नेपाल में बारिश और भूस्खलन से तबाही

Nepal Monsoon: नेपाल इस साल मानसून की भारी मार झेल रहा है। अब तक बाढ़, भूस्खलन और ग्लेशियर झील फटने जैसी 700 घटनाओं में 43 लोगों की मौत हो चुकी है।

Sandeep Pal
Published on: 4 Aug 2025 3:45 PM IST
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Nepal Monsoon: नेपाल इस वर्ष फिर एक बार मानसून की मार झेल रहा है। मई से अगस्त तक अब तक तमाम प्राकृतिक आपदाओं ने न सिर्फ जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि आपदा प्रबंधन व्यवस्था को भी चरमरा दिया है। बारिश, बाढ़, भूस्खलन, तूफान और बिजली गिरने की कोई 700 मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं जिनमें कम से कम 43 लोगों की जान जा चुकी है। दिक्कत ये भी है कि दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में से बहुत सी घटनाओं की जानकारी मिल भी नहीं पाती है या बहुत देर से मिलती है।

इस साल मानसून की शुरुआत से ही नेपाल के करनाली, लुम्बिनी और गण्डकी प्रदेशों में बाढ़ और भूस्खलन की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं हैं। खासतौर पर 8 जुलाई को भोटेकोशी नदी पर ग्लेशियर झील के टूटने से चीन-नेपाल का फ्रेंडशिप ब्रिज पूरी तरह बह गया, जिससे दर्जनों ट्रक और अन्य वाहन नदी में समा गए। इस हादसे में 9 लोग मारे गए हैं जबकि जबकि कई अभी भी लापता हैं। ग्लेशियर फटने आई बाढ़ के कारण हुई इस तबाही में चार जलविद्युत संयंत्रों को भारी नुकसान हुआ, जिससे नेपाल की 230 मेगावाट बिजली आपूर्ति ठप हो गई। इसके अलावा तिमुरे ड्राई पोर्ट पर खड़े 100 से ज़्यादा मालवाहक ट्रक और नए इलेक्ट्रिक वाहन बह गए।

उधर देश के पश्चिमोत्तर हुम्ला ज़िले में दो छोटी ग्लेशियर झीलों के टूटने से स्थानीय हाइड्रोपावर संयंत्र और घरों को गंभीर नुक्सान हुआ। जिला मुख्यालय मंथाली को खड़ादेवी, दोरम्बा शैलुंग और सुनापति ग्रामीण नगर पालिकाओं से जोड़ने वाली सड़क भारी वाहनों के लिए बंद है, क्योंकि भटौली नदी में आई बाढ़ ने एक प्रमुख कंक्रीट पुल को क्षतिग्रस्त कर दिया है। पिछले साल भी यही पुल क्षतिग्रस्त हो गया था।

शारदा बैराज पर आवागमन बंद

लगातार बारिश के कारण महाकाली नदी के खतरे के निशान को पार करने के बाद सोमवार को नेपाल-भारत सीमा पर शारदा बैराज पुल पर चार पहिया वाहनों की आवाजाही रोक दी गयी है। कंचनपुर जिला पुलिस कार्यालय के अनुसार, सोमवार सुबह 11 बजे नदी में पानी का बहाव 161,032 क्यूसेक तक पहुँच गया। पुल की पुरानी संरचना के कारण, जब प्रवाह 100,000 क्यूसेक से अधिक हो जाता है, तो पुल पर वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी जाती है।

नेपाल सरकार ने 2025 के लिए अनुमान लगाया था कि इस साल मानसून के दौरान 20 लाख लोग प्रभावित हो सकते हैं। इसे देखते हुए आपदा प्रबंधन के कई सिस्टम पहले ही तैयार करके सक्रिय कर दिए गए थे। इन तैयारियों में अलर्ट आयरन सिस्टम, सुरक्षा बलों की तैनाती और राहत सामग्री का भण्डारण शामिल था। बहरहाल, अभी तक तो हालात नियंत्रण में लग रहे हैं लेकिन जानकारों का मानना है कि मानसून की सबसे भीषण स्थिति अगस्त और सितंबर में सामने आ सकती है।

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Gausiya Bano

Gausiya Bano

Content Writer

मैं गौसिया बानो आज से न्यूजट्रैक में कार्यरत हूं। माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट हूं। पत्रकारिता में 2.5 साल का अनुभव है। इससे पहले दैनिक भास्कर, न्यूजबाइट्स और राजस्थान पत्रिका में काम कर चुकी हूँ।

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