैंक और नाग मार्क-II मिसाइल की जोड़ी दुश्मन का मिटा देगी नामो-निशान
Indian Military Army: जानिए भारत के स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर और नाग मिसाइल के बारे में, जो ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चीन से मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना की ताकत बनेंगे।
Indian Military Army
Indian Military Army: भारत की रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया हल्का टैंक जोरावर, जिसने हाल ही में अपने मिसाइल फायर टेस्ट में सफलता प्राप्त की है। इस टैंक ने नाग मार्क-II मिसाइल फायर करके अपनी ताकत और क्षमताओं का प्रदर्शन किया। नाग भारत की स्वदेशी एंटी-टैंक मिसाइल है, और जोरावर-नाग की जोड़ी भारतीय सेना के लिए बेहद शक्तिशाली और खतरनाक साबित हो सकती है।
जोरावर टैंक: हल्का और ताकतवर
भारत का पहला स्वदेशी हल्का टैंक जोरावर खासतौर से ऊंचे पहाड़ी इलाकों में तैनात करने के लिए विकसित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख जैसे हिमालयी क्षेत्रों में अग्रिम मोर्चों पर तैनात होना है। इन क्षेत्रों में जहां ऊंचाई और कठिन इलाकों के कारण पारंपरिक टैंक असुविधाजनक होते हैं, जोरावर का डिजाइन इसे विशेष रूप से उपयुक्त बनाता है। यह टैंक भारत की सीमा की सुरक्षा में एक अहम भूमिका निभाएगा।
नाग मिसाइल और जोरावर की जोड़ी
नाग भारत की स्वदेशी एंटी टैंक मिसाइल है, जिसकी रेंज 4 से 8 किलोमीटर तक है। जब इसे जोरावर टैंक के साथ जोड़ा जाता है, तो यह दुश्मन की सैन्य शक्ति को एक गंभीर चुनौती पेश करता है। यह जोड़ी LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) और LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर सकती है। खासकर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे ऊंचे इलाकों में चीन से मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना को हल्के और प्रभावी टैंकों की जरूरत थी, जिसे जोरावर पूरा करता है।
हल्के वजन के फायदे
जोरावर टैंक का वजन केवल 25 टन है, जो इसे चीन के टाइप-15 टैंक (33-36 टन) से हल्का बनाता है। हल्के वजन के कारण इसे आसानी से हवाई मार्ग (जैसे C-17 विमान) से तैनात किया जा सकता है। यह गुण विशेष रूप से ऊंचे और दुर्गम इलाकों में बेहद लाभकारी साबित होता है।
ताकतवर तोप और अत्याधुनिक सुविधाएं
जोरावर टैंक पर 105 मिमी कैलिबर की तोप लगी है, जो इसे एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल दागने में सक्षम बनाती है। इसके अलावा, इसे लोइटरिंग म्यूनिशन से भी लैस किया गया है, जो इसे किसी भी सैन्य स्थिति में और भी प्रभावी बनाता है। यह टैंक रेगिस्तान, बर्फीली घाटियां, ऊंचे पहाड़ और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी काम करने में सक्षम है।
जोरावर का भविष्य
2027 तक जोरावर टैंक को भारतीय सेना में शामिल करने की योजना है। शुरू में भारतीय सेना को 59 टैंक दिए जाएंगे, और बाद में 295 और टैंकों का उत्पादन किया जाएगा। इस टैंक का प्रमुख लाभ यह है कि यह लद्दाख के ठंडे और ऊंचे इलाकों में वो काम कर सकता है जो भारतीय सेना के पारंपरिक मेन बैटल टैंक नहीं कर सकते।
जनरल जोरावर सिंह से प्रेरित नाम
जोरावर टैंक का नाम भारतीय इतिहास के महान योद्धा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने लद्दाख और गिलगित-बाल्टिस्तान को 1840 में जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा बनाया था। जनरल जोरावर सिंह ने इन क्षेत्रों को जीतकर भारत में मिलाया, और उनका नाम आज भी भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है।
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