धर्म की आड़ में दहशत फैलाने वाला हाफिज सईद: कैसे बना लश्कर-ए-तैयबा का सरगना और भारत का दुश्मन नंबर वन

Hafiz Saeed Story: इस अंधेरी दुनिया का "खलीफा" था हाफिज सईद एक कट्टरपंथी विचारधारा का चेहरा, जिसने भारत के खिलाफ जहर उगला, और लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूनी संगठन की नींव रखी। लेकिन कौन है यह हाफिज सईद?

Harsh Srivastava
Published on: 21 May 2025 4:25 PM IST (Updated on: 21 May 2025 4:26 PM IST)
Hafiz Saeed Story
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Hafiz Saeed Story: पाकिस्तान की गलियों से लेकर कश्मीर की वादियों तक, एक नाम बरसों से खौफ और हिंसा का पर्याय बन चुका है हाफिज सईद। एक ऐसा नाम, जो जब भी सुर्खियों में आता है, खून, बारूद और आतंक की बू साथ लाता है। आतंक के इस सौदागर ने धार्मिक उपदेशों की आड़ में नफरत की ऐसी खेती की, जिसकी फसलें आज भी मासूम जिंदगियों को लील रही हैं। 21वीं सदी की दुनिया जब तकनीक और विकास की ओर दौड़ रही थी, तभी एक और दुनिया बनी, जहाँ कुरान की आयतों को हथियार बनाकर जिहाद का झूठा झंडा फहराया गया। इस अंधेरी दुनिया का "खलीफा" था हाफिज सईद एक कट्टरपंथी विचारधारा का चेहरा, जिसने भारत के खिलाफ जहर उगला, और लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूनी संगठन की नींव रखी। लेकिन कौन है यह हाफिज सईद? कहाँ से आया, कैसे पला-बढ़ा, और कैसे बना आतंक का बादशाह? आइए, जानते हैं इस खूनी इतिहास को गहराई से।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जीवन

हाफिज सईद का जन्म 1950 के आसपास पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल जिले में हुआ था। उसका परिवार मूल रूप से भारत के हरियाणा राज्य के हिसार जिले का रहने वाला था, लेकिन 1947 के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चला गया। हाफिज एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में पला-बढ़ा। उसके पिता का नाम कमरुद्दीन था, जो धार्मिक प्रवृत्ति के थे और उन्होंने अपने बेटे को शुरू से ही कट्टर इस्लामी माहौल में पाला। हाफिज ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी, लेकिन उसकी रुचि धीरे-धीरे इस्लामी शिक्षाओं और जिहादी विचारधारा की ओर बढ़ती चली गई।

धार्मिक शिक्षा और कट्टरवाद की ओर झुकाव

हाफिज सईद ने पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (UET) से पढ़ाई की, लेकिन साथ ही उसने सऊदी अरब और पाकिस्तान के कई मदरसों से इस्लामी शिक्षाएं भी लीं। सऊदी अरब में उसकी मुलाकात कई ऐसे धर्मगुरुओं से हुई, जो कट्टर वहाबी विचारधारा के प्रचारक थे। इन्हीं से प्रभावित होकर हाफिज ने "दारुल-इस्लाम" की परिकल्पना को आत्मसात कर लिया। इस दौरान उसकी मुलाकात अब्दुल्ला अज़्ज़ाम जैसे जिहादी विचारकों से हुई, जिन्होंने उसे अफगान जिहाद के लिए प्रेरित किया।

लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना

1987 में हाफिज सईद ने अब्दुल्ला अज़्ज़ाम और जफर इकबाल के साथ मिलकर "लश्कर-ए-तैयबा" (LeT) की स्थापना की। शुरुआत में इसका उद्देश्य अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं के खिलाफ लड़ाई में भाग लेना था, लेकिन जल्द ही इसका मुख्य एजेंडा भारत के खिलाफ जिहाद करना बन गया—विशेषकर जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने का। LeT की कार्यप्रणाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के साथ गहराई से जुड़ी रही है। इस संगठन ने भारत में कई बड़े हमले किए, जिनमें मुंबई 26/11 हमला सबसे भयानक था।

