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बौखलाये ट्रंप.. खामेनेई ने नहीं छोड़ी जिद तो होगी 'महा तबाही'! Iran को 60 दिन की मौहलत
Donald Trump's Ultimatum to Iran: तो अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर.... दो महीने बाद क्या होने वाला है?
Donald Trump's Ultimatum to Iran
Donald Trump's Ultimatum to Iran: इजराइल और ईरान के बीच अबतक सबकुछ ठीक नहीं हुआ है। दोनों देशों के बीच टकराव देखने को मिल रहा है। इसी बीच अमेरिका से लौटे नेतन्याहू द्वारा दी नई धमकी फिलहाल यही इशारा कर रही है। नेतन्याहू ने खामेनेई को आने वाले दो महीने में अमेरिका से डील करने का बड़ा अल्टीमेटम दे दिया है। इस चेतावनी के साथ कि यदि डील नहीं हुई तो इजराइल और अमेरिका ईरान का वो हाल करेंगे, जिसकी बारे में किसी ने भी नहीं सोचा होगा। तो अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर.... दो महीने बाद क्या होने वाला है?
ईरान का एटमी मिशन को कैसे रोका जाएगा? नेतन्याहू और ट्रंप के सामने इस समय यही बड़ा सवाल है। ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम बातचीत के माध्यम से रोकेगा या फिर इजराइल और अमेरिका हमला कर उसके संवर्धित यूरेनियम का पूरी तहा से तबाह करेगा? इस वक़्त पूरे विश्व में इसी बात पर चर्चा है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिकी दौरा पूरा कर तेल अवीव वापस लौट आए हैं। ट्रंप से विचार विमर्श करने पर नेतन्याहू ने ईरान को 60 दिनों का वक़्त दे दिया है।
11 सितंबर तक खत्म करनी है न्यूक्लियर क्षमता
नेतन्याहू ने ईरान को 11 सितंबर तक का समय दे दिया है। कुछ भी हो जाए 60 दिन में अमेरिका से ईरान को डील करना हो पड़ेगा। मगर इससे पहले अपनी न्यूक्लियर क्षमता को भी खत्म करना है। यदि 60 दिनों में ईरान समझौते के लिए आगे नहीं आता है तो इजराइल फिर अपने तरीके से बात करेगा। नेतन्याहू और ट्रंप कई बार ये स्पष्ट कर चुके हैं कि वो ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे। अरब के समीकरण को नहीं बदलने देंगे। ईरान को रोकने के लिए इजराइल और अमेरिका किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।
मात्र अमेरिका की एक गलती... ...और शुरू होगी बातचीत
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने ये साफ़ कर दिया है कि अमेरिका ने ईरान पर हमला कर के बहुत बड़ी गलती की है। ईरान अब बातचीत के लिए तभी आएगा, जब अमेरिका अपनी गलती मानेगा। अमेरिका न केवल ईरान से माफी मांगे बल्कि उसके हमले में ईरान को जो भी नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई भी करे। मगर ऐसा बिलकुल ऐसा नहीं लगता कि अमेरिका इन शर्तों को मानेगा।
ऐसे में ईरान बातचीत के लिये आगे कदम नहीं बढ़ाएगा। तो अमेरिका और ईरान में डील होना संभव नहीं है। तो अब बड़ा सवाल ये उठता है कि यदि 2 महीने के भीतर ईरान ने समझौता नहीं किया, तो ईरानी एटमी मिशन के खिलाफ इजराइल और अमेरिका का अगला कदम क्या होगा?
अमेरिका के पास क्या है विकल्प ?
सवाल ये है कि ईरान का एटमी मिशन कैसे रुकेगा ? ट्रंप और नेतन्याहू इसे नष्ट करने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं। पहला विकल्प ये है कि अमेरिका और इजराइल ईरान पर कूटनीतिक दबाव डालेंगे। दूसरा विकल्प है खुफिया जानकारी इकठ्ठा कर ईरान के संवर्धित यूरेनियम को तबाह करना। तीसरा ऑप्शन ये है कि अमेरिका ईरान के एटमी ठिकानों पर फिर B-2 बॉम्बर से भयानक बमबारी करे।
चौथे विकल्प के अन्तर्गत इजरायली सेना ईरान के खिलाफ एक और जंग छेड़ सकती हैम। इसके लिए इजरायल ईरान के अंडरग्राउंड एटमी सेंटर में ग्राउंड ऑपरेशन भी लॉन्च कर सकती है।पांचवां और आखिरी विकल्प ये है कि ईरान के खिलाफ इजराइल और अमेरिका मिलकर संयुक्त सैन्य ऑपरेशन लॉन्च करें।
अब इजराइल के रक्षा मंत्री करेंगे अमेरिका का दौरा
नेतन्याहू के बाद अब उनके रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज अमेरिका के दौरे पर रवाना होने वाले हैं। काट्ज भी ट्रंप प्रशासन को मनाने का पूरा प्रयास करेंगे। उधर इजराइली पीएम नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान अमेरिका को बर्बाद करना चाहता है। ईरान इजराइल को रास्ते से हटाना चाहता है। केवल इजरायल ही है जो ईरान के रास्ते में न केवल खड़ा है बल्कि उससे लड़ रहा है।
एक ओर जहां नेतन्याहू ईरान को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर सामने आ रहा है, तो वहीं ओर इजराइली सैन्य अफसर इस बात का एलान कर रहे हैं कि ईरान का एटमी प्रोग्राम अब भी सुरक्षित है। अब आने वाले दिनों में ये देखना होगा कि इजराइल और अमेरिका का मिशन कबतक पूरा हो पाता है।
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