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Pak के पास कौन-कौन से परमाणु हथियार? भारत के लिए कितना बड़ा खतरा, जानिए पूरी डिटेल
डोनाल्ड ट्रंप के खुलासे के बाद पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर दुनिया की नजरें टिक गई हैं। जानिए पाकिस्तान के पास कौन-कौन सी मिसाइलें हैं, उनकी रेंज कितनी है और भारत के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकती हैं।
Pakistan nuclear weapons: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक सनसनीखेज दावा करके पूरी दुनिया को चौंका दिया है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान, रूस, चीन और उत्तर कोरिया की तरह गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण कर रहा है। यह दावा ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद तनाव अभी भी चरम पर है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के दर्जन भर से ज्यादा एयरबेस को नष्ट कर दिया था। ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर पाकिस्तान की परमाणु नीति और उसकी घातक मिसाइलों की रेंज पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। सवाल यह है कि यदि पाकिस्तान युद्ध की स्थिति में परमाणु हमला करता है, तो उसकी मिसाइलें भारत में कहाँ तक पहुँच सकती हैं? और सबसे महत्वपूर्ण, भारत के पास इन हमलों को रोकने के लिए क्या 'अभेद्य ढाल' है?
पाकिस्तान की मिसाइलें: किस शहर पर खतरा?
पाकिस्तान के पास कई परमाणु-सक्षम मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज 70 किमी से लेकर 2,750 किमी तक है। 2025 की अमेरिकी और SIPRI रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान की मिसाइलें भारत की सीमा से दागी जाने पर किस हिस्से तक पहुँच सकती हैं, यहाँ उसका विश्लेषण दिया गया है (दिल्ली की औसत दूरी 500-600 किमी है):
1. छोटी रेंज वाली मिसाइलें (सीमा के पास के इलाकों पर खतरा)
नसर (नस्र, हात्फ-9): रेंज – 70 किमी।
भारत में पहुंच: सिर्फ सीमा के बहुत करीब, जैसे जम्मू-कश्मीर या पंजाब के बॉर्डर इलाके। यह युद्ध के मैदान के लिए बनी एक छोटी परमाणु मिसाइल है।
ग़ज़नवी (हत्फ-3): रेंज – 290 किमी।
भारत में पहुंच: अमृतसर, जालंधर या लाहौर के पास के इलाके तक। पंजाब के कुछ हिस्से।
अब्दाली (हत्फ-2): रेंज – 450 किमी।
भारत में पहुंच: चंडीगढ़, दिल्ली के बाहरी इलाके या राजस्थान के बॉर्डर तक।
2. मध्यम रेंज वाली मिसाइलें (उत्तर भारत के बड़े शहरों तक)
शाहीन-I (हत्फ-4): रेंज – 650-900 किमी।
भारत में पहुंच: दिल्ली, लखनऊ, जयपुर या कानपुर तक आसानी से। उत्तर भारत का बड़ा हिस्सा कवर।
गौरी (हत्फ-5): रेंज – 1,300 किमी।
भारत में पहुंच: दिल्ली से आगे, जैसे भोपाल, लखनऊ या कोलकाता के पास तक। मध्य भारत तक।
बाबर (हत्फ-7): रेंज – 700 किमी (क्रूज मिसाइल)।
भारत में पहुंच: दिल्ली या हरियाणा तक। यह कम ऊंचाई पर उड़ती है और रडार से बच सकती है।
3. लंबी रेंज वाली मिसाइलें (पूरा भारत कवर)
शाहीन-II (हत्फ-6): रेंज – 2,000 किमी।
भारत में पहुंच: मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद या चेन्नई तक। लगभग पूरा भारत इसकी जद में।
शाहीन-III: रेंज – 2,750 किमी।
भारत में पहुंच: अंडमान द्वीप या दक्षिण भारत के सबसे दूर के कोने तक।
अबाबील: रेंज – 2,200 किमी।
भारत में पहुंच: पूरा भारत, यह एक साथ कई हथियार ले जा सकती है (MIRV तकनीक)।
हवाई जहाज से हमला: मिराज III/V या JF-17 थंडर (रेंज 1,000-2,000 किमी)।
भारत में पहुंच: बॉर्डर पार करके दिल्ली, मुंबई या कोलकाता तक बम गिरा सकते हैं।
