Donald Trump EVM Campaign: वोटिंग मशीनों पर ट्रम्प का नया हमला, भारत में बन सकता है एक नई मुसीबत

Donald Trump EVM Campaign: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ बढ़ा कर पहले से ही भारत के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।

Neel Mani Lal
Published on: 18 Aug 2025 11:55 PM IST
Donald Trump EVM Campaign
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Donald Trump EVM Campaign: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ बढ़ा कर पहले से ही भारत के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। अब उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के खिलाफ एक बड़े अभियान की घोषणा करके एक नई चिंगारी सुलगा दी है जिसकी आंच भारत में भी महसूस की जा सकती है।

क्या है मामला

दरअसल, ट्रम्प 2021 का चुनाव हारने के साथ ही अमेरिका के चुनावी सिस्टम पर जबर्दस्त तरीके से हमलावर हो गए थे और उन्होंने डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जो बिडेन पर चुनाव लूटने का आरोप लगाया था। 2025 में चुनाव जीतने के बाद भी ट्रम्प चुनावी प्रक्रिया पर हमलावर बने हुए हैं और अब उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों और पोस्टल बैलेट के खिलाफ आक्रमण फिर से तेज कर दिया है। उन्होंने 2026 के मध्यावधि चुनावों से पहले दोनों को खत्म करने के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व करने का संकल्प लिया है।

अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक तीखे पोस्ट में, ट्रम्प ने दावा किया कि वोटिंग मशीनें "बेहद गलत", "बहुत महंगी" और "धोखाधड़ी" की चपेट में हैं। ये वही सुर है जो भारत में भी ईवीएम के खिलाफ लंबे समय से गूंजता रहा है। ईवीएम का इस्तेमाल लंबे समय से राजनीतिक और सार्वजनिक संदेह का विषय रहा है।

क्या कहा ट्रम्प ने

ट्रंप ने घोषणा की है कि वह वोटिंग मशीनों की जगह वॉटरमार्क वाले पारंपरिक कागज़ के मतपत्रों का इस्तेमाल करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं। उनके अनुसार ये ज़्यादा विश्वसनीय, गिनती में तेज़ और इनमें हेरफेर की गुंजाइश कम रहती है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, "अब हम दुनिया के इकलौते देश हैं जो पोस्टल वोटिंग का इस्तेमाल करते हैं। बाकी सभी देशों ने बड़े पैमाने पर मतदाता धोखाधड़ी के कारण इसे छोड़ दिया है।" उन्होंने अमेरिकियों से पारदर्शी और धोखाधड़ी-रहित मतदान प्रक्रिया की वापसी का समर्थन करने का आह्वान किया।

अन्य देशों पर प्रभाव

हालांकि ट्रंप के बयान अमेरिका में घरेलू सुधारों पर केंद्रित हैं, लेकिन डिजिटल मतदान सिस्टम की उनकी तीखी आलोचना भारत में चल रही बहस को और हवा दे सकती है। भारत में विपक्षी दलों, सिविल सोसाइटी ग्रुपों और मतदाताओं के एक वर्ग ने ईवीएम की विश्वसनीयता और मतदाता सूची की शुचिता और अखंडता पर गहरे सवाल उठाए हैं।

भारत के चुनावों में मतदाता सूची की गड़बड़ियों के आरोपों और ईवीएम-वीवीपैट मिलान प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बार-बार उठ रहे सवालों के बीच, ट्रंप के बयान से भारत की मौजूदा चुनावी व्यवस्था के आलोचकों का हौसला बढ़ने की उम्मीद है। इन दिनों खासकर बिहार में वोटर लिस्ट में सघन जांच को लेकर विपक्षी दलों ने भारी हंगामा मचा रखा है और चुनाव आयोग ही सवालों के घेरे में आ गया है।

आरोपों की सच्चाई

हालाँकि ट्रंप के दावों को अक्सर अमेरिकी अदालतों और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों ने सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया है, लेकिन अमेरिकी मतदाताओं के एक बड़े हिस्से के बीच उनके संदेश काफ़ी प्रभावशाली हैं। भारत में भी इसी तरह का अविश्वास, लगातार बढ़ रहा है - जिससे एक अस्थिर माहौल बन रहा है। जब अमेरिका जैसा वैश्विक नेता अपने प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक पर ही सवाल उठाने लगेगा, तो अन्य देशों में भी चिंताएँ उठना स्वाभाविक है।

भारत का चुनाव आयोग लगातार ईवीएम की मज़बूती और सुरक्षा का बचाव करता रहा है और दावा करता रहा है कि इन उपकरण में बाहरी छेड़छाड़ नहीं हो सकती। हालाँकि, उसने बड़े पैमाने पर वीवीपैट मिलान या किसी तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट की माँग का विरोध किया है।

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