TRENDING TAGS :
Samudra Manthan: एक पौराणिक गाथा और रुद्राभिषेक का महत्व
Samudra Manthan: इस कथा में देवताओं और असुरों ने मिलकर भगवान विष्णु के कच्छप अवतार के सहारे मंदराचल पर्वत को मथनी के रूप में用 प्रयोग करते हुए समुद्र मंथन किया।
Samudra Manthan: समुद्र मंथन हिन्दू धर्म की एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है, जिसका वर्णन भागवत पुराण, महाभारत तथा विष्णु पुराण में मिलता है। इस कथा में देवताओं और असुरों ने मिलकर भगवान विष्णु के कच्छप अवतार के सहारे मंदराचल पर्वत को मथनी के रूप में用 प्रयोग करते हुए समुद्र मंथन किया। मंथन के फलस्वरूप चौदह रत्न समुद्र के गर्भ से प्रकट हुए।
मंथन के प्रारंभ में ही भयंकर कालकूट विष निकला, जिसे भगवान शिव ने पृथ्वी की रक्षा हेतु पी लिया। इस विष के प्रभाव से उनके शरीर में तीव्र ज्वर उत्पन्न हो गया। देवताओं द्वारा किए गए जलाभिषेक – जिसमें दूध, जल, मिश्री आदि का प्रयोग हुआ – से उनकी तपन शांत हुई। तभी से रुद्राभिषेक एक प्रमुख पूजन पद्धति के रूप में प्रचलित हुआ।
श्रावण मास एवं रुद्राभिषेक की विशेषता:
श्रावण मास संपूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। वर्ष 2025 में, विक्रम संवत 2082 अनुसार, श्रावण मास का आरंभ 11 जुलाई 2025 से होकर पूर्णिमा 9 अगस्त 2025 को होगा।
रुद्राभिषेक या महामृत्युंजय जाप करते समय ‘शिववास’ (भगवान शिव की उपस्थिति) की दिशा और स्थान का विचार विशेष रूप से करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार—
गौरी-संग शिववास – सुख एवं संपत्ति प्रदान करता है।
कैलाश पर शिववास – शांत एवं सुखद फलदायक होता है।
वृषभारूढ़ शिववास – अभीष्ट फलदायी होता है।
इसके विपरीत,
सभा, भोजन स्थल, क्रीड़ा स्थान, या श्मशान में शिववास – दुख और संताप का कारण बनता है।
वर्ष 2025 के श्रावण मास में शिववास की तिथि विवरण:
🔹 कृष्ण पक्ष में:
प्रथम, अष्टमी, अमावस्या – गौरी-संग शिववास (सुख-संपत्ति हेतु)
चतुर्थ, एकादशी – कैलाश शिववास (आरोग्यदायक)
पंचमी, द्वादशी – वृषभारूढ़ शिववास (अभीष्ट फलदायी)
🔹 शुक्ल पक्ष में:
द्वितीया, नवमी – गौरी-संग शिववास
पंचमी, द्वादशी – कैलाश शिववास
षष्ठी, त्रयोदशी – वृषभारूढ़ शिववास
इन तिथियों के अतिरिक्त अन्य तिथियां अपेक्षाकृत कष्टप्रद मानी जाती हैं, अतः अनुष्ठान हेतु तिथि चयन सावधानीपूर्वक करें।
रुद्राभिषेक में उपयोग की जाने वाली विशेष सामग्री और उनका फल:
सामग्री फल
सरसों का तेल शत्रु पर विजय हेतु
घृत (घी) वंश वृद्धि हेतु
कुशा रोग निवारण हेतु
मिश्री या चीनी धन-संपत्ति प्राप्ति हेतु
इत्र मानसिक शांति हेतु
शहद विद्या और नौकरी में सफलता हेतु
दही असाध्य रोगों के निवारण हेतु
शुभकामनाएं:
भगवान शिव, माता पार्वती, श्री गणेश, कार्तिकेय एवं समस्त गण, समस्त भक्तों का कल्याण करें।
सादर,
देवेंद्र भट्ट (गुरुजी)
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद
तिथि: 10 जुलाई 2025
स्थान: आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!