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Israel को झटके पे झटका! ‘अब बहुत हुआ... नेतन्याहू की नहीं सुनूंगा!’ ट्रंप का पलटवार, ईरान में शासन परिवर्तन पर किया बड़ा ऐलान
Trump rejects Netanyahu Israel Iran regime: कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने वो कर दिया, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। उन्होंने बेंजामिन नेतन्याहू को सीधा झटका देते हुए ऐलान कर दिया कि अमेरिका ईरान में किसी भी तरह के शासन परिवर्तन का समर्थन नहीं करेगा।
Trump rejects Netanyahu Israel Iran regime: दुनिया भर की आंखें इस वक्त एक ही शख्स पर टिकी हुई हैं — डोनाल्ड ट्रंप। अमेरिका के राष्ट्रपति, जो खुद को ‘डील मेकर’ कहते नहीं थकते, अब मिडिल ईस्ट की राजनीति में ऐसा धमाका कर चुके हैं, जिसकी गूंज वाशिंगटन से लेकर तेहरान और तेल अवीव तक सुनाई दे रही है। ट्रंप ने मंगलवार को इजराइल के हमलों पर पहली बार खुलकर गुस्सा जाहिर किया और कहा — ‘मैं इजराइल से खुश नहीं हूं।’ लेकिन यही नहीं, कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने वो कर दिया, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। उन्होंने बेंजामिन नेतन्याहू को सीधा झटका देते हुए ऐलान कर दिया कि अमेरिका ईरान में किसी भी तरह के शासन परिवर्तन का समर्थन नहीं करेगा।
यह वही ट्रंप हैं जिन्होंने दो दिन पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दुनिया को संकेत दिया था कि वे ईरान में सत्ता परिवर्तन की संभावना पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। लेकिन अब अचानक ऐसा क्या हुआ कि ट्रंप अपने ही बयान से पलट गए? जवाब है — ‘ईरान में अराजकता का खतरा।’ ट्रंप का कहना है कि अगर ईरान में जबरन शासन बदलने की कोशिश की गई, तो पूरा क्षेत्र आग में जल उठेगा। इजराइल का सपना था कि अमेरिका ईरान के खिलाफ खुलेआम खड़ा हो, लेकिन ट्रंप ने नेतन्याहू के इस ख्वाब को चकनाचूर कर दिया।
शासन परिवर्तन से बरप सकती है तबाही
नीदरलैंड रवाना होते वक्त एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने साफ-साफ कहा — “शासन परिवर्तन से सिर्फ अराजकता आएगी। मैं नहीं चाहता कि अमेरिका फिर से किसी ऐसी जंग में फंसे, जहां जीत तो दिखे ही नहीं और नुकसान ही नुकसान हो।” लेकिन इस बयान के ठीक उलट इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में कह चुके थे कि “अगर अली खामेनेई मर जाए तो ये लड़ाई खत्म हो जाएगी।” मतलब साफ है — नेतन्याहू चाहते हैं कि अमेरिका खुले तौर पर ईरान में सत्ता परिवर्तन का समर्थन करे, ताकि उनका ‘ईरान फ्री मिशन’ सफल हो सके। ट्रंप ने हालांकि शुरुआत में कुछ ऐसा ही इशारा दिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था — “अगर ईरानी शासन अपने देश को महान नहीं बना सकता, तो फिर क्यों न शासन परिवर्तन हो?” लेकिन जब ईरान ने अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाया, तब ट्रंप की सोच पलट गई। अब वो साफ कह रहे हैं कि यह फैसला ईरान के लोगों का होगा, अमेरिका इस खेल में नहीं पड़ेगा।
ट्रंप बनाम नेतन्याहू: खुला टकराव?
ट्रंप के इस नए बयान ने इजराइल-अमेरिका रिश्तों में एक नई दरार पैदा कर दी है। नेतन्याहू की रणनीति बिल्कुल साफ थी — अमेरिका को अपने साथ मिलाकर ईरान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना। लेकिन ट्रंप ने इजराइल की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। “नेतन्याहू को लगता है कि वो अमेरिका की ताकत का इस्तेमाल अपनी निजी जंग में कर सकते हैं, लेकिन मैं अब ऐसा नहीं होने दूंगा,” ट्रंप के करीबियों का कहना है कि राष्ट्रपति अब नेतन्याहू की ‘वन-मैन आर्मी’ वाली राजनीति से तंग आ चुके हैं। इस टकराव का असर अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दिखने लगा है। व्हाइट हाउस ने भी ट्रंप के सुर बदलते ही सफाई जारी कर दी — “अमेरिका का मकसद ईरान में शासन बदलना नहीं है। यह ईरानी जनता का अधिकार है।” इधर इजराइल में नेतन्याहू समर्थक मीडिया अब ट्रंप को ‘कमजोर’ और ‘डील फेल करने वाला’ कहना शुरू कर चुका है।
खामेनेई की बढ़ती लोकप्रियता
अजीब विरोधाभास ये है कि अमेरिका और इजराइल जहां ईरान को ‘शैतान’ साबित करने में लगे थे, वहीं इस पूरी जंग के बाद अली खामेनेई की लोकप्रियता ईरान में तेजी से बढ़ गई है। कतर में अमेरिकी बेस पर हमले के बाद ईरानी मीडिया और जनता के बीच खामेनेई ‘हीरो’ बनकर उभरे हैं। ऐसे में ट्रंप अगर ईरान में किसी शासन परिवर्तन की बात करते भी, तो यह खुद उनके लिए उल्टा पड़ जाता। अब मिडिल ईस्ट की राजनीति फिर से असमंजस में है। नेतन्याहू चाहें जितनी बार धमकी दें, लेकिन अमेरिका ने साफ कर दिया है — इस बार हम नहीं कूदेंगे। ट्रंप का गुस्सा नेतन्याहू पर फूट चुका है और अमेरिका की कूटनीति फिलहाल इस युद्ध को और बढ़ाने की बजाय ठंडा करने की कोशिश में लग गई है। लेकिन बड़ा सवाल अब भी हवा में है — क्या ट्रंप नेतन्याहू को हमेशा के लिए छोड़ देंगे या आने वाले चुनावी साल में इस गठजोड़ का कोई नया रंग देखने को मिलेगा? फिलहाल तो इजराइल को ट्रंप से तगड़ा झटका मिल चुका है और मिडिल ईस्ट में सियासी भूकंप का खतरा अब और ज्यादा गहरा गया है।
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