परमाणु हमले को रोकने के लिए भारत की 'अभेद्य ढाल' (BMD)
पाकिस्तान से आने वाली परमाणु-सक्षम मिसाइलों को रोकने के लिए भारत ने एक मजबूत बहु-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम विकसित किया है। यह स्वदेशी DRDO द्वारा 1999 में पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों के बाद शुरू किया गया था और रूस के S-400 जैसे आयातित सिस्टमों से भी मजबूत हुआ है।
1. BMD फेज I: 2,000 किलोमीटर तक की सुरक्षा
यह चरण छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों (जैसे शाहीन-I, गौरी) से 2-3 बड़े शहरों (दिल्ली, मुंबई) की रक्षा करता है, जिसमें 99.8 प्रतिशत सफलता की संभावना है।
इंटरसेप्टर्स:
पीएडी (PAD): 80 किलोमीटर ऊंचाई पर काम करता है (एक्सो-एटमॉस्फेरिक)।
एएडी (AAD): 40 किलोमीटर ऊंचाई पर काम करता है (एंडो-एटमॉस्फेरिक)।
यह चरण 2019 में पूरा हो चुका है और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में तैनात है।
2. BMD फेज II: 5,000 किलोमीटर तक की सुरक्षा
यह चरण लंबी दूरी की मिसाइलों (आईआरबीएम) और हाइपरसोनिक मिसाइलों का मुकाबला करता है। यह सैचुरेशन अटैक (कई मिसाइलों के एक साथ हमले) से बचाव के लिए व्यापक कवरेज देता है।
इंटरसेप्टर्स:
एडी-1 (AD-1): 1,500 से 3,000 किलोमीटर की मिसाइलों के लिए, हाइपरसोनिक स्पीड वाला।
एडी-2 (AD-2): 5,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी की मिसाइलों के लिए।
यह चरण 2027 तक पूरी तरह तैनात हो जाएगा।
रूस का ब्रह्मास्त्र और रडार का कवच
बीएमडी के अलावा, भारत ने क्रूज मिसाइलों और विमानों से बचाव के लिए उन्नत सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) सिस्टम भी तैनात किए हैं।
एस-400 ट्रायम्फ (सुदर्शन चक्र): रूस का उन्नत सिस्टम जो 400 किमी तक की बैलिस्टिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करता है। 3 रेजिमेंट्स पाकिस्तान सीमा की रक्षा कर रही हैं।
आकाश एसएएम सीरीज़: स्वदेशी; छोटी दूरी (30-45 किमी) और क्रूज मिसाइलों के खिलाफ प्रभावी।
बराक-8 (MR-SAM): भारत-इजरायल का संयुक्त सिस्टम; 70-100 किमी रेंज; क्रूज/बैलिस्टिक मिसाइलों का मुकाबला करता है।
इन खतरों की पहचान के लिए भारत के पास स्वॉर्डफिश लॉन्ग रेंज ट्रैकिंग रडार (एलआरटीआर) है, जो 600-1500 किमी तक पहचान कर सकता है, साथ ही एडब्ल्यूएसीएस (AWACS) सिस्टम (फाल्कन और नेत्र) पाकिस्तान सीमा पर वास्तविक समय ट्रैकिंग के लिए तैनात हैं।
पाकिस्तान की अस्पष्ट परमाणु नीति
पाकिस्तान की परमाणु नीति 'फुल स्पेक्ट्रम डिटरेंस' पर आधारित है। यह 'नो फर्स्ट यूज' नहीं मानता, जिसका मतलब है कि वह पहले परमाणु हमला कर सकता है। पाकिस्तान छोटी दूरी के टैक्टिकल परमाणु हथियारों पर फोकस कर रहा है, जो युद्ध के मैदान में इस्तेमाल हो सकें। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान अपना परमाणु भंडार बढ़ा रहा है, और 2025 में उसके पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं, जो जल्द ही 200 तक पहुँच सकता है।
ट्रंप के दावे और पाकिस्तान की बढ़ती परमाणु क्षमता के बावजूद, भारत का बहु-स्तरीय बीएमडी सिस्टम (फेज I) पाकिस्तान के अधिकांश हथियारों को निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है। यह सुरक्षा कवच, परमाणु ब्लैकमेल को रोकने के लिए बनाया गया है, लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइलों और डिकॉय जैसे खतरों से निपटने के लिए भारत लगातार ₹50,000 करोड़ से अधिक का निवेश कर रहा है।
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