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SCO समिट के बाद ट्रंप का फूटा गुस्सा, सोशल मीडिया पर निकाली भड़ास, भड़क उठी नई चिंगारी
Trump on SCO Summit: SCO समिट के बाद ट्रंप ने भारत पर व्यापारिक हमले बोले, टैरिफ विवाद से बढ़ा तनाव।
Trump reacts after SCO Summit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को लेकर एक धमाकेदार पोस्ट शेयर किया है। ट्रंप ने इसमें दावा किया है कि भारत अमेरिका को भारी मात्रा में सामान बेचता है, जबकि अमेरिका भारत को बहुत कम सामान बेच पाता है। उन्होंने इस स्थिति को दशकों से चली आ रही 'एकतरफा आपदा' करार दिया। इस पोस्ट ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण व्यापारिक संबंधों को और गहरा कर दिया है।
'भारत में सबसे ज्यादा टैरिफ' और रूस से खरीद पर निशाना
ट्रंप ने अपने पोस्ट में भारत पर दुनिया में सबसे ज्यादा इम्पोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) लगाने का आरोप लगाया, जिससे अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में कारोबार करना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा, ट्रंप ने भारत की रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने की नीति पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारत रूस से भारी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण खरीदता है, जबकि अमेरिका से बहुत कम खरीदता है। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि भारत ने अब अमेरिकी आयात पर अपने टैरिफ को कम करने की पेशकश की है, लेकिन उन्होंने इसे 'बहुत देर से उठाया गया कदम' बताया। उन्होंने कहा कि "भारत को यह कदम सालों पहले उठाना चाहिए था।"
ट्रंप का 50% टैरिफ: भारतीय उद्योगों पर सीधा असर
आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाया है। इसमें 25% बेस लाइन टैरिफ है, और 25% रूस से तेल खरीदने की 'सजा' के रूप में एक अतिरिक्त टैरिफ है, जो 27 अगस्त 2025 से लागू हो चुका है। ट्रंप के इस कदम से भारत के टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण और समुद्री खाद्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर सीधा असर पड़ा है, क्योंकि ये उद्योग अमेरिकी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति का आरोप है कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध के लिए परोक्ष रूप से फंडिंग कर रहा है।
भारत का करारा जवाब: 'हमारे फैसले राष्ट्रीय हित में'
ट्रंप के इन आरोपों और टैरिफ नीति पर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। भारत ने इस टैरिफ को अन्यायपूर्ण और अनुचित बताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत का रूस से तेल आयात 1.4 अरब भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है। भारत ने यह भी साफ किया है कि कई पश्चिमी देश, जिनमें अमेरिका और यूरोपीय संघ भी शामिल हैं, खुद रूस से व्यापार करते हैं, फिर भी भारत को अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा और रूस से तेल खरीद जारी रखेगा।ट्रंप की यह सख्त नीति भारत को रूस और चीन जैसे देशों के साथ अपनी साझेदारी मजबूत करने की ओर प्रेरित कर सकती है, जिससे वैश्विक व्यापार और भू-राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।
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