ट्रंप के टैरिफ पर भारत करेगा बड़ा पलटवार? 25% टैरिफ की मार से दहली अर्थव्यवस्था

Trump Traiff India: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक नए व्यापार युद्ध की शुरुआत हो चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है जिससे अब भारतीय सामानों पर कुल टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है।

Harsh Srivastava
Published on: 7 Aug 2025 8:52 PM IST
ट्रंप के टैरिफ पर भारत करेगा बड़ा पलटवार? 25% टैरिफ की मार से दहली अर्थव्यवस्था
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US-India trade war: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक नए व्यापार युद्ध की शुरुआत हो चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है जिससे अब भारतीय सामानों पर कुल टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है। इस फैसले ने न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था को हिला दिया है बल्कि पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। ट्रंप का यह 'टैरिफ बम' ऐसे समय में गिरा है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की बातचीत चल रही थी।

यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा यानी भारत के पास इस संकट से निपटने के लिए सिर्फ 20 दिन का समय है। इस फैसले ने भारत को अमेरिका का सबसे ज्यादा टैरिफ झेलने वाला एशियाई साझेदार बना दिया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर यह टैरिफ लागू होता है तो भारत की जीडीपी को 1% तक का नुकसान हो सकता है। यह फैसला भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है।

ट्रंप के टैरिफ का कारण और भारत की प्रतिक्रिया

ट्रंप का यह फैसला भारत के रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर आया है। ट्रंप ने अपने कार्यकारी आदेश में कहा कि भारत रूस से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तेल आयात कर रहा है जिससे रूस के यूक्रेन पर हमले को वित्तीय रूप से समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। ट्रंप ने भारत पर पहले ही 25% टैरिफ लगाया था जो 7 अगस्त से लागू हो चुका है। अब अतिरिक्त 25% टैरिफ की घोषणा ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को और भी तनावपूर्ण बना दिया है।

भारत ने ट्रंप के इस कदम को "अनुचित अन्यायपूर्ण और अव्यवहारिक" करार दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत का रूस से तेल आयात 140 करोड़ लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का आयात पूरी तरह से बाजार आधारित है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत को निशाना बनाया है जबकि कई अन्य देश भी रूस से व्यापार कर रहे हैं। भारत ने यह भी बताया कि 2022 में यूक्रेन संकट शुरू होने पर अमेरिका ने ही भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक तेल की कीमतें स्थिर रहें।

टैरिफ का भारत पर आर्थिक असर

इस टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है। ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि इस बढ़ोतरी से भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में 60% तक की कमी आ सकती है जिससे भारत की जीडीपी में लगभग 1% की गिरावट आ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 में अर्थव्यवस्था के 6.5% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था जो अब खतरे में पड़ गया है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार 50% टैरिफ से भारत के अमेरिका को निर्यात में 40-50% की कमी आ सकती है। इससे भारत के निर्यात क्षेत्र विशेष रूप से कपड़ा रत्न और आभूषण ऑटो पार्ट्स समुद्री उत्पाद और चमड़ा उद्योग पर गहरा असर पड़ेगा। 2024 में भारत ने अमेरिका को लगभग 87 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया था। यह टैरिफ इन उद्योगों के लिए एक बहुत बड़ा झटका है क्योंकि वे पहले से ही कम मार्जिन पर काम करते हैं। HDFC बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने चेतावनी दी है कि यदि कोई समझौता नहीं होता है तो भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6% से नीचे आ सकती है।

ऊर्जा सुरक्षा बनाम अमेरिकी दबाव

भारत ने स्पष्ट किया है कि उसका रूस से तेल आयात पूरी तरह से बाजार आधारित है और यह देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है। भारत रूस से प्रतिदिन लगभग 1.75 मिलियन बैरल तेल आयात करता है जो उसकी कुल तेल जरूरतों का 39% है। रूस भारत को रियायती दरों पर तेल बेचता है जिससे वैश्विक तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं। अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है तो वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं जिसका सीधा असर भारतीय उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी कहा है कि रूस से तेल आयात ने वैश्विक ऊर्जा स्थिरता में मदद की है। अमेरिकी टैरिफ से भारत के 86.5 अरब डॉलर के वार्षिक वस्तु-निर्यात पर बड़ा असर पड़ सकता है। जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने चेतावनी दी है कि यह टैरिफ "एक तरह के व्यापारिक प्रतिबंध" जैसा होगा जिससे कुछ उत्पादों का निर्यात पूरी तरह बंद हो सकता है।

