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बिहार में कांग्रेस की बैठक बनी अखाड़ा! फूलों की माला की जगह उड़े लात-घूंसे, खून से लाल हुआ कांग्रेस दफ्तर

Bihar Congress meeting violence: बिहार के भोजपुर में कांग्रेस की संगठनात्मक बैठक उस वक्त हिंसा के रंग में डूब गई जब खुद पार्टी कार्यकर्ता एक-दूसरे पर लात-घूंसे बरसाने लगे। कार्यक्रम के बीच ही पार्टी के अंदर की फूट और फ्रस्टेशन ऐसा फूटा कि पूरे दफ्तर में खून के छींटे पड़ गए।

Harsh Srivastava
Published on: 10 July 2025 4:14 PM IST
बिहार में कांग्रेस की बैठक बनी अखाड़ा! फूलों की माला की जगह उड़े लात-घूंसे, खून से लाल हुआ कांग्रेस दफ्तर
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Bihar Congress meeting violence: जहां स्वागत होना था, वहां सिर फूटे। जहां संगठन की मजबूती की बात होनी थी, वहां मारा-मारी हो गई। जहां एकजुटता दिखनी थी, वहां गुटबाजी ने ऐसा तांडव मचाया कि पार्टी का झंडा भी शर्मिंदा हो गया। बिहार के भोजपुर में कांग्रेस की संगठनात्मक बैठक उस वक्त हिंसा के रंग में डूब गई जब खुद पार्टी कार्यकर्ता एक-दूसरे पर लात-घूंसे बरसाने लगे। कार्यक्रम के बीच ही पार्टी के अंदर की फूट और फ्रस्टेशन ऐसा फूटा कि पूरे दफ्तर में खून के छींटे पड़ गए।राजनीति में विरोधियों से लड़ाई आम बात है, लेकिन जब एक ही पार्टी के कार्यकर्ता कार्यक्रम के मंच को ही रणक्षेत्र बना दें, तो सवाल उठता है,क्या कांग्रेस अब खुद से लड़ने में ही उलझ गई है? और इस बार कोई आम कार्यकर्ता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के विधायक और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव देवेंद्र यादव की मौजूदगी में यह सब हुआ।

कांग्रेस का स्वागत समारोह बना खूनी मैदान

भोजपुर जिला कांग्रेस कार्यालय में एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठक होनी थी। देवेंद्र यादव, जो बिहार प्रदेश कांग्रेस के सह-प्रभारी भी हैं, भोजपुर आए हुए थे। मंच सजा हुआ था, स्वागत के लिए फूलों की माला तैयार थी और कार्यकर्ता जोश में थे। लेकिन अचानक सारा माहौल पल भर में बदल गया। कार्यक्रम के शुरू होते ही दो गुटों के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई। बात इतनी बढ़ी कि धक्का-मुक्की, हाथापाई और फिर सिर फोड़ू हिंसा शुरू हो गई। जो दृश्य कैमरे में कैद हुआ, वो किसी रैली का नहीं बल्कि दंगल का था। नारेबाजी के बीच एक पक्ष ने दूसरे को धकेला, फिर मुक्के बरसे और कुर्सियां हवा में उड़ने लगीं। इस दौरान कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सिर फूट गए, खून बहने लगा और अफरातफरी मच गई। जो नेता मंच पर स्वागत भाषण देने वाले थे, वो बचाव में इधर-उधर भागते नजर आए।

गुटबाजी या साज़िश? कौन था असली हमलावर?

इस पूरे हंगामे के बाद विधायक देवेंद्र यादव का बयान भी उतना ही चौंकाने वाला रहा। उन्होंने कहा, यह पता लगाना जरूरी है कि जो लड़ाई हुई, उसमें कांग्रेस के लोग शामिल थे भी या नहीं। हो सकता है कि कुछ बाहरी उपद्रवी जानबूझकर हंगामा करने पहुंचे हों। लेकिन सवाल यह है कि अगर ये बाहरी लोग थे, तो उन्हें कांग्रेस दफ्तर में किसने घुसने दिया? और अगर कांग्रेस के ही कार्यकर्ता थे, तो फिर पार्टी अब अपने ही लोगों को पहचानने से क्यों कतरा रही है? देवेंद्र यादव ने आगे कहा कि प्रशासन को सुरक्षा देनी चाहिए थी। उन्होंने साफ शब्दों में नीतीश सरकार को घेरते हुए कहा, अगर आज कार्यकर्ताओं पर हमला हुआ है, तो कल हम नेताओं पर भी हो सकता है। हमें कौन बचाएगा? यानि एक तरफ कांग्रेस के अंदरूनी विवाद सामने आया, और दूसरी तरफ नीतीश सरकार पर सीधा हमला भी हो गया।

