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‘हैलो कौन’ भोजपुरी स्टार और IPS अफसर का गठजोड़! प्रशांत किशोर ने खेला ऐसा खेल कि लालू-नीतीश हिल गई सियासत
Ritesh Pandey and IPS JP Singh join Jan Suraj Party: भोजपुरी सुपरस्टार रितेश पांडे और पूर्व IPS अफसर जयप्रकाश सिंह ने जन सुराज पार्टी जॉइन कर बिहार की राजनीति में मचाई हलचल।
Ritesh Pandey and IPS JP Singh join Jan Suraj Party: बिहार की राजनीतिक जमीन एक बार फिर गरमाने लगी है, लेकिन इस बार जो लहर उठी है वो न किसी घोटाले की वजह से है, न किसी गठबंधन टूटने से। इस बार बात है एक वर्दी वाले अधिकारी की जो कानून का रखवाला था और एक ऐसे गायक की, जिसके गाने पर पूरा यूपी-बिहार झूमता है। दोनों अब राजनीति की पिच पर प्रशांत किशोर की कप्तानी में बैटिंग करने उतरे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं पूर्व IPS अधिकारी जयप्रकाश सिंह और भोजपुरी स्टार रितेश पांडेय की, जिन्होंने जन सुराज पार्टी जॉइन कर बिहार की राजनीति में एक झटका दे दिया है। यह वही जन सुराज है जिसे प्रशांत किशोर बिहार में बदलाव का वाहक बताकर पिछले कुछ वर्षों से खड़ा कर रहे हैं। लेकिन अब जब जन सुराज में एक तरफ वो शख्स है जो कभी डीजीपी बन सकता था और दूसरी तरफ वो चेहरा है जिसकी आवाज़ पर करोड़ों दिल धड़कते हैं, तब सियासी समीकरण वाकई बदलते नज़र आ रहे हैं।
IPS से बदलाव के ‘फील्ड अफसर’ बने जेपी सिंह
छपरा के एक छोटे से गांव में पले-बढ़े जयप्रकाश सिंह सिर्फ एक अफसर नहीं, बल्कि संघर्ष की मिसाल हैं। एकमा के सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर, सेना में नौकरी की और फिर सीधे UPSC पास कर IPS बने। इतने वर्षों की सेवा के बाद जब वो एडीजी के पद तक पहुंचे, तो सबको लगा कि अगला डीजीपी इन्हीं को बनना है। लेकिन उन्होंने सत्ता नहीं, सेवा चुनी। और वो भी ऐसी सेवा, जिसमें न तो यूनिफॉर्म का रौब है और न सरकारी बंगले का ठाठ – बल्कि जनता के बीच खड़ा होना है, हर सवाल का सामना करना है। जब जेपी सिंह ने जन सुराज में शामिल होकर कहा, "बिहार को सिर्फ सुरक्षा नहीं, सिस्टम की सर्जरी चाहिए," तो शायद उन्होंने वो बात कह दी जो आज करोड़ों बिहारवासी सोचते हैं।
‘हैलो कौन’ से ‘जनता कौन?’ तक का सफर: रितेश पांडे का बड़ा दांव
दूसरी ओर, रितेश पांडे – एक ऐसा नाम जिसे भोजपुरी म्यूज़िक इंडस्ट्री का यूथ आइकन कहा जाता है। उनका सुपरहिट गाना ‘हैलो कौन’ सिर्फ म्यूज़िक ट्रैक नहीं, बल्कि एक सोशल फीनोमेना बन गया था। 100 करोड़ से ज्यादा व्यूज़, लाखों स्टेज शो और सोशल मीडिया पर जबरदस्त क्रेज। लेकिन अब वही रितेश, गानों की दुनिया से निकलकर वोटों की राजनीति में उतर आए हैं। "रोज़गार चाहिए, नया बिहार चाहिए" – यही गाते हुए जब उन्होंने जन सुराज जॉइन किया, तो ये साफ हो गया कि इस बार वो सिर्फ सुरों से नहीं, सुधारों से दिल जीतना चाहते हैं। रितेश पांडे ने पहले ही संकेत दे दिया है कि भभुआ या करगहर से मैदान में उतर सकते हैं। उनकी स्टार पावर को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि युवा मतदाता उन्हें ज़रूर सुनेंगे – इस बार गाने में नहीं, घोषणापत्र में।
प्रशांत किशोर की रणनीति का मास्टरस्ट्रोक?
प्रशांत किशोर यानी PK, वो शख्स जो देश की आधी से ज्यादा चुनावी जीतों के पीछे छिपे दिमाग हैं। लेकिन बिहार में जब उन्होंने खुद का राजनीतिक मंच बनाया, तो कई लोगों ने इसे ‘ख्वाब’ कहा। लेकिन अब जब वे एक आईपीएस अफसर और एक सेलिब्रिटी को साथ लेकर मैदान में उतरे हैं, तब इस ख्वाब की हकीकत दिखने लगी है। PK का मानना है कि "सिर्फ नेता नहीं, नायक चाहिए। बिहार को चेहरे नहीं, विजन चाहिए।" शायद यही सोचकर उन्होंने ऐसे दो चेहरे चुने हैं एक जिसने सिस्टम के भीतर रहकर बदलाव की कोशिश की, और दूसरा जिसने कला के जरिए करोड़ों दिलों तक अपनी बात पहुंचाई।
क्या ये बदलाव की बयार है या बस चुनावी शोर?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या जन सुराज पार्टी, इन दो नए चेहरों के साथ वाकई बिहार की राजनीति में भूचाल ला सकती है? या फिर यह भी वही पुरानी कहानी निकलेगी – सितारे आएंगे, भाषण देंगे और फिर धीरे-धीरे सियासत के कुहासे में खो जाएंगे? लेकिन इस बार हवा कुछ अलग है। सोशल मीडिया पर रितेश पांडे के फैंस पहले से ही "नया बिहार" हैशटैग ट्रेंड करवा रहे हैं। वहीं जेपी सिंह के फैसले को ‘रिस्पेक्ट फॉर ब्रेव अफसर’ के तौर पर देखा जा रहा है। PK की रणनीति यही दिखती है कि वोटर को झूठे वादों से नहीं, सच्चे चेहरों से जोड़ो। और शायद यही उनकी असली परीक्षा भी होगी। बिहार की राजनीति अब धीरे-धीरे अपने उबाल पर है। लालू-नीतीश-तेजस्वी के पुराने किस्सों के बीच, PK की नई टीम क्या इतिहास रचेगी, ये तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि जब माइक और वर्दी एक साथ बोलेंगे, तो बिहार सुनेगा भी और जवाब भी देगा।
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