दहशत के खौफनाक अध्याय: आतंकवादी गतिविधियां

हाफिज सईद और लश्कर-ए-तैयबा का नाम अनेक खौफनाक आतंकवादी हमलों से जुड़ा है:

1. 26/11 मुंबई हमला (2008): इस हमले में 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। हमले के पीछे LeT का हाथ था और इसका मास्टरमाइंड हाफिज सईद को ही माना गया।

2. कुपवाड़ा, बारामूला और पुंछ हमले: जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के कैंपों पर हुए कई आत्मघाती हमलों में लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका रही है।

3. दिल्ली, वाराणसी, पुणे धमाके: हाफिज के नेटवर्क ने भारत के कई शहरों में श्रृंखलाबद्ध बम धमाके किए, जिनमें सैकड़ों जानें गईं।

4. ISI के साथ गठजोड़: हाफिज सईद की गतिविधियों को पाकिस्तानी सेना और ISI का खुला समर्थन मिलता रहा है। भारत और अमेरिका दोनों ने पाकिस्तान से उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की, लेकिन पाकिस्तान लंबे समय तक उससे आँख मूंदे रहा।

हाफिज सईद की भूमिका और प्रचार तंत्र

हाफिज सिर्फ एक आतंकी नहीं बल्कि एक कट्टर विचारधारा का प्रचारक भी है। उसने अपने आतंक को "धार्मिक सेवा" का नाम देकर "जमात-उद-दावा" (JuD) नामक संगठन बनाया, जो लश्कर का ही फ्रंट संगठन है। यह संगठन राहत कार्यों की आड़ में आतंकियों को प्रशिक्षित करता है और फंडिंग जुटाता है।JuD के माध्यम से हाफिज सईद ने खुद को "सामाजिक कार्यकर्ता" के रूप में पेश किया, लेकिन भारत और अमेरिका ने इसे एक आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है।

अंतरराष्ट्रीय दबाव और पाकिस्तान की नाटकीय कार्रवाई

भारत और अमेरिका के लगातार दबाव के बाद, 2012 में अमेरिका ने हाफिज सईद के सिर पर 10 मिलियन डॉलर (करीब 75 करोड़ रुपये) का इनाम घोषित किया। इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार लंबे समय तक हाफिज के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी। 2019 में FATF (Financial Action Task Force) के डर से पाकिस्तान ने दिखावे के तौर पर हाफिज सईद को गिरफ्तार किया और 2020 में उसे टेरर फंडिंग केस में सज़ा दी गई। लेकिन आज भी उसे पाकिस्तान में VIP ट्रीटमेंट मिलता है और जेल में भी वह अपनी गतिविधियों को अंजाम देने में सक्षम है।

भारत का रुख और दुनिया की प्रतिक्रिया

भारत ने हाफिज सईद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की मांग UN में की, जिसे अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने समर्थन दिया। UN ने उसे आधिकारिक रूप से ग्लोबल टेररिस्ट करार दिया। भारत लगातार पाकिस्तान पर दबाव बनाता रहा है कि हाफिज जैसे आतंकियों के खिलाफ ठोस और स्थायी कार्रवाई हो। लेकिन पाकिस्तान की दोहरी नीति एक तरफ आतंक के खिलाफ बयानबाज़ी और दूसरी तरफ आतंकियों को संरक्षण—अब दुनिया के सामने उजागर हो चुकी है।

एक नाम, जो नफरत की निशानी बन गया

हाफिज सईद का नाम अब किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि उस सोच का प्रतीक बन चुका है, जो धर्म को हथियार बनाकर आतंक का विस्तार करती है। यह कहानी सिर्फ एक आतंकी की नहीं, बल्कि उस खतरनाक ताने-बाने की है, जो पाकिस्तान की जमीन पर पनपता है और भारत की आत्मा को घायल करता है। भारत ने जितना खून खोया है, उतना ही संकल्प भी लिया है हाफिज जैसे चेहरे चाहे जितने हों, पर भारत की मिट्टी आतंक के सामने कभी नहीं झुकेगी।

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Harsh Srivastava

News Cordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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