TRENDING TAGS :
ड्रोन से हुआ तेजस्वी पर ‘हमला’? गांधी मैदान में मचा हड़कंप, बोले – अब डरने नहीं, लड़ने का वक्त है!”
Bihar Politics: भीड़ से खचाखच भरे गांधी मैदान में तेजस्वी ने गरजते हुए कहा, "ये देश किसी के बाप का नहीं है... ये हम सबका हिंदुस्तान है!" तेजस्वी का यह बयान सीधे-सीधे सत्ताधारी दल पर निशाना था, लेकिन उसकी गूंज उन गलियों तक पहुंच गई है जहां धर्म, जाति और संविधान को लेकर संवेदनाएं सुलग रही हैं।
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में अचानक बवंडर उठ खड़ा हुआ है। पटना के गांधी मैदान में आयोजित 'वक्फ बचाओ-दस्तूर बचाओ' रैली में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ऐसा बयान दे दिया जिसने न सिर्फ सियासी हलकों में आग लगा दी है, बल्कि पूरे देश में बहस छेड़ दी है। भीड़ से खचाखच भरे गांधी मैदान में तेजस्वी ने गरजते हुए कहा, "ये देश किसी के बाप का नहीं है... ये हम सबका हिंदुस्तान है!" तेजस्वी का यह बयान सीधे-सीधे सत्ताधारी दल पर निशाना था, लेकिन उसकी गूंज उन गलियों तक पहुंच गई है जहां धर्म, जाति और संविधान को लेकर संवेदनाएं सुलग रही हैं। और इस राजनीतिक शोले के बीच एक और चौंकाने वाली घटना घटी — तेजस्वी यादव एक ड्रोन हादसे में बाल-बाल बचे, और सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया।
गांधी मैदान में गरजी ‘आवाज़’ – तेजस्वी ने कहा, देश को तोड़ा जा रहा है!
वक्फ बचाओ-दस्तूर बचाओ’ आंदोलन का मंच बन गया तेजस्वी यादव का सबसे आक्रामक राजनीतिक हमला। उन्होंने खुलेआम कहा कि वक्फ संशोधन कानून 2025 सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि मुसलमानों, पिछड़ों और दलितों के वोटिंग अधिकारों को चुपचाप खत्म करने की साजिश है। तेजस्वी ने चेतावनी भरे अंदाज़ में कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों पर सरकारी कब्ज़े का रास्ता खोलता है। “जिस तरीके से वक्फ बोर्ड को कमजोर किया जा रहा है, उससे साफ है कि सरकार न मुसलमानों की ज़मीन छोड़ना चाहती है, न उनका हक। ये साजिश है लोकतंत्र को कुचलने की,” तेजस्वी बोले। उन्होंने यह भी दावा किया कि आगामी चुनावों में आठ करोड़ लोगों को फिर से अपना नागरिकता प्रमाण देना पड़ेगा, वरना उन्हें मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाएगा। “ये देश किसी के बाप का नहीं है। हमने इसे खून से सींचा है, और कोई इसे चंद ताकतों की जागीर नहीं बना सकता,” उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा।
"हमारी सरकार आएगी तो ये कानून रद्द होगा"
तेजस्वी यादव ने पहली बार इतने मुखर अंदाज में ऐलान किया कि अगर बिहार में उनकी सरकार बनी, तो वक्फ संशोधन कानून को लागू नहीं होने दिया जाएगा। यह सिर्फ एक वादा नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए एक नया राजनीतिक एजेंडा बनता जा रहा है। तेजस्वी की इस घोषणा के बाद AIMIM नेता अख्तरुल ईमान ने भी मंच से आवाज़ बुलंद की और कहा कि "यह कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक गहरी साजिश है। यह संविधान के खिलाफ है।"
विपक्ष का आरोप है कि इस कानून के ज़रिए जिलाधिकारियों को वक्फ संपत्तियों पर ज़्यादा अधिकार दिए जा रहे हैं, जिससे समुदाय का नियंत्रण खत्म हो जाएगा। हालांकि केंद्र सरकार ने इसे पारदर्शिता, महिला भागीदारी और वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए ज़रूरी बताया है। सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की वैधता पर सुनवाई हो चुकी है और फैसला सुरक्षित रखा गया है। लेकिन ज़मीन पर इसकी प्रतिक्रिया उबल रही है।
भाषण के दौरान तेजस्वी पर ‘ड्रोन हमला’? बाल-बाल बचे नेता
बात केवल राजनीतिक नहीं रही। तेजस्वी यादव के भाषण के दौरान गांधी मैदान में एक संदिग्ध ड्रोन तेजी से उनके चेहरे की ओर बढ़ा। चश्मदीदों के अनुसार, तेजस्वी जैसे ही बोलना शुरू कर रहे थे, तभी एक ड्रोन काफी नीचे उड़ता हुआ उनके बेहद पास आ गया। तेजस्वी ने तत्काल नीचे झुककर खुद को बचाया, वहीं मंच के बगल में खड़े एक युवक ने हाथ मारकर ड्रोन को नीचे गिरा दिया। घटना कुछ सेकंड की थी लेकिन उसमें सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी। तेजस्वी कुछ क्षण के लिए असहज हो गए थे, लेकिन खुद को संभालते हुए दोबारा मंच पर बोले – “अब डरने का वक्त नहीं, लड़ने का वक्त है।” यह घटना केवल संयोग थी या किसी पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा, इस पर अब जांच चल रही है। बिहार पुलिस और ATS ने मामले को गंभीरता से लिया है और ड्रोन के मालिक, उड़ान के मकसद और सुरक्षा चूक की परतें खोली जा रही हैं।
क्या बिहार की राजनीति में नया मोड़?
तेजस्वी यादव के इस आक्रामक भाषण और बाल-बाल बचने की घटना ने उन्हें फिर से सियासत के केंद्र में ला दिया है। ‘वक्फ बचाओ’ आंदोलन अब एक सामाजिक मुद्दे से कहीं आगे निकल कर चुनावी जंग की ज़मीन तैयार कर रहा है। यह साफ है कि आने वाले महीनों में तेजस्वी यादव इस कानून के खिलाफ ‘संविधान बचाओ’ यात्रा निकाल सकते हैं, और वक्फ संपत्तियों की लड़ाई को दलितों-पिछड़ों के अधिकारों से जोड़कर मास मूवमेंट बनाने की कोशिश करेंगे। सवाल यही है—क्या तेजस्वी की आवाज़ अब सिर्फ बिहार तक सीमित रहेगी या फिर ये मुद्दा देशव्यापी बगावत में बदल जाएगा? और अगर वक्फ कानून को लेकर यह लपटें ऐसे ही बढ़ती रहीं... तो अगला चुनाव ‘विकास’ नहीं, ‘हक़ की लड़ाई’ पर लड़ा जाएगा!
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge