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‘गोली मारो… जहां दिखे वहीं मारो!’ – शेख हसीना का ऑडियो हुआ वायरल, खुला सबसे खौफनाक राज

Sheikh Hasina leaked audio: एक ताजा ऑडियो लीक ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ ऐसा खुलासा किया है, जिसने पूरी दुनिया को दहला दिया है। बांग्लादेश के इतिहास का यह सबसे शर्मनाक, सबसे क्रूर और सबसे खूनी अध्याय अब सबके सामने है।

Harsh Srivastava
Published on: 9 July 2025 11:51 AM IST
‘गोली मारो… जहां दिखे वहीं मारो!’ – शेख हसीना का ऑडियो हुआ वायरल, खुला सबसे खौफनाक राज
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Sheikh Hasina leaked audio: रात के अंधेरे में बांग्लादेश की गलियों में सिर्फ चीखें थीं, गोलियों की गूंज और लाशों का ढेर! ये कोई युद्ध नहीं था, ये सत्ता की प्यास में डूबी एक नेता की वहशत थी, जिसने अपने ही देशवासियों पर कहर बरपा दिया। BBC के एक ताजा ऑडियो लीक ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ ऐसा खुलासा किया है, जिसने पूरी दुनिया को दहला दिया है। बांग्लादेश के इतिहास का यह सबसे शर्मनाक, सबसे क्रूर और सबसे खूनी अध्याय अब सबके सामने है।

ऑडियो लीक, जब हसीना बोलीं - जहां दिखें, गोली मारो

मार्च महीने में इंटरनेट पर एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसे अब BBC ने ऑफिशियली वेरीफाई करते हुए प्रसारित किया है। इसमें एक महिला आवाज बेहद आक्रामक लहजे में कहती है, मैंने कह दिया है… जहां दिखें, गोली मारो। अब और बर्दाश्त नहीं। BBC ने दावा किया है कि यह आवाज बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की है, जो उस समय एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी को आदेश दे रही थीं कि प्रदर्शनकारियों पर कोई रहम न किया जाए। इस ऑडियो के सामने आने के बाद हसीना की छवि, जो एक लोकतांत्रिक नेता के तौर पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पेश की जाती थी, अब खून में सनी एक तानाशाह की तरह दिखने लगी है।

1500 लाशें और एक गिरती हुई सरकार

पिछले साल बांग्लादेश में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने देखते ही देखते जनक्रांति का रूप ले लिया। लोग सड़कों पर थे – युवा, छात्र, महिलाएं, किसान – सबका एक ही सवाल था, आरक्षण कब तक?। 1971 के युद्ध में हिस्सा लेने वाले परिवारों को विशेष सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिए जाने का विरोध कर रहे लोग शांति से विरोध कर रहे थे लेकिन सत्ता को ये नागवार गुजरा। इसके बाद जो हुआ, वो नरसंहार था। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 1500 लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश सीधे सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार बने। लाशों को चुपचाप उठाया गया, दर्जनों शव कभी अपने घरों तक नहीं पहुंचे।

सत्ता से भागी हसीना, भारत में ली शरण

जब देश में प्रदर्शन बेकाबू हो गए, और सुरक्षा बल भी जनता के रोष को संभाल नहीं पाए, तब 15 साल तक सत्ता पर काबिज रही शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। सूत्रों की मानें तो उन्होंने भारत में गोपनीय तौर पर शरण ली है, और अब वहीं से अपनी पार्टी अवामी लीग के नेताओं के जरिए सफाई पेश कर रही हैं। उनकी पार्टी अवामी लीग ने ऑडियो को साजिश बताया है, लेकिन अब ये दलीलें कमजोर पड़ती दिख रही हैं क्योंकि बांग्लादेश के अभियोजकों ने इस ऑडियो को अदालत में सबूत के रूप में पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह सबक सिर्फ बांग्लादेश के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए है – कि सत्ता जब बेकाबू हो जाती है, तो लोकतंत्र भी लहूलुहान हो जाता है।

न्यायाधिकरण में हसीना पर पहले से ही केस

गौरतलब है कि शेख हसीना पर पहले से ही मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर विशेष न्यायाधिकरण में मुकदमा चल रहा है। लेकिन यह नया लीक – जिसमें वह खुलेआम गोली चलाने की इजाजत देती सुनाई देती हैं – अब उनके खिलाफ निर्णायक सबूत बन सकता है। बांग्लादेश के इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब सत्ता के नशे में लोकतंत्र का गला घोंटा गया हो, लेकिन इस बार फर्क ये है – अब सबूत डिजिटल है, और पूरी दुनिया की नजरों में है।

ये आंदोलन क्यों भड़का?

यह विरोध उस समय शुरू हुआ जब सरकार ने घोषणा की कि 1971 के मुक्ति संग्राम सेनानियों के वंशजों को सिविल सेवाओं में विशेष आरक्षण मिलेगा। यह बात एक बड़े तबके को अन्यायपूर्ण लगी, और उन्होंने इसे योग्यता के खिलाफ बताया। छात्रों और युवाओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू किए, लेकिन सरकार ने इसे राजनीतिक साजिश बताकर कुचलने की तैयारी कर ली। यही प्रदर्शन एक सप्ताह में ही देशव्यापी जन आंदोलन बन गया और राजधानी ढाका से लेकर चटगांव तक सड़कों पर लाखों लोग उतर आए। जवाब में आया सरकार का बेरहम आदेश – फायर करो।

1971 के बाद सबसे बड़ा नरसंहार

बांग्लादेश के कई मानवाधिकार संगठनों ने इस पूरी कार्रवाई को 1971 के बाद का सबसे बड़ा नरसंहार बताया है। छात्रों के सिरों में गोली मारी गई, महिलाओं को पीटा गया, अस्पतालों में भर्ती प्रदर्शनकारियों को रातों-रात उठा लिया गया। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार शाखा ने भी इसकी स्वतंत्र जांच की मांग की थी, लेकिन हसीना सरकार ने इसे आंतरिक मामला बताकर खारिज कर दिया। अब जब ऑडियो सामने आया है, तो अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मामला पहुंच सकता है।

क्या अब न्याय होगा?

शेख हसीना की छवि अब सिर्फ एक राजनीतिक नेता की नहीं रही – वे अब एक संभावित युद्ध अपराधी के रूप में देखी जा रही हैं। सवाल ये है कि क्या उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालतों में सुनवाई होगी? क्या बांग्लादेश की जनता को न्याय मिलेगा? या फिर ये ऑडियो भी महज़ एक डिजिटल दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा, जैसे इतिहास के काले पन्नों में दफ्न बाकी हत्याएं?

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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