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Syria में तख्तापलट के बाद भी क्यों नहीं बदल रहा Israel का रुख? अमेरिका समर्थित सरकार पर हमले को आखिर क्या है मंशा
Israel Attacking America backed Regime: इजराइली सेना ने कल सीरिया के सत्ता प्रतिष्ठानों सहित सेना की यूनिट्स पर भीषण हमला किया था। जिसके बाद से सवाल उठने लगे हैं आखिर इजरायल ने अमेरिका के समर्थन से चल रही सरकार पर ही हमला क्यों बोल दिया।
Israel Attacking America backed Regime: इजराइल ने कल सीरिया की राजधानी दमिश्क पर बड़ा हवाई हमला किया। हमले में विशेष रूप से सीरिया के रक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया गया। साथ ही, दक्षिणी सीरिया में सक्रिय सीरियाई सेना की यूनिट्स पर भी बमबारी की गई। यह हमला ऐसे समय हुआ है जब सीरिया में बशर अल-असद का शासन समाप्त हो चुका है और अब सत्ता पर अमेरिका समर्थित अंतरिम सरकार काबिज है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि इजराइल एक मित्र राष्ट्र द्वारा समर्थित शासन के खिलाफ हमला क्यों कर रहा है?
ड्रूज समुदाय की रक्षा या रणनीतिक दांव?
इजराइली सरकार का कहना है कि उसकी यह कार्रवाई सीरियाई ड्रूज समुदाय की सुरक्षा के लिए है।ड्रूज एक अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय है जिसकी उत्पत्ति 11वीं सदी के मिस्र में मानी जाती है। उनके धार्मिक विश्वासों में इस्लाम, हिंदू, बौद्ध और यहूदी मान्यताओं का मिश्रण है। सीरिया में ड्रूजों की संख्या लगभग 7 लाख है। जबकि इजराइल में 1.5 लाख, गोलान हाइट्स में लगभग 29,000 और लेबनान व जॉर्डन में भी इनकी मजबूत उपस्थिति है। इजराइल के ड्रूज नागरिकों की सेना में सेवा और सीमावर्ती सांस्कृतिक संबंधों को देखते हुए यह कार्रवाई सामाजिक और सामरिक दोनों वजहों से संवेदनशील है।
सीरिया में तख्तापलट के बाद इजराइल ने अपनाई नई नीति
असद शासन के पतन के बाद सीरिया में अहमद अल-शरा के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। जिसे अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, इजराइल को अल-शरा की सरकार दोधारी तलवार की तरह नजर आ रही है।
लेकिन अल-शरा ने अपनी सरकार बनने के बाद कई ऐसे कदम उठाए हैं जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय और इजराइल दोनों के लिए सकारात्मक संकेत हो सकते थे। उन्होंने हमास और अन्य उग्रवादी संगठनों से अपने संबंध तोड़ लिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के दो वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार किया। ईरान और हिज़्बुल्लाह के तस्करी नेटवर्क को बाधित किया और IAEA जैसी अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसियों से सहयोग दिखाकर पारदर्शिता का संकेत भी दिया है।
इन प्रयासों के बावजूद इजराइल को यह भरोसा नहीं है कि अल-शरा लंबे समय तक सत्ता में टिक पाएंगे या पूरे देश में राजनीतिक स्थिरता और एकता बनाए रख सकेंगे। इजराइल को डर है कि यह अभी की सरकार की वजह से सीरिया के सीमावर्ती इलाकों में अस्थिरता और सुरक्षा का खतरा पैदा कर सकता है। जिसका फायदा ईरान, हिज़्बुल्लाह और अन्य आतंकी संगठनों को मिल सकता है।
इजराइल को सारिया की स्थिरता को लेकर नहीं है भरोसा
अमेरिकी ने 30 जून को सीरिया पर लगे कई प्रतिबंधों को हटाने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अल-शरा को सकारात्मक संकेत मिले हैं। लेकिन इजराइल अलग रास्ते पर है। उनका कहाना हम उस पल का इंतजार नहीं करेंगे जब खतरा दरवाजे पर ही आ जाए।"
इजराइली सैन्य नेतृत्व मानता है कि अभी सीरिया की स्थिरता की कोई गारंटी नहीं है और किसी भी हालात में ईरान समर्थित ताकतों को सीमाओं के पास मजबूत नहीं होने दिया जा सकता।
क्या चाहता है इजराइल?
दिलचस्प बात यह है कि इन तमाम आशंकाओं के बावजूद इजराइल यह भी चाहता है कि अल-शरा की सरकार सफल हो। बशर्ते वह सीरिया को एकजुट रखे। आतंकवादी संगठनों से दूरी बनाए रखे और पड़ोसी देशों के लिए खतरा न बने तो क्षेत्र में स्थिरता लाई जा सकती है। यही वजह है कि इजराइल की नीति फिलहाल सहयोग और अविश्वास दोनों के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रही है। वह एक ओर ड्रूज़ समुदाय की सुरक्षा और सीमावर्ती इलाकों में सामरिक बढ़त के लिए कार्रवाई कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर उसकी नजर एक मजबूत, स्थिर और ईरान-विरोधी सीरियाई शासन की स्थापना पर भी है।
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