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Pitru Paksh में खरीदारी करते हैं तो नाराज हो जायेंगे आपके पूर्वज,जानिए क्या कहता है धर्म ज्ञान
Pitru Paksha Buying पितृ पक्ष में नहीं खरीदें ये समान, वरना परेशान रहेंगे आप और अधूरा रहेगा श्राद्ध
Pitru Paksh Me Kharidari: 7 सितंबर से पितृ पक्ष शुरु हो रहा है। इस दौरान स्नान दान तर्पण किया जाता है। साथ ही कुछ नियमों का पालन भी धर्म ग्रंथों में बताया गया है। जिनका पालन हर सनातनी को करना चाहिए।ब्रह्मपुराण और गरुड़पुराण में पितृ पक्ष बताया गया है। हर शुभ काम में पूर्वजों को नमन करने का संस्कार है, घर, शुभ कार्यों की सफलता के लिए पितरों को आशीर्वाद लेना जरूरी है क्योंकि पितृ तृप्ति के बिना देवता भी आशीर्वाद नहीं देते।
शास्त्रों के अनुसार पितृ श्राद्ध पर केवल भोजन व दान मात्र से तृप्त नहीं होते वे अपने वंशज की सच्ची श्रद्धा भी देखते है। श्रद्धा से दी गई कोई वस्तु को पितृदेव खुशी से ग्रहण कर तृप्त होते हैं।
पितृपक्ष में365 दिनों में 15 दिन ही पितरों को श्रद्धांजली, पिण्डदान देेने चाहिए, 15 दिन सांसारिक मोहमाया का त्याग कर पितरों का न स्मरण कर सकें, कैसी संतानें हैं क्योंकि जहां पर जिस भी मोड़ पर खड़े हैं, वह हमारे पूर्वजों की मेहनत एवं प्रयास की ही देन है।
पितृपक्ष में मनुष्य एकाग्र मन से पितरों के प्रति समर्पित होता है, इसलिए साल में कम से कम 15 दिन ही सही, पितरों के प्रति श्रद्धाभाव से पितृयज्ञ करना चाहिए।ऐसा माना जाता है पितृपक्ष में नए सामान को खरीदने से पितर नाराज होते हैं। पितृपक्ष में खरीदी गई वस्तुएं पितरों को समर्पित होती हैं इसलिए उन वस्तुओं में प्रेतों का अंश होता है। इन चीजों को उपयोग करना सही नहीं होता है। इस कारण से पितृपक्ष में लोगों का काम धंधा मंदा रहता है।
पितृपक्ष में नई चीजों की खरीददारी क्यों नहीं करें- प्रेमानंद जी
इस पर एकांतिक वार्ता में जब महाराजजी से पुछा गया कि पितृपक्ष में नई चीजों की खरीददारी क्यों नहीं करनी चाहिए।तो प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि श्राद्ध पक्ष में नई वस्तुओं को खरीदने और उनका उपभोग करने से हमारा ध्यान पितरों से भटक जाता है और इस वजह से पितरों की आत्मा को कष्ट होता है। स्वामी प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि पितृपक्ष में खरीदी गई वस्तुएं पितरों को समर्पित होती हैं इसलिए उन वस्तुओं में प्रेतों का अंश होता है और इन वस्तुओं को जीवित लोगों के लिए उपयोग करना सही नहीं होता है।
पितृ दोष और पितृ ऋण के क्या हैं
इस पर प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि जब हम भजन करते हैं नाम जप करते हैं, तो भी पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही उनकी उन्नति होती है, जिससे वह कृपा बनाएं रखते हैं। वहीं महाराज जी ने कहा कि जब आप धर्मानुष्ठान कराते हैं, जैसे- भागवत, गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करवा दिया या भजन संध्या करवा दी, इन सबसे भी पितर प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद बनाएं रखते हैं। साथ ही पितृ दोष और पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।पितृपक्ष में नए कपड़ों और नए गहनों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा आप चाहें तो नया मकान, प्लॉट, फ्लैट और नई गाड़ी खरीद सकते हैं। पितृपक्ष में इन चीजों को खरीदने से पितृ गण प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि पूर्वज अपनी संतान की उन्नति अच्छी लगती हैं। इसलिए कुछ जरूरी चीजें खरीदनी हैं तो पितृपक्ष में भी खरीद सकते हैं।
नोट: ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं, Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है।
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