Singh Sankranti सिंह संक्रांति कब है 2025 में, जानें इस दिन पुण्य-महापुण्य काल का समय, महत्व और लाभदायक उपाय

Singh Sankranti :सिंह संक्रांति कब है, जानिए क्यों है इस दिन का महत्व और क्या किया जाता है इस दिन

Suman  Mishra
Published on: 11 Aug 2025 9:11 AM IST (Updated on: 12 Aug 2025 5:19 AM IST)
Singh Sankranti सिंह संक्रांति कब है 2025 में, जानें इस दिन पुण्य-महापुण्य काल का समय, महत्व और लाभदायक उपाय
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Singh Sankranti : जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में जाता है तो इस समय को संक्रांति काल कहते है। सूर्य 12 राशियों में एक-एक माह तक रहते है।एक वर्ष में, 12 संक्रांति होती है और यह भगवान सूर्य (सूर्य देवता) को समर्पित है। सभी 12 संक्रांति में 'मकर संक्रांति' सबसे मान्य है और यह पूरे भारत में मनाई जाती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार,हर संक्रांति को एक महीने की शुरुआत के रूप में जाना जाता है। संक्रांति, स्नान दान के लिए अनुकूल है, सूर्य के सिंह राशि में प्रवेश करने को सिंह संक्रांति कहते हैं।अभी कर्क राशि में सूर्य है इसके बाद 17 अगस्त 2025 रविवार के दिन सूर्यदेव सिंह राशि में परिवर्तन करेंगे। इस दिन का महत्व माना जाता है क्योंकि यह सूर्य की स्वयं की राशि है। सूर्य के इस राशि में आने से बीमारी , लडाई -झगड़े और संघर्ष बढ़ेगा। कहीं बारिश अधिक होने से बाढ़ तो कहीं सूखे के कारण अकाल की संभावना बनेगी।

सिंह संक्रांति कब

सिंह संक्रान्ति : रविवार, 17 अगस्त 2025

पुण्य काल - 5:51 AM से 12:25 PM

महा पुण्य काल - 5:51 AM से 8:3 AM

ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:24 से 05:08 तक।

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:59 से दोपहर 12:51 के बीच।

गोधूलि मुहूर्त : शाम को 06:58 से 07:20 तक।

सिंह संक्रांति का महत्व

सिंह संक्रांति का समय कई मायनों में बहुत महत्व रखता है। हर साल भाद्रपद माह में सिंह संक्रांति पड़ती है। इसे उत्तराखंड में घी संक्रांति या ओल्गी संक्रांति कहते हैं। इस दिन दाल की भरवां रोटियों के साथ घी का सेवन किया जाता है। इस रोटी को बेडु की रोटी कहते है।चरक संहिता में घी- स्मरण शक्ति, बुद्धि, ऊर्जा, बलवीर्य, ओज बढ़ाता है। घी वसावर्धक है। यह वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक है। सिंह संक्रांति के दिन कई तरह के पकवान बनाकर खाते हैं जिसमें दाल की भरवां रोटियां, खीर और गुंडला या गाबा प्रमुख हैं।

सिंह संक्रांति ऐसे पाएं लाभ

यदि कुंडली में सूर्यदोष है, तो उसे सूर्यदेव से जुड़ी वस्तुओं का खासकर दान करना चाहिए। जैसे कि तांबा, गुड़ आदि। इस दिन सूर्य मंत्र के साथ सूर्यदेव की विशेष पूजा जरूर करना चाहिए।

पौराणिक कथानुसार इस दिन घी नहीं खाएगा उसे अगले जन्म में घोंघे के रूप में जन्म लेना होगा। यही कारण है कि नवजात बच्चों के सिर और पांव के तलुवों में घी लगाकर जीभ पर भी थोड़ा सा घी रखा जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु का पूजन होता है तथा श्री हरि के अन्य स्वरुप भगवान नरसिम्हा की पूजा का भी विशेष विधान बताया गया है।

सिंह संक्रांति वाले दिन स्नान और पूजा के बाद अपनी क्षमता के अनुसार लाल वस्तुओं का करें दान। लाल वस्त्र, तांबे का बर्तन, लाल चंदन या लाल रंग के रूमाल का दान करने से सूर्य देव मजबूत होंगे तो नौकरी में तरक्की के योग बनेंगे। इस दिन शुभ मुहूर्त में किसी नदी तलाब में आटे के दीपक प्रवाहित करने से सभी तरह के संकटों के साथ ही कर्ज से भी मुक्ति मिलती है। अगर नदी तलाब न हो तो तुलसी के समक्ष दीपक जलाये।


नोट : ये जानकारी ज्योतिष और पंचांगों पर आधारित है जो सामान्य सूचना के लिए दी गई है। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। सही जानकारी के लिए आस पास के विद्वानों से भी संपर्क कर लें।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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