Kailash Mansarovar Yatra: 6 साल बाद फिर गूंजी हर हर महादेव की गूंज- कैलाश मानसरोवर यात्रा आरंभ

Kailash Mansarovar Yatra: भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील को आध्यात्मिक चेतना का केंद्र माना जाता है। यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, धैर्य और साहस की परीक्षा होती है।

Jyotsna Singh
Published on: 30 Jun 2025 4:43 PM IST
Kailash Mansarovar Yatra
X

Kailash Mansarovar Yatra  (photo: social media ) 

Kailash Mansarovar Yatra: शिव भक्ति और इसकी शक्ति का बखान करती कैलाश मानसरोवर यात्रा श्रद्धा, साहस और आत्मिक साधना की अनूठी मिसाल है। छह वर्षों के लंबे इंतजार के बाद यह यात्रा फिर से अपने आराध्य के दिव्य दर्शन के लिए प्रस्थान कर चुकी है। यह यात्रा केवल धार्मिक भावनाओं के लिए नहीं, बल्कि भारत-तिब्बत सांस्कृतिक संबंधों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। यदि आप भी इस धार्मिक यात्रा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं, तो बिना देर किए तैयारी शुरू कर दें। क्योंकि यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है। आखिरकार, कैलाश वही बुलाता है, जिसे शिव स्वयं आमंत्रित करते हैं।

भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील को आध्यात्मिक चेतना का केंद्र माना जाता है। यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, धैर्य और साहस की परीक्षा होती है। कोरोना महामारी और सीमा संबंधी कारणों से छह साल तक स्थगित रही कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून 2025 से एक बार फिर आरंभ हो गई है। अगस्त तक चलने वाली इस कठिन यात्रा में इस वर्ष कुल 750 यात्रियों को शामिल होने की अनुमति मिली है। आइए जानते हैं कैलाश मानसरोवर यात्रा के इतिहास, धार्मिक महत्व, यात्रा मार्गों, खर्च, प्रक्रिया और अनुभव से जुड़ी हर जानकारी के बारे में विस्तार से -

कैलाश मानसरोवर का धार्मिक महत्व (Religious Importance of Kailash Mansarovar)

हिमालय की गोद में बसे कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शिवजी यहां माता पार्वती के साथ दिव्य समाधि में लीन रहते हैं। यही कारण है कि शिवभक्तों के लिए यह स्थान मोक्ष की प्राप्ति का द्वार माना जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे ‘कांग रिंपोछे’ यानी ‘कीमती बर्फीला रत्न’ कहते हैं और उनका विश्वास है कि यह स्थान बुद्धों की आत्मिक साधना का केंद्र रहा है। जैन धर्म में कैलाश पर्वत को अष्टपद के रूप में जाना जाता है और माना जाता है कि यहीं पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने मोक्ष प्राप्त किया था। सिख परंपरा में भी इसे आध्यात्मिक स्थान माना गया है, क्योंकि यहां गुरु नानक देव ने तप किया था। इस तरह यह स्थल चार प्रमुख धर्मों की आस्था का साझा केंद्र है, जो इसे और अधिक पवित्र बना देता है।


इतिहास में कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra in History)

कैलाश और मानसरोवर का उल्लेख हमारे पुरातन ग्रंथों, वेदों और पुराणों में मिलता है। हजारों सालों से ऋषि-मुनि इस स्थान पर तप करते रहे हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस यात्रा का महत्व काफी गहरा है। प्रसिद्ध चीनी यात्री फाह्यान और ह्वेनसांग ने भी अपने यात्रावृत्तांतों में इस क्षेत्र का उल्लेख किया है। आधुनिक समय में यह यात्रा 1981 में भारत सरकार और चीन सरकार के बीच हुए समझौते के बाद औपचारिक रूप से शुरू हुई थी। लेकिन 2019 के बाद से महामारी और सीमा विवाद के चलते यह यात्रा बंद रही। अब छह वर्षों के लंबे अंतराल के बाद यह पवित्र यात्रा 2025 में फिर से प्रारंभ हो चुकी है, जो हजारों श्रद्धालुओं के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है।


