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Nepal Big Breaking: नेपाल के पूर्व पीएम ओली नहीं छोड़ेंगे देश! कर सकते हैं बड़ा उलटफेर?
Nepal Big Breaking: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली समेत पांच नेताओं पर देश छोड़ने की रोक, ओली ने साफ कहा- "देश नहीं छोड़ूंगा"।
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Nepal Big Breaking: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली समेत 5 नेपाली नेताओं के देश से बाहर जाने पर जाँच आयोग ने रोक लगा दी है। हालाँकि इसमें सबसे गहरी बात यह है कि ओली ने इस बात का ज़रा सा भी विरोध नहीं किया है। बल्कि उन्होंने आत्मविश्वास के साथ यह कहा- कि देश छोड़कर कहीं नहीं जा रहा हूँ। Gen-z प्रोटेस्ट के बाद पूर्व पीएम समेत नेपाल के कई बड़े नेता देश छोड़कर फ़रार हुए थे। फिर अब जब जाँच आयोग ने उनपर देश छोड़ने पर बैन लगा दिया है तो ओली को आपत्ति कैसे नहीं हुई। अब जिस व्यक्ति ने पूरे देश का एक समय नेतृत्व किया हो उसे सियासत की खासा समझ तो ज़रूर ही होगी। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या केपी ओली नेपाल की सियासत में कोई बड़ा दाँवपेंच खेलने की फ़िराक में तो नहीं हैं। और ऐसा हो भी सकता है क्योंकि इतना बड़ा राजनेता इतनी आसानी से तो सियासत की होड़ नहीं छोड़ सकता।
ओली समेत पाँच अन्य राजनेताओं पर भी लगा बैन
केपी ओली के अलावा चार अन्य लोगों के काठमांडू छोड़ने पर भी रोक लगा दी गई है। इनमें पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक, गृह सचिव गोकर्ण मणि दुवाडी, आंतरिक खुफिया विभाग के प्रमुख हुत राज थापा, काठमांडू के तत्कालीन जिलाधिकारी छवि रिजाल शामिल हैं। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस गौरी बहादुर कार्की की अध्यक्षता वाले न्यायिक आयोग ने लिया है। यह आयोग Gen-z आंदोलन के दौरान हुई गोलीबारी की जांच कर रहा है। इसके अलावा आयोग ने इन नेताओं के पासपोर्ट निलंबित करने और कड़ी निगरानी रखने का भी आदेश दिया है। आयोग ने साफ किया कि बिना आयोग की अनुमति के कोई भी व्यक्ति काठमांडू से बाहर नहीं जा सकता।
केपी ओली का बयान भी आया सामने
आयोग की इन तहरीरों और जनता के पूर्ण विरोध पर ओली ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। उन्होंने यह तो कहा ही कि देश छोड़कर नहीं जाऊंगा लेकिन साथ ही अपने खिलाफ़ जनता के आक्रोश और अपनी सुरक्षा के प्रति जनता के आक्रोश को भी व्यक्त किया है। ओली ने लिखा कि उन्हें पता है कि उनकी विरोधी जनता अब उनके घर पर पत्थर चलाने के लिए सोशल मीडिया पर उनके घर का एड्रेस ज़रूर ढूढ़ेगी।
हिंसा में नेपाल मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा
नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने कार्यभार संभालने के बाद GenZ आंदोलन में मारे गए लोगों को शहीद करार देने का फैसला किया है। इसके अलावा पीड़ितों के परिजनों को 10-10 लाख नेपाली रुपए का मुआवजा भी दिया जाएगा।
नेपाल में 8 सितंबर को युवाओं ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था, जो बाद में हिंसक हो गया था। इस हिंसा में 72 लोग मारे गए थे। इनमें 1 भारतीय महिला भी शामिल थी।
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