Ramayan Facts: प्राण त्यागने से पहले रावण ने लक्ष्मण को दी थी 3 अनमोल सीख, जो आज भी इंसान को दिखाती

Ramayan Facts: लक्ष्मण को रावण ने तीन गहरी और अमूल्य शिक्षाएं दीं। ये शिक्षाएं आज भी हर व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होती हैं।

Akriti Pandey
Published on: 30 Sept 2025 5:40 PM IST
Ramayan Facts
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Ravan Special Story: दशहरा 2025 इस वर्ष 2 अक्टूबर को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने राक्षसराज रावण का वध किया और धर्म की रक्षा की। यह पर्व केवल राम और रावण के युद्ध की याद दिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन को दिशा देने वाले गहन संदेश भी समेटे हुए है।

अक्सर रावण को केवल एक राक्षस के रूप में देखा जाता है, लेकिन वह मात्र राक्षसराज नहीं था। वह वेद-शास्त्रों का ज्ञाता, महान पंडित और अपार विद्या का धनी भी था। रामायण में उल्लेख है कि जब रावण मृत्युशैया पर पड़ा था, तब भगवान श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उसके पास भेजा और कहा कि संसार में उससे बड़ा विद्वान कोई नहीं है। ऐसे में उससे जीवन की महत्वपूर्ण बातें सीखना आवश्यक है। लक्ष्मण जब रावण के पास पहुंचे तो रावण ने उन्हें तीन गहरी और अमूल्य शिक्षाएं दीं। ये शिक्षाएं आज भी हर व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होती हैं।

शुभ कार्यों में कभी देरी न करें

रावण ने कहा कि जीवन अनिश्चित है और मृत्यु का समय कोई नहीं जानता। इसलिए अच्छे और पुण्यदायी कार्यों को कभी टालना नहीं चाहिए। यदि किसी कार्य को टाल दिया जाए तो अवसर हाथ से निकल सकता है। इसके विपरीत, बुरे और हानिकारक कार्यों को जितना टाला जाए, उतना ही समझदारी है।

शत्रु को कभी भी निर्बल न समझें

रावण ने यह भी कहा कि चाहे शत्रु कितना भी छोटा क्यों न लगे या बीमारी कितनी भी मामूली क्यों न दिखाई दे, उसे कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक छोटी-सी चिंगारी भी बड़े अग्निकांड का कारण बन सकती है। स्वयं रावण ने यही भूल की थी कि उसने भगवान राम और उनकी सेना को कमजोर समझा। यही गलती उसके पतन का कारण बनी।

बातों और रहस्यों को गुप्त रखें

रावण की तीसरी शिक्षा यह थी कि जीवन के गहरे रहस्य और रणनीतियों को हमेशा गुप्त रखना चाहिए। हर बात सबके साथ साझा करना बुद्धिमानी नहीं है। यदि रहस्य शत्रु तक पहुंच जाएं, तो वे घातक सिद्ध हो सकते हैं। यही कारण था कि जब उसके गुप्त रहस्य उजागर हुए, तब उसका अंत संभव हो सका।

दशहरा केवल रावण के वध का पर्व नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की जीत का उत्सव है। इसके साथ ही यह अवसर है कि हम रावण की इन जीवन शिक्षाओं को आत्मसात करें और अपने जीवन में उतारें। तभी इस पर्व का वास्तविक महत्व हमारे जीवन में सार्थक होगा।

Disclaimer: यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है। हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है। NEWSTRACK इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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