शुरू होने वाले हैं पुतिन के बुरे दिन! यूक्रेन का ये फैसला मचायेगा रूस में भारी तबाही

स्वीडन यूक्रेन को 150 Gripen-E जेट्स देगा, जो उसकी वायु शक्ति बढ़ाएंगे और रूस की हवाई श्रेष्ठता को चुनौती देने में गेमचेंजर साबित होंगे।

Shivam Srivastava
Published on: 24 Oct 2025 4:04 PM IST
शुरू होने वाले हैं पुतिन के बुरे दिन! यूक्रेन का ये फैसला मचायेगा रूस में भारी तबाही
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यूक्रेन को रूस के खिलाफ जारी संघर्ष में बड़ा सामरिक सहयोग मिलने जा रहा है। स्वीडन ने यूक्रेन को 150 Saab Gripen-E मल्टी-रोल फाइटर जेट्स देने के लिए सहमति दी है। यह सौदा यूक्रेन की वायु ताकत को पूरी तरह बदल सकता है और रूस की वायु श्रेष्ठता को गंभीर चुनौती दे सकता है।

यह समझौता 22 अक्टूबर 2025 को स्टॉकहोम में हुआ, जहाँ स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने मिलकर रक्षा सहयोग को मजबूत करने का निर्णय लिया। इसके तहत यूक्रेन ने आने वाले वर्षों में Gripen-E जेट्स की आपूर्ति और तकनीकी सहयोग पर सहमति जताई है।

Gripen-E क्यों अहम है?

Gripen-E को यूक्रेन की वायुसेना के लिए गेमचेंजर माना जा रहा है। रूस के Su-30 और Su-35 जैसे उन्नत जेट्स के मुकाबले अब तक यूक्रेन के पास सीमित क्षमता थी। Gripen-E के आने से उसकी वायुसेना को आधुनिक और शक्तिशाली हथियार मिलेंगे।

स्वीडन की Saab AB कंपनी द्वारा विकसित Gripen-E (JAS-39E) दुनिया के सबसे एडवांस मल्टी-रोल फाइटर जेट्स में गिना जाता है।

मुख्य विशेषताएं

• इंजन: General Electric F414-GE-39E, थ्रस्ट 22,000 पाउंड तक

• अधिकतम गति: Mach 2 (~2,200 किमी/घंटा)

• कॉम्बैट रेंज: लगभग 1,600 किलोमीटर

• रडार: AESA रडार, 200+ किमी दूर लक्ष्य ट्रैक कर सकता है

• IRST: स्टील्थ विमान को भी बिना रडार सिग्नल के पहचान सकता है

• इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर: रडार जैमिंग, मिसाइल वार्निंग और काउंटरमेजर

Saab के अनुसार Gripen-E “See First, Shoot First, Survive First” सिद्धांत पर काम करता है, यानी युद्ध के शुरुआती पलों में बढ़त पाने में सक्षम।

Su-30 और Su-35 के खिलाफ चुनौती

रूस के Su-30SM और Su-35S जेट्स अपनी शक्ति के लिए मशहूर हैं, लेकिन बड़े और भारी हैं। इसके मुकाबले Gripen-E तेज़, फुर्तीला और कम लागत वाला है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इसका इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और कम रडार सिग्नेचर इसे S-300, S-400 और S-500 सिस्टम से बचने में मदद करेगा। NATO के हथियारों के साथ भी यह पूरी तरह संगत है।

पूर्व भारतीय वायुसेना अधिकारी विजयिंदर के. ठाकुर के अनुसार, “Gripen-E की स्थिति जागरूकता और टैक्टिकल लचीलापन इसे रूसी Su-30 और Su-35 से आगे रखता है, खासकर NATO AWACS सपोर्ट में।”

युद्ध की परिस्थितियों में गेमचेंजर

Gripen-E का कम ऑपरेशनल कॉस्ट और तेज़ टर्नअराउंड टाइम बड़ी ताकत है। केवल 6 तकनीशियन इसे 20 मिनट में रीफ्यूल और रिआर्म कर सकते हैं।

इसका मतलब है कि यूक्रेन छोटे हवाई पट्टियों या हाईवे से भी उड़ान भर सकता है, जो मिसाइल हमलों के समय बहुत मददगार होगा।

विश्लेषकों का मानना है कि अगर जेट्स समय पर मिल गए, तो यूक्रेन अपनी हवाई सीमाओं की रक्षा करने के साथ-साथ रूस के अंदर तक टारगेट्स पर हमला कर सकेगा।

आपूर्ति की समयसीमा

• यह सौदा तीन चरणों में पूरा होगा।

• पहला बैच 2026 तक डिलीवर हो सकता है।

• इसके बाद ट्रेनिंग और सपोर्ट सिस्टम्स विकसित होंगे।

• अंतिम चरण में यूक्रेन अपनी खुद की मेंटेनेंस और अपग्रेड फैसिलिटी स्थापित करेगा।

स्वीडन ने स्पष्ट किया कि यह साझेदारी केवल विमान की बिक्री नहीं है, बल्कि इसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, एयर डिफेंस कोऑपरेशन और संयुक्त रिसर्च प्रोग्राम्स भी शामिल हैं।

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