गैस-एसिडिटी नहीं… ये है 'चालाक बैक्टीरिया' का खेल! तुरंत कराएं इलाज, वरना कैंसर तक पहुंचा सकता है खतरा

Risk Of Gastric Cancer: जब पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसी गंभीर विषय पर चिंतित है तो, इसी बीच एक 'महा खतरा' हमारे पेट में पनपना शुरू हो गया है, बहुत जल्द करोड़ों पर हावी हो सकता है।

Priya Singh Bisen
Published on: 22 July 2025 2:40 PM IST
Risk Of Gastric Cancer
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Risk Of Gastric Cancer

Risk Of Gastric Cancer: जब पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसी गंभीर विषय पर चिंतित है तो, इसी बीच एक 'महा खतरा' हमारे पेट में पनपना शुरू हो गया है, बहुत जल्द करोड़ों पर हावी हो सकता है। यह बीमारी है कोई और नहीं... बल्कि 'गैस्ट्रिक कैंसर' 'Gastric cancer' है, जिसे पेट का कैंसर भी कहा जाता है।


अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर मेडिसिन में पब्लिश हुई एक नई वैज्ञानिक रिपोर्ट में सामने आया है कि साल 2008 से 2017 के बीच जन्मे लगभग 1.56 करोड़ लोग अपने जीवनकाल में कभी न कभी इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इनमें से लगभग 76 % मामले पेट में पाए जाने वाले एक आम बैक्टीरिया हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच पाइलोरी) के वजह से हो सकते हैं। यह बैक्टीरिया लंबे समय तक पेट की अंदर की परत में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे कैंसर का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।

क्या होता है हेलिकोबैक्टर पाइलोरी ?

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच. पाइलोरी) एक तरह का बैक्टीरिया होता है जो आपके पेट को भीतर से संक्रमित करता है। यह आपके पेट और आपकी छोटी आंत के पहले भाग (डुओडेनम) के ऊतकों को बुरी तरह से नुकसान पहुँचा सकता है। इससे आपके पेट में दर्द और सूजन हो सकती है।


बता दे, 'हेलिकोबैक्टर पाइलोरी' एक स्पाइरल (घुमावदार) आकार का बैक्टीरिया होता है, जो पेट की अंदर की परत में छिपकर धीरे-धीरे गैस्ट्रिक कोशिकाओं को क्षति पहुंचाता है। यह संक्रमण अक्सर बचपन में ही शरीर में प्रवेश कर जाता है और सालों तक बिना किसी लक्षण के शांति से सक्रिय बना रहता है।

क्यों कहा जाता है इसे 'चालाक बैक्टीरिया' ?

इस बैक्टीरिया को चालाक भी कहा जाता है क्योंकि यह अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के शरीर में छिपकर अपना काम करता रहता है। लोग इसकी मौजूदगी को साधारण गैस, अपच या एसिडिटी समझकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन अंदर ही अंदर यह बैक्टीरिया पेट की सबसे अंदरूनी परत को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता रहता है, जिससे गंभीर घाव (अल्सर) हो जाते हैं। यहां तक कि इसके कारण कैंसर जैसी जानलेवा स्थिति भी जन्म ले सकती है।

इस बैक्टीरिया के फैलने का कारण ?

इसका सबसे बड़ा कारण है गंदा पानी, दूषित खाना और खराब जीवनशैली। ये बैक्टीरिया एक बार शरीर में सक्रिय हो जाने के बाद, यह पेट में अल्सर से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को पैदा कर देता है। भारत जैसे विकासशील देशों में यह बैक्टीरिया बहुत साधारण है, जहां साफ-सफाई का स्तर अभी भी अपेक्षाकृत कम है और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्थाएं अब भी बहुत न्यूनतम हैं।

एशिया सबसे ज्यादा प्रभावित, भारत में चिंता का विषय


अध्ययन में ये बात सामने आयी है कि इनमें से तकरीबन 1.06 करोड़ नए मामले एशिया में सामने आ सकते हैं, जिनमें से लगभग 65 लाख मामले सिर्फ भारत और चीन में सामने आने की संभावना है। हालांकि इस वक़्त सब-सहारा अफ्रीका में गैस्ट्रिक कैंसर के मामले कम हैं, लेकिन रिसर्च से सामने आया है कि आने वाले सालों में वहां यह खतरा साल 2022 की तुलना में छह गुणा तक बढ़ सकता है।

रोकथाम से किया जा सकता है बचाव

आंकड़ों में सामने आया है कि गैस्ट्रिक कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों के लिहाज से विश्व में पांचवां सबसे बड़ा कारण बन गया है। इसका सबसे बड़ा कारण एच पाइलोरी संक्रमण है, जिसे वक़्त रहते इलाज करके रोका जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी खुलसा हुआ है कि यदि देशों में बड़े पैमाने पर 'एच पाइलोरी' की जांच और इलाज की योजना शुरू की जाए, तो पेट के कैंसर के संभावित मामलों में 75 % तक कम किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, कई देशों विशेषकर जहां स्वास्थ्य सेवाओं और संसाधनों की भारी कमी है, वहां कैंसर से जुड़े आंकड़े अधूरे, असंगठित या कमजोर हो सकते हैं। इसके बाद भी, शोधकर्ताओं ने जोर देकर कहा है कि पेट के कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी की रोकथाम और निगरानी के लिए वैश्विक स्तर पर निवेश बढ़ाया जाना बहुत महत्वपूर्ण है।

इस प्रकार कर सकते हैं रोकथाम....

आपको बात दे, अध्ययन में साफ़ तौर चेतावनी दी गयी है कि यदि 'हेलिकोबैक्टर पाइलोरी' संक्रमण की वक़्त रहते पहचान और इलाज न किया गया, तो यह बहुत जल्द पेट के कैंसर के रूप में वैश्विक महामारी बन सकता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव भारत जैसे देशों पर पड़ सकता है, जहां संक्रमण की दर पहले ही काफी ज्यादा है।

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