पुतिन ने फैलाई दुनिया में दहशत! थर थर कांप रही धरती, रूस ने बनाया ऐसा हथियार आसमान से बरसेगा कहर, मिट जाएगा दुशमन का नामोनिशान

Putin space weapon: रूस की इस नई तकनीक को एक असाधारण कदम माना जा रहा है, जिससे स्पेस मिशनों का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा। खास बात यह है कि ROS को 2030 तक पूरी तरह कार्यान्वित करने की योजना है, जिसमें यूनिवर्सल-नोड, गेटवे और बेस मॉड्यूल जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों को ऑर्बिट में तैनात किया जाएगा।

Harsh Srivastava
Published on: 7 Jun 2025 9:08 PM IST
Putin space weapon
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Putin space weapon: अगर आपने कभी स्पाइडरमैन की फिल्म देखी हो, तो आपको वो दृश्य जरूर याद होगा जब टोनी स्टार्क का चश्मा पहने हुए स्पाइडरमैन एक कमांड देता है और आसमान फाड़ते हुए स्पेस स्टेशन से एक ड्रोन बाहर निकलता है, जो कुछ ही पलों में दुश्मनों को निशाना बना देता है। उस वक्त यह कल्पना रोमांचक लगती थी, लेकिन अब रूस ने इस हॉलीवुड कल्पना को हकीकत की जमीन पर उतार दिया है। जी हां, रूस ने एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक विकसित कर ली है जो ठीक उसी तरह से स्पेस स्टेशन से स्वचालित ड्रोन लॉन्च करेगी और साथ ही अंतरिक्ष में रोबोटिक मेंटेनेंस यानी रखरखाव का कार्य भी करेगी। इस तकनीक को न सिर्फ विकसित कर लिया गया है, बल्कि इसका पेटेंट भी कराया जा चुका है। इसका पहला परीक्षण रूस के नए रूसी ऑर्बिटल स्टेशन (ROS) में किया जाएगा।

आ रहा है अंतरिक्ष का 'ड्रोन प्लेटफॉर्म'

रूस की इस नई तकनीक को एक असाधारण कदम माना जा रहा है, जिससे स्पेस मिशनों का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा। खास बात यह है कि ROS को 2030 तक पूरी तरह कार्यान्वित करने की योजना है, जिसमें यूनिवर्सल-नोड, गेटवे और बेस मॉड्यूल जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों को ऑर्बिट में तैनात किया जाएगा। इन सभी को जोड़कर एक ऐसा स्टेशन तैयार किया जाएगा, जो ड्रोन लॉन्चिंग, रोबोटिक रखरखाव और चंद्र अभियान जैसे कामों को स्वचालित रूप से अंजाम देगा। रूस के उपप्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने खुद इस योजना की जानकारी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दी है। इस विषय पर शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक भी आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता पुतिन ने टेलीविजन के माध्यम से की। इस बैठक में अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी राष्ट्रीय परियोजनाओं पर चर्चा हुई और रूस के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की रूपरेखा पर विचार किया गया।

चंद्रमा के लिए उड़ान भरेगा रूस का ROS

इस तकनीक का एक और बड़ा पहलू यह है कि इसका इस्तेमाल भविष्य के चंद्रमा अन्वेषण अभियानों में किया जाएगा। यानी यह ROS न केवल पृथ्वी की कक्षा में रहकर मिशन कंट्रोल करेगा, बल्कि यह चंद्र सतह पर भी रोबोट और ड्रोन की मदद से मिशन को अंजाम देने में सक्षम होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर यह तकनीक सफल रहती है, तो यह चंद्र मिशनों में मानव भागीदारी को न्यूनतम करते हुए रोबोटिक दक्षता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकती है। ROS को 2027 से 2033 के बीच निकट-ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया जाएगा। पहले तीन साल में इसका ढांचा तैयार किया जाएगा और उसके बाद 2031 से 2033 के बीच इसमें दो और लक्ष्य मॉड्यूल जोड़े जाएंगे, जिससे इसकी क्षमता और भी अधिक बढ़ जाएगी।

ISS के बाद ROS बनेगा नया ध्रुव

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को लेकर दुनियाभर में जिस तरह की चर्चाएं चल रही हैं — खासकर इसके 2030 तक डीऑर्बिटिंग यानी संचालन से बाहर हो जाने की योजना — ऐसे में रूस का ROS एक नई उम्मीद बनकर सामने आ रहा है। TOI की रिपोर्ट के अनुसार, ISS की विदाई के बाद दुनिया की नजरें नए प्लेटफॉर्म की ओर मुड़ जाएंगी और ऐसे में ROS अपने ऑटोमेटेड सिस्टम, रोबोटिक मेंटेनेंस और ड्रोन लॉन्चिंग क्षमताओं के चलते वैश्विक लीडर बन सकता है। यह तकनीक नासा और रूस के बीच पूर्व में हुए सहयोग के अनुभव पर आधारित है, लेकिन अब रूस इस क्षेत्र में पूर्णतः आत्मनिर्भर बनकर सामने आना चाहता है। यह कदम न सिर्फ तकनीकी रूप से अहम है, बल्कि भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह अमेरिका और रूस के बीच अंतरिक्ष वर्चस्व की जंग में एक निर्णायक मोड़ ला सकता है।

विज्ञान की कल्पना अब हकीकत में

रूस का यह नया अंतरिक्ष ड्रोन सिस्टम उस दिशा में एक और कदम है, जहां विज्ञान और विज्ञान कथा का अंतर धीरे-धीरे मिटता जा रहा है। पहले जिस तरह की तकनीकें सिर्फ फिल्मों या कल्पनाओं में होती थीं, अब उन्हें साकार करने की होड़ लगी है — और इसमें रूस एक बार फिर आगे निकलता नजर आ रहा है। यह वही देश है जिसने कभी सबसे पहला उपग्रह ‘स्पुतनिक’ लॉन्च करके अंतरिक्ष युग की नींव रखी थी, और अब ROS के जरिए वह फिर से एक बार अंतरिक्ष विज्ञान के शिखर पर पहुंचने की तैयारी कर रहा है। अगर यह योजना सफल रहती है, तो 2030 के दशक में रूस वह पहला देश होगा जिसका स्पेस स्टेशन रोबोट से लैस होगा, जो खुद की मरम्मत कर सकेगा और स्पेस ड्रोन से मिशन लॉन्च कर सकेगा — कुछ वैसा ही जैसा हम 'स्पाइडरमैन' में देख चुके हैं।

अंतरिक्ष की इस जंग में कौन आगे निकलेगा?

अब बड़ा सवाल यह है कि अमेरिका, चीन और भारत जैसे देश इस रूसी नवाचार का मुकाबला किस तरह करेंगे? क्या वे भी अपने-अपने ड्रोन-रोबोट सिस्टम लेकर आएंगे, या फिर ROS ही भविष्य की स्पेस वॉर की नींव बनेगा? एक बात तय है — आने वाले समय में अंतरिक्ष सिर्फ उपग्रहों या रॉकेट्स का इलाका नहीं रहेगा, बल्कि यह ड्रोन, रोबोट और ऑटोमेटेड टेक्नोलॉजी का अखाड़ा बनने जा रहा है। और इस अखाड़े में रूस ने अपनी दस्तक पहले ही दे दी है।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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