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किम जोंग उन का खूनी फरमान! सजा-ए-मौत मौत देने में ईरान का बाप निकला नार्थ कोरिया, जासूसी के शक में 23 को ज़िंदा जला दिया
North Korea execution: तानाशाह किम जोंग उन का देश एक और भयानक हकीकत की मिसाल बनता जा रहा है। यहां जासूसी के आरोप में 23 लोगों को एक-एक कर मौत के घाट उतार दिया गया है। यह संख्या इसलिए और भी चौंकाती है क्योंकि इतनी बड़ी तादाद में फांसी की सज़ा ईरान जैसे देश ने भी अपने युद्धकाल में नहीं दी थी।
North Korea execution: उत्तर कोरिया से आई एक दिल दहला देने वाली रिपोर्ट ने दुनिया भर की सरकारों, मानवाधिकार संगठनों और खुफिया एजेंसियों को सकते में डाल दिया है। जहां एक ओर दुनिया ईरान और इजराइल के बीच हुए हालिया युद्ध की भयावहता से उबरने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर तानाशाह किम जोंग उन का देश एक और भयानक हकीकत की मिसाल बनता जा रहा है। यहां जासूसी के आरोप में 23 लोगों को एक-एक कर मौत के घाट उतार दिया गया है। यह संख्या इसलिए और भी चौंकाती है क्योंकि इतनी बड़ी तादाद में फांसी की सज़ा ईरान जैसे देश ने भी अपने युद्धकाल में नहीं दी थी। गोला-बारूद की फैक्ट्रियों से लेकर उच्च सुरक्षा प्रतिष्ठानों तक, हर जगह सन्नाटा पसरा है — कोई कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर रहा, क्योंकि एक गलत शब्द, एक छोटी सी टिप्पणी या बस एक 'शंका'… और अगला नंबर आपका हो सकता है। यह है किम जोंग उन की 'न्यू मिलिट्री ऑर्डर', जहां सवाल करना गुनाह है, और संदेह पर भी सजा मौत!
'क्रांतिकारी तत्वों' के नाम पर रक्तपात
20 जून को राज्य सुरक्षा मंत्रालय को सौंपी गई एक विस्फोटक रिपोर्ट के मुताबिक, जंगांग प्रांत की गोला-बारूद फैक्ट्रियों में 23 लोगों को गुप्त सुनवाई के बाद मृत्युदंड दे दिया गया है। ये लोग सुरक्षा अधिकारियों, श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों में से थे, जिन पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने, गोपनीय जानकारियां लीक करने, घोटाले और गबन जैसे आरोप लगाए गए। यह सजा योजनाबद्ध, गोपनीय और बेहद निर्दयी तरीके से दी गई, ताकि किसी को कानों-कान खबर न हो और बाकी बच गए लोगों में डर का ऐसा माहौल पैदा हो जाए कि वे हमेशा सिर झुकाए रहें।
‘पार्टी विरोधी सोच’ भी बना मौत का कारण
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि इनमें से कई को महज इसलिए मार दिया गया क्योंकि उन्होंने सरकार की रक्षा नीति को "अप्रभावी" बताया था। एक अधिकारी को इसलिए फांसी दे दी गई क्योंकि उसने अपने साथियों से कहा था कि “हमें नहीं लगता कि पार्टी की मिलिट्री स्ट्रैटेजी प्रभावी है।” सिर्फ इतना कहने पर वह देशद्रोही करार दिया गया। इस नरसंहार में केवल दोषियों को ही नहीं, बल्कि उनके परिवारों को भी दंडित किया गया। कई परिवारों को सरकारी आवासों से बाहर कर दिया गया, तो कई को राजनीतिक जेल शिविरों में ठूंस दिया गया।
दक्षिण कोरियाई प्रभाव से पसीना-पसीना किम
जांच में यह भी सामने आया कि कई फैक्ट्रियों में दक्षिण कोरिया के वीडियो स्टोरेज और सांस्कृतिक सामग्री पाई गई, जिसे किम शासन ने "सांस्कृतिक घुसपैठ" माना। इसे "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा" करार देते हुए सैकड़ों लोगों की छानबीन शुरू हुई, और कुछ ही दिनों में कई लोगों की मौत की सजा सुनाई गई। ली सुंग जू, जो एक राजनीतिक वैज्ञानिक हैं और ट्रांजिशनल जस्टिस वर्किंग ग्रुप से जुड़े हैं, ने बताया कि किम सरकार दक्षिण कोरिया की संस्कृति और विचारधारा से इस कदर डर चुकी है कि अब हर गाना, फिल्म, और विचार — 'राजद्रोह' बन चुका है।
कारखानों में सन्नाटा और सुरक्षा बलों में उथल-पुथल
जिन फैक्ट्रियों में ये मौतें हुईं, वहां अब श्रमिक हड़ताल पर नहीं, डर में जी रहे हैं। कुछ ने खुद को बीमार बताकर ट्रांसफर मांगा है, तो कई बगैर अनुमति दिए काम छोड़कर भाग चुके हैं। मैनेजर और तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि "फांसी का डर इतना है कि लोग मशीनें छूने से भी कतरा रहे हैं।" पिछली तिमाही में उत्पादन में 15% तक की गिरावट दर्ज की गई है और अगर यह स्थिति रही तो देश का सैन्य ढांचा खुद ही चरमरा सकता है।
किम जोंग उन का ‘डर का साम्राज्य’
किम जोंग उन के शासन में पहले भी अत्याचार हुए हैं, लेकिन इस बार के हालात कहीं अधिक भयावह हैं। जहां दुनिया युद्ध की त्रासदी से जूझ रही है, वहां उत्तर कोरिया अपने ही लोगों के खून से सत्ता का सिंहासन मज़बूत करने में लगा है। सवाल उठता है — क्या यह डरावना खेल कभी रुकेगा? या फिर किम जोंग उन का यह 'आतंकतंत्र' एक दिन खुद अपने ही वजन से ढह जाएगा? फिलहाल, एक बात तय है — उत्तर कोरिया में कोई भी सुरक्षित नहीं, न अफसर, न सैनिक और न ही आम नागरिक… क्योंकि किम जोंग उन का एक आदेश ही काफी है… ज़िंदगी को मौत में बदलने के लिए।
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