खून से सने हाथ और फूलों की माला

जिस समय देवेंद्र यादव का स्वागत होना था, उसी समय कार्यकर्ता एक-दूसरे के कपड़े फाड़ रहे थे। कुछ ही मिनटों बाद जब माहौल थोड़ा शांत हुआ, तो फिर वही फूलों की माला, वही कैमरों की चमक और वही मुस्कुराहटें वापस लौट आईं। लेकिन उस मुस्कान के पीछे जो खून टपकता रहा, वो हर कैमरे में कैद हो गया। कांग्रेस की यह दोहरी तस्वीर अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कार्यकर्ता किस तरह एक-दूसरे को गालियां दे रहे हैं, मार रहे हैं और फिर उसी हॉल में स्वागत कार्यक्रम भी हो रहा है। अब जनता सवाल पूछ रही है,जो पार्टी खुद को नहीं संभाल सकती, वो बिहार क्या संभालेगी?

कांग्रेस की गहराती टूट का संकेत?

भोजपुर की यह घटना कोई अपवाद नहीं, बल्कि उस गहराते आंतरिक संकट की बानगी है जो आज कांग्रेस के हर राज्य में दिख रहा है। एक तरफ हाईकमान पार्टी को चुनावी पटरी पर लाने की कोशिश कर रहा है, वहीं नीचे जिलों और प्रदेश स्तर पर कार्यकर्ता आपसी लड़ाई में उलझे हुए हैं। बिहार जैसे राज्य में, जहां कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन का हिस्सा होने का फायदा मिल सकता था, वहां संगठन के अंदर ही अराजकता और असंतोष उभर रहा है। राजनीतिक विश्लेषक साफ कह रहे हैं,यदि कांग्रेस ऐसे ही खुद से लड़ती रही, तो जनता उसे गंभीरता से लेना बंद कर देगी।

कौन जिम्मेदार? जवाब मांग रहा है लोकतंत्र

इस हादसे के बाद न कोई गिरफ्तारी हुई, न कोई बड़ी कार्रवाई। सिर्फ बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप।

कार्यकर्ताओं के घायल होने के बावजूद अब तक किसी पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई।

वहीं जिला नेतृत्व से लेकर प्रदेश स्तर तक सब चुप हैं।

देवेंद्र यादव ने प्रशासन पर उंगली उठाई, लेकिन क्या कांग्रेस खुद इस पूरी घटना की जांच कराएगी?

क्या मारपीट करने वाले कार्यकर्ताओं की पहचान होगी?

क्या गुटबाजी करने वालों पर कार्रवाई होगी?

या फिर अगले कार्यक्रम में फिर से कोई सिर फूटेगा, फिर माला पहनाई जाएगी, और फिर वही पुराना नाटक दोहराया जाएगा?

भोजपुर की घटना ने खोल दिया बिहार कांग्रेस का असली चेहरा

इस पूरी घटना ने एक बात तो साफ कर दी है , कांग्रेस में नेतृत्व का संकट केवल ऊपर नहीं, नीचे तक फैला हुआ है। कार्यकर्ताओं में तालमेल नहीं, गुटबाजी चरम पर है, और हर कोई हाईकमान को खुश करने की होड़ में एक-दूसरे को कुचलने पर उतारू है। भोजपुर की यह बैठक कांग्रेस की कार्यशैली की वो खौफनाक झलक है जिसे पार्टी छुपाना चाहती थी, लेकिन अब पूरी दुनिया ने देख लिया है। क्योंकि जब पार्टी का दफ्तर अखाड़ा बन जाए, तो लोकतंत्र का सबसे पुराना दल भी तमाशा बन जाता है। और तब जनता तय कर लेती है कि अब भरोसा नहीं करना है, सिर्फ देखना है,कांग्रेस अब खुद को कब और कैसे तोड़ती है।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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