भारत से कैलाश मानसरोवर के लिए दो प्रमुख मार्ग ( two main routes to Kailash Mansarovar from India )

कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत से दो प्रमुख मार्गों के जरिए की जाती है। पहला उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के माध्यम से और दूसरा सिक्किम के नाथुला पास के रास्ते से। लिपुलेख मार्ग से यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को पहले दिल्ली से उत्तराखंड के धारचूला तक ले जाया जाता है, जहां से वे आगे के पर्वतीय मार्गों पर बढ़ते हैं। वहीं, नाथुला मार्ग से जाने वाले यात्री दिल्ली से विमान द्वारा गंगटोक पहुंचते हैं और वहां से यात्रा की अगली कड़ी शुरू होती है। लिपुलेख मार्ग अपेक्षाकृत पुराना और अधिक चुनौतीपूर्ण माना जाता है। जबकि नाथुला मार्ग को थोड़ा सुविधाजनक और अपेक्षाकृत आसान समझा जाता है। हालांकि, दोनों ही मार्गों में तीव्र ऊंचाई, ठंड और सीमित ऑक्सीजन की स्थिति में यात्रा करनी होती है, जो इसे शारीरिक और मानसिक रूप से कठिन बनाती है।


स्वास्थ्य जांच- सबसे अहम कड़ी (Health check-up most important link )

कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू करने से पहले तीर्थयात्रियों को अनिवार्य स्वास्थ्य जांच से गुजरना होता है। यात्रियों को पहले दिल्ली के कैलाश मानसरोवर भवन में 4 से 5 दिन रुकना पड़ता है, जहां acclimatization यानी ऊंचाई के अनुसार शरीर को ढालने की प्रक्रिया शुरू होती है। इसके बाद उन्हें हार्ट एंड लंग्स इंस्टिट्यूट ले जाया जाता है। जहां फेफड़ों और हृदय की विस्तृत जांच की जाती है। जिनकी रिपोर्ट फिट पाई जाती है, केवल उन्हीं को यात्रा की अनुमति दी जाती है। यह जांच इसलिए जरूरी है क्योंकि यात्रा के दौरान 19,500 फीट की ऊंचाई तक ट्रेकिंग करनी पड़ती है। जहां ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से काफी कम होता है।


कैलाश मानसरोवर यात्रा में खर्चा (Kailash Mansarovar Yatra Expenses)

यह यात्रा साधारण तीर्थयात्रा की तरह नहीं होती और इसी कारण इसका खर्च भी थोड़ा अधिक होता है। यात्रियों को मेडिकल जांच, वीजा शुल्क, इमिग्रेशन फीस, यात्रा बीमा, घोड़े का किराया, खाने-पीने की व्यवस्था, सामान की ढुलाई, तिब्बत में ठहरने और मंदिरों में प्रवेश शुल्क सहित कई मदों में खर्च करना पड़ता है। आम तौर पर यह यात्रा ₹2 लाख से ₹3 लाख के बीच खर्चीली हो सकती है। इसके अलावा व्यक्तिगत खर्च जैसे गर्म कपड़े, दवाइयां, पोर्टर या गाइड की फीस, समूह की गतिविधियां और तिब्बत में सामान की खरीदारी आदि अतिरिक्त होती हैं। हालांकि आध्यात्मिक संतोष की दृष्टि से यह खर्च बहुत कम लगता है।


कैसे होता है रजिस्ट्रेशन? (How is registration done?)

