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अकेले दहाड़ा ईरान, कांप उठा इजराइल! खामेनेई बन गए अरब से अफ्रीका तक मुसलमानों के नए किंग

Khamenei Muslim world new leader: डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही दुनिया के सामने खुद को ‘शांति दूत’ साबित करने की कोशिश की हो, लेकिन असल में उन्होंने वही किया जो हमेशा करते आए हैं — पहले दुनिया में आग लगाओ, फिर खुद ही पानी का पाइप पकड़कर दौड़ पड़ो, जैसे कि हीरो वही हैं।

Harsh Srivastava
Published on: 24 Jun 2025 5:02 PM IST (Updated on: 24 Jun 2025 5:16 PM IST)
अकेले दहाड़ा ईरान, कांप उठा इजराइल! खामेनेई बन गए अरब से अफ्रीका तक मुसलमानों के नए किंग
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Khamenei Muslim world new leader: जब पूरी दुनिया सो रही थी, तभी अचानक मिसाइलों की गूंज से पश्चिम एशिया थर्रा उठा। इजराइल के शहरों में धमाकों की आवाजें गूंजने लगीं, अमेरिकी बेस अल उदीद में आग की लपटें उठीं और डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल दिया — ‘इजराइल और ईरान सीजफायर पर राजी हो गए हैं।’ लेकिन ये कैसी शांति थी जिसमें मिसाइलें गिनने की जगह लाशें गिनी जा रही थीं? अमेरिका के इस ‘सीजफायर ड्रामे’ की पोल उसी वक्त खुल गई, जब ईरान ने खुलेआम एलान कर दिया — "हम झुकेंगे नहीं, लड़ाई खत्म तब होगी जब इजराइल को सबक सिखा देंगे।"

डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही दुनिया के सामने खुद को ‘शांति दूत’ साबित करने की कोशिश की हो, लेकिन असल में उन्होंने वही किया जो हमेशा करते आए हैं — पहले दुनिया में आग लगाओ, फिर खुद ही पानी का पाइप पकड़कर दौड़ पड़ो, जैसे कि हीरो वही हैं। लेकिन इस बार उनका ये फॉर्मूला पूरी तरह फ्लॉप हो गया, क्योंकि सामने खड़ा था ईरान का वो नेता, जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना इजराइल और अमेरिका को सीधी चुनौती दे डाली — अली खामेनेई। 86 साल की उम्र में भी खामेनेई की आवाज में ऐसा गुस्सा और जोश था, जिसने दुनिया के सारे इस्लामी देशों को भी झकझोर दिया।

खामेनेई ने अमेरिका और इजराइल दोनों को बेइज्जत कर दिया

ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई जानते थे कि इस लड़ाई में उनकी जान जा सकती है। इजराइल के हमलों में ईरान के 30 से ज्यादा बड़े अफसर, वैज्ञानिक मारे जा चुके थे। इजराइल की खूंखार एजेंसी मोसाद ईरान के भीतर सक्रिय थी, ईरान के परमाणु ठिकाने तबाह किए जा रहे थे और अमेरिका खुलेआम धमकी दे रहा था कि ‘हम जानते हैं खामेनेई कहां छुपे हैं।’ लेकिन खामेनेई पीछे नहीं हटे। उन्होंने साफ कहा — "मेरी जान कोई मायने नहीं रखती, लेकिन ईरान के सम्मान के आगे अमेरिका और इजराइल दोनों बौने हैं। अगर मैं मर भी जाऊं तो ईरान की आवाज कभी नहीं रुकेगी।" और खामेनेई ने सिर्फ जुबान से ही नहीं, मिसाइलों से भी अपना इरादा दुनिया को दिखा दिया। ईरान ने कतर के अमेरिकी बेस अल उदीद पर हमला कर दुनिया को चौंका दिया। वो अमेरिकी बेस जहां से पश्चिम एशिया की जासूसी और सैन्य हमले संचालित होते थे, वहां आग की लपटें उठीं। ट्रंप के सीजफायर का दावा हवा हो गया। दुनिया को समझ आ गया कि अब ये लड़ाई किसी कागजी समझौते से खत्म होने वाली नहीं है।

सऊदी-तुर्की बने तमाशबीन, खामेनेई बन गए मुसलमानों के नए हीरो

सऊदी अरब और तुर्की जैसे देश दशकों से खुद को इस्लामी दुनिया का नेता बताते रहे हैं। लेकिन जब गाजा में दो साल से नरसंहार चल रहा है, फिलिस्तीन खून से नहा रहा है, तब ये सारे देश सिर्फ बैठकर निंदा प्रस्ताव पास करते रहे। किसी ने भी इजराइल को खुली चुनौती नहीं दी। लेकिन ईरान — जो शिया बहुल देश है — उसने फिलिस्तीन जैसे सुन्नी मुल्क के लिए अपनी गर्दन पेश कर दी। ये अकेलेपन की जंग थी, लेकिन ईरान पीछे नहीं हटा।

हूती विद्रोहियों से लेकर हिजबुल्लाह और हमास तक — सबको ईरान ने सैन्य और आर्थिक मदद दी। इजराइल और अमेरिका दोनों को पता था कि अगर गाजा में जारी नरसंहार को कोई रोक सकता है, तो वो सिर्फ ईरान है। इसलिए ट्रंप और नेतन्याहू ने ईरान पर हमला करने की साजिश रची। मगर ये चाल उलटी पड़ गई। अब पूरी दुनिया के मुसलमानों के बीच खामेनेई का नाम गूंजने लगा है। सोशल मीडिया पर अरब देशों से लेकर अफ्रीकी मुस्लिम देशों तक में खामेनेई के पोस्टर और वीडियो वायरल हो रहे हैं। खाड़ी देशों की चुप्पी के बीच ईरान का ये साहस उसे इस्लामी दुनिया का नया हीरो बना चुका है।

ट्रंप का ‘शांति गेम’ एक्सपोज, अब अगला कदम क्या होगा?

डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे ही सीजफायर का ऐलान किया, उनकी पोल उसी वक्त खुल गई जब ईरान की मिसाइलें इजराइली शहरों पर बरसने लगीं। दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञ अब एक ही बात कह रहे हैं — ट्रंप का ये शांति ड्रामा सिर्फ अमेरिका को ‘विश्वगुरु’ दिखाने की कोशिश है, असल में अमेरिका ही इस युद्ध का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड है। जब ट्रंप को लगा कि इजराइल भी बुरी तरह फंस रहा है, तब जाकर उन्होंने ‘सीजफायर’ का झुनझुना बजाया। लेकिन खामेनेई जैसे नेता इस नाटक को पहचान चुके थे। अब सवाल ये है — क्या वाकई युद्ध खत्म होगा? या ये सिर्फ एक नए, कहीं ज्यादा खतरनाक युद्ध की शुरुआत है? क्या अमेरिका इस बार ईरान पर सीधा हमला करेगा? या फिर ये जंग धीरे-धीरे तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है? एक बात तो तय है — इस बार डोनाल्ड ट्रंप का नाटक नहीं चलेगा। इस बार सामने खड़े हैं वो लोग जो अपनी जान की बाजी लगाकर दुनिया को बता रहे हैं — सम्मान की लड़ाई गोलियों से नहीं, हौसले से लड़ी जाती है। और इस लड़ाई में खामेनेई अकेले नहीं हैं, उनके पीछे खड़ी है वो आबादी जो अब सिर्फ बोलने की नहीं, हथियार उठाने की तैयारी कर रही है। सीजफायर का ये ड्रामा तो बस एक ट्रेलर है — असली फिल्म अब शुरू होगी।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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