भारत के सामने रणनीतिक दुविधा और विकल्प

ट्रंप का यह फैसला भारत के सामने एक बड़ी रणनीतिक दुविधा खड़ी कर दी है। क्या भारत अमेरिका के दबाव में आकर रूस से अपने व्यापारिक रिश्ते खत्म करेगा या फिर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर अडिग रहेगा? इस संकट से निपटने के लिए भारत के पास कई विकल्प हैं लेकिन प्रत्येक के अपने जोखिम और सीमाएं हैं।

1. रूस से तेल आयात में कमी: भारत रूस से तेल आयात में कमी कर सकता है जिससे टैरिफ से बचा जा सकता है। लेकिन यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए जोखिम भरा हो सकता है और वैश्विक तेल की कीमतों को बढ़ा सकता है।

2. अमेरिका के साथ व्यापार समझौता: भारत और अमेरिका कई महीनों से व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। 25 अगस्त को नई दिल्ली में होने वाली अगली बैठक में भारत कुछ रियायतें दे सकता है जैसे औद्योगिक सामानों पर शून्य टैरिफ या कारों और शराब पर टैरिफ में कमी। हालांकि कृषि और डेयरी बाजारों को खोलना राजनीतिक रूप से संवेदनशील है।

3. अन्य बाजारों की तलाश: भारत अपने निर्यात के लिए नए बाजार तलाश सकता है जैसे यूरोपीय संघ दक्षिण पूर्व एशिया या मध्य पूर्व। हालांकि अमेरिका जैसे बड़े बाजार की जगह लेना आसान नहीं होगा।

4. जवाबी टैरिफ: भारत अमेरिकी सामानों जैसे तेल गैस रसायन और एयरोस्पेस उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगा सकता है। हालांकि विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि भारत को फिलहाल जवाबी कार्रवाई से बचना चाहिए ताकि व्यापार वार्ताएं पटरी पर रहें।

5. कूटनीतिक दबाव: भारत रूस के साथ अपनी मजबूत कूटनीतिक साझेदारी का उपयोग कर सकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल वर्तमान में मॉस्को में हैं और रूस-यूक्रेन शांति वार्ता में भारत की भूमिका पर चर्चा कर रहे हैं। भारत यह तर्क दे सकता है कि वह वैश्विक ऊर्जा स्थिरता में योगदान दे रहा है।

क्या भारत फिर से रूस और चीन के करीब जाएगा?

अब सबकी निगाहें इस महीने चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन पर हैं जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति से भारत-रूस-चीन त्रिपक्षीय वार्ता की संभावनाएं फिर से जिंदा हो सकती हैं। यह भी सवाल है कि क्या भारत अपने निर्यातकों को बचाने के लिए सब्सिडी या विशेष पैकेज की घोषणा करेगा?

फिलहाल भारत ने बदले की भावना से कोई कदम नहीं उठाया है लेकिन ऐसा करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। बार्कलेज रिसर्च के अनुसार "2019 में भारत ने अमेरिका के 28 उत्पादों पर टैरिफ लगाया था।" अभी तक मोदी सरकार ने कहा है कि वह "राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी"।

ट्रंप की यह नीति न केवल भारत बल्कि अन्य रूसी तेल खरीदार देशों जैसे चीन और तुर्की के लिए भी एक चेतावनी है। ट्रंप ने रूस को 8 अगस्त तक यूक्रेन के साथ शांति समझौता करने की समय सीमा दी है अन्यथा वह रूस पर नए प्रतिबंध और रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 100% टैरिफ लगा सकते हैं। इस पूरे घटनाक्रम से एक बात तो साफ है कि भारत के सामने एक बड़ी चुनौती है। अब देखना यह है कि क्या भारत इस चुनौती का सामना कर पाता है और अपनी अर्थव्यवस्था को इस संकट से बाहर निकाल पाता है।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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