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होती है और इसे विदेश मंत्रालय की अधिकृत वेबसाइट https://kmy.gov.in पर किया जा सकता है। पंजीकरण के लिए आवेदकों को पासपोर्ट की स्कैन कॉपी (पहला और आखिरी पेज), पासपोर्ट साइज फोटो, मोबाइल नंबर और वैध ईमेल आईडी की जरूरत होती है। चयन प्रक्रिया के दौरान आवेदकों की उम्र, स्वास्थ्य और यात्रा अनुभव को ध्यान में रखते हुए सूची तैयार की जाती है। चयनित लोगों को दिल्ली बुलाया जाता है, जहां उनकी अंतिम मेडिकल जांच होती है।


यात्रा में लगने वाला समय और समय-सारणी (Travel time and schedule)

पूरी यात्रा को पूरा करने में लगभग 22 दिन लगते हैं, जिनमें से 14 दिन भारत में और 8 दिन तिब्बत क्षेत्र में बिताए जाते हैं। यात्रा की शुरुआत जून के अंतिम सप्ताह में होती है और अगस्त के अंत तक पूरी होती है। मौसम की स्थिति के कारण यह यात्रा वर्ष में केवल कुछ महीनों तक ही संभव हो पाती है। मानसून और भारी बर्फबारी के दौरान मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं। इसलिए यह यात्रा जुलाई-अगस्त में ही सीमित होती है। यात्रा के दौरान कुछ दिन acclimatization के लिए भी सुरक्षित रखे जाते हैं ताकि शरीर को ऊंचाई के अनुरूप ढाला जा सके।


कैसे पूरी होती है यात्रा? (How is the journey completed?)

यात्रा की वास्तविक शुरुआत तिब्बत में स्थित 4,600 मीटर ऊंची तारबोचे घाटी से होती है। यहां से यात्री कैलाश पर्वत की परिक्रमा शुरू करते हैं, जो लगभग 52 से 55 किलोमीटर की होती है। यह परिक्रमा आमतौर पर तीन दिनों में पूरी की जाती है। यह पैदल यात्रा बेहद कठिन होती है, क्योंकि मार्ग में चढ़ाई, पत्थरीले रास्ते और कम ऑक्सीजन की स्थिति रहती है। इसके बाद मानसरोवर झील की परिक्रमा की जाती है। श्रद्धालु मानसरोवर में स्नान करते हैं और ध्यान करते हैं, जिसे बहुत पवित्र और कल्याणकारी माना जाता है। पूरी यात्रा के दौरान ITBP यानी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस सुरक्षा, चिकित्सा सहायता और आपात सेवा उपलब्ध कराती है।


क्या-क्या लेकर जाएं इस यात्रा में? (What should we take on this trip?)

कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान यात्रियों को गर्म कपड़े, थर्मल वियर, ऊनी टोपी, दस्ताने, मजबूत ट्रेकिंग शूज, धूप से बचाव के लिए चश्मा, सनस्क्रीन, आवश्यक दवाइयां और एक छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर साथ रखना चाहिए। इसके अलावा पहचान पत्र, पासपोर्ट की फोटोकॉपी, मुद्रा (भारतीय रुपया और युआन), टॉर्च, पावर बैंक और ऊंचाई पर उपयोगी स्नैक्स भी जरूरी होते हैं। ध्यान रहे कि यात्रा के दौरान सामान सीमित मात्रा में ही साथ ले जाने की अनुमति होती है, इसलिए हल्के और ज़रूरी सामान की प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

मानसिक और आध्यात्मिक तैयारी भी है जरूरी (Mental and spiritual preparation)

कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल शरीर की नहीं, बल्कि आत्मा की भी यात्रा है। ऊंचाई, ठंड और थकान के बीच कई बार श्रद्धालुओं की मानसिक शक्ति की परीक्षा होती है। ऐसे में धैर्य, श्रद्धा और आंतरिक संतुलन जरूरी है। ध्यान, मंत्र जाप और सकारात्मक सोच इस कठिन यात्रा को आसान बना सकते हैं। माना जाता है कि कैलाश की परिक्रमा करने से व्यक्ति को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। इसलिए यह यात्रा केवल बाहरी नहीं, आत्मिक भी होती है।

1 / 8
Your Score0/ 8
Monika

Monika

Mail ID - [email